लखनऊ: 05 फरवरी, 2020
मंत्रिपरिषद ने विकास प्राधिकरणों तथा उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद के डिफाॅल्टर आवंटियों के प्रकरण को विनियमित करते हुए एक अवसर प्रदान करने के लिए पुनः एकमुश्त समाधान योजना (ओ0टी0एस0 2020) योजना लागू करने का निर्णय लिया है।
ओ0टी0एस0 योजना 2020 में ओ0टी0एस0 गणना के उपरान्त 50 लाख रुपए तक की धनराशि वाले प्रकरणों में कुल 04 माह तथा 50 लाख रुपए से अधिक तक की धनराशि वाले प्रकरणों में सम्पूर्ण धनराशि कुल 07 माह में जमा करने की व्यवस्था है। सम्पूर्ण धनराशि एकमुश्त जमा करने पर देय धनराशि पर 02 प्रतिशत छूट होगी। इसकेे फलस्वरूप राज्य सरकार पर कोई व्यय भार नहीं आएगा।
नवीन योजना में शासनादेश निर्गत होने के एक माह तक व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इसके बाद तीन माह की अवधि में आॅनलाइन/आॅफलाइन आवेदन प्राप्त किए जाने तथा आवेदन प्राप्ति की तिथि से तीन माह में निस्तारित किए जाने की व्यवस्था है।
उल्लेखनीय है कि विकास प्राधिकरणों तथा उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद के डिफाॅल्टर आवंटियों, क्रेताओं व ऋणगृहीताओं के प्रकरण के समाधान हेतु शासन द्वारा वर्ष 2000 एवं तत्पश्चात वर्ष 2001 में एकमुश्त समाधान योजना लागू की गई थी।
वर्ष 2002 में बड़ी संख्या में आवंटी भुगतान डिफाॅल्टर होने के कारण वन टाइम सैटेलमेन्ट योजना-ओ0टी0एस0 2002 शासनादेश दिनांक 12 अगस्त, 2002 द्वारा निर्गत की गई थी। यह योजना 31 दिसम्बर, 2010 तक प्रभावी थी। कतिपय संशोधनों के साथ इस योजना को 29 नवम्बर, 2011 को पुनः लागू किया गया, जो 31 मार्च, 2017 तक प्रभावी थी।
अभी भी विकास प्राधिकरणों तथा उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद में भारी संख्या में डिफाॅल्टर होने के कारण ओ0टी0एस0 योजना 2020 लागू की जा रही है। आवास विकास परिषद एवं विभिन्न प्राधिकरणों की डिफाॅल्ट सम्पत्तियों के निस्तारित हो जाने से एक ओर जहां इन्हें आर्थिक लाभ सुनिश्चित होगा, वहीं दूसरी ओर जन सामान्य को भी लाभ होगा।
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मंत्रिपरिषद ने लखनऊ एवं गौतमबुद्धनगर के साइबर क्राइम पुलिस थानों के अधिकारिता क्षेत्र को अधिसूचना में रेखांकित व अंकित करने तथा उत्तर प्रदेश के 16 परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर एक-एक साइबर क्राइम पुलिस थाने की स्थापना करने का निर्णय लिया है। यह साइबर क्राइम पुलिस थाने जनपद बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, झांसी, प्रयागराज, चित्रकूट, गोरखपुर, देवीपाटन, बस्ती, वाराणसी, आजमगढ़, मिर्जापुर व अयोध्या में स्थापित किए जाएंगे।
प्रदेश में साइबर क्राइम पर प्रभावी नियंत्रण के सम्बन्ध में पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश के पत्र दिनांक 26 जून, 2019 एवं उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव दिनांक 02 जनवरी, 2020 द्वारा उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम पुलिस थाना की स्थापना का प्रस्ताव प्रेषित किया गया है।
इस प्रस्ताव में अवगत कराया गया कि उ0प्र0 राज्य में आई0टी0 एक्ट के अन्तर्गत समस्त अपराधों की रोकथाम एवं साइबर अपराध से सम्बन्धित सूचना-अभिसूचना एकत्र करने, अन्वेषण/जांच करने एवं साइबर क्राइम थाना, लखनऊ एवं गौतमबुद्धनगर से प्रदेश के अधिकतर जनपदों की दूरी काफी अधिक होने के दृष्टिगत प्रदेश के 16 परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर एक-एक साइबर क्राइम पुलिस थाना की स्थापना की नितान्त आवश्यकता है, ताकि इण्टरनेट का प्रयोग कर की गयी धोखाधड़ी/इससे सम्बन्धित अपराधों के शिकार पीड़ितों की शिकायतों को दर्ज कर अपराधियों के विरुद्ध विधि संगत कार्यवाही की जा सके तथा जनपदों के विभिन्न थानों में पंजीकृत साइबर अपराधों की विवेचना में सहयोग प्रदान किया जा सके।
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मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र, विन्ध्य क्षेत्र तथा गुणता प्रभावित ग्रामों में पेयजल योजना के क्रियान्वयन हेतु परियोजना के निर्माण के लिए कार्यदायी फर्माें के चयन हेतु माॅडल बिड डाॅक्यूमेंट को अनुमोदित कर दिया है।
