ओबरा(सतीश चौबे)।
-बड़गावां में सप्त दिवसीय संगीतमय भागवत कथा
तन, मन, धन से दुखी इंसान को भागवत कथामृत से सुख मिलता है। पुराणों में भागवत श्रेष्ठ है। भाग्य और बुद्धि में कलियुग में इंसान मन्द होगा। भागवत कथा वाचक पण्डित महेश देव पांडेय ने बड़गावां में प्रथम दिन कही। इसके पूर्व यजमान सपत्नीक राजेन्द्र मिश्र ने विधि विधान से पूजन अर्चन किया। भागवत कथा में हजारों की संख्या में कलश लेकर भक्त सोन नद से जल लेकर कथा स्थल तक पहुँचे।
भागवत कथा वाचक ने कहा कि परीक्षित को ही नहीं सुकदेव से कथामृत देवताओं ने मांगा। श्रीमद्भागवत कथा ने देवताओं को अपात्र बता दिया। अमृत रूपी
कांच के टुकड़े के बदले भागवत कथामृत रूपी मणि कैसे दे सकते हैं ?
जीव के प्रति दया का भाव भागवत कथा से उत्पन्न होती है। सबसे पहले ऋषि नारद ने सुनी। कथा में नागेन्द्र प्रसाद मिश्र, योगेंद्र प्रसाद मिश्र, सन्तोष मिश्र, सुरेंद्र मिश्र, रवींद्र मिश्र, मनिंद्र मिश्र, गोपाल मिश्र, गोविनंद मिश्र, आनन्द मिश्र, कृष्ण मिश्र, दीपक मिश्र आदि मौजूद रहे।

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