माॅडल बिड डाॅक्यूमेंट में योजनाओं के 10 वर्ष तक संचालन एवं अनुरक्षण कार्यदायी फर्माें द्वारा किये जाने के सम्बन्ध में प्राविधान तथा मोबिलाइज़ेशन एडवांस की धनराशि के 110 प्रतिशत की धनराशि की बैंक गारण्टी के सापेक्ष कार्यदायी फर्माें को 10 प्रतिशत मोबिलाइज़ेशन एडवांस, 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की देयता के साथ भुगतान का प्राविधान किया गया है। मोबिलाइज़ेशन एडवांस की धनराशि का समायोजन आगामी प्रत्येक बिल से 20 प्रतिशत की धनराशि की कटौती करते हुए पूर्ण धनराशि का समायोजन किया जाएगा।
माॅडल बिड डाॅक्यूमेंट में विभिन्न परियोजनाओं की विशिष्टियों के अनुरूप बिल आॅफ क्वांटिटी (बी0ओ0क्यू0) तथा अन्य विशिष्टियों के अनुरूप कस्टमाइज़ेशन मिशन निदेशक, राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन द्वारा पी0एम0सी0 के सहयोग से किया जाएगा।
माॅडल बिड डाॅक्यूमेंट में किसी विशेष संशोधन पर अनुमोदन हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि बुन्देलखण्ड और विन्ध्य क्षेत्र की समस्त आबादी तथा आर्सेनिक/फ्लोराइड एवं जापानी इन्सेफ्लाइटिस (जे0ई0)/एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम (ए0ई0एस0) से ग्रस्त समस्त आबादी को प्रथमतः चरणबद्ध रूप से शुद्ध पाइप पेयजल परियोजना से आच्छादित किया जाना है। उक्त के दृष्टिगत प्रथमतः विन्ध्य एवं बुन्देलखण्ड के 09 जनपदों हेतु परियोजना के स्कोप आॅफ वर्क और फिजीबिलिटी का कार्य पूर्ण करा लिया गया है।
योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु बुन्देलखण्ड के 07 एवं विन्ध्य क्षेत्र के 02 अर्थात कुल 09 जनपदों की कुल 545 डी0पी0आर0 तैयार करा ली गयी हैं, जिनकी कुल लागत 15722.89 करोड़ रुपये आंकलित है। योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु निर्धारित प्रक्रियानुसार प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सलटेन्ट (पी0एम0सी0) के चयन की कार्यवाही कर ली गयी है। परियोजना के निर्माण हेतु कार्यदायी फर्माें के चयन हेतु माॅडल बिड डाॅक्यूमेंट मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है।
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मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश वेब मीडिया नीति-2016 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश वेब मीडिया नीति वर्ष 2016 में प्रख्यापित की गयी थी, जिसका मुख्य उद्देश्य न्यूज़ वेबसाइट्स/पोर्टल्स को शासकीय विज्ञापन प्रदान किया जाना है। नीति में प्रादेशिक प्राथमिकताओं के समावेश हेतु यथा आवश्यक संशोधन किया गया है।
प्रदेश सरकार की नीतियों, उपलब्धियों तथा कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किये जाने हेतु वेबसाइट्स को उनके विगत दो वर्षाें के प्रदर्शन के आधार पर ‘सूचीबद्ध’ किया जाएगा। विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डी0ए0वी0पी0) की नीतियों के अनुसार वेबसाइटों को विज्ञापन प्रदान करने हेतु हिट्स की संख्या को 2.5 लाख से कम कर 0.5 लाख किया गया है, ताकि अधिक से अधिक वेबसाइट के माध्यम से प्रदेश सरकार के नीतियों, उपलब्धियों तथा कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जा सके।
वेबसाइट की गणना अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकृत एवं विश्वसनीय थर्ड पार्टी टूल्स (गूगल एनालिटिक्स, काॅमस्कोर आदि) द्वारा किया जाएगा। इनकी गणना का आधार यूनिक यूजर होगा। वेबसाइटों की पांच श्रेणियां बनायी गयी हैं। इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा वेबसाइटों के माध्यम से प्रदेश सरकार की नीतियों, उपलब्धियों तथा कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जा सके। विज्ञापन निर्गत किए जाने हेतु सम्बन्धित वेब माध्यम को सभी प्रमुख ब्राउजर्स (मोबाइल ब्राउजर्स सहित) में काॅम्पैटिबल होना आवश्यक है।
संशोधित नीति में वेब मीडिया में विज्ञापन अधिकतम एक वेब पृष्ठ प्रति वेबसाइट के प्रतिबन्ध को समाप्त कर दिया गया है, ताकि अधिक से अधिक विज्ञापन के माध्यम से प्रदेश सरकार की नीतियों, उपलब्धियों तथा कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जा सके।
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मंत्रिपरिषद ने आबकारी विभाग की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली को आॅनलाइन किए जाने हेतु सेवा प्रदाता का चयन करने के क्रम में परामर्शदाता कम्पनी ई0 एण्ड वाई0 द्वारा तैयार एवं शासन द्वारा अनुमोदित आर0एफ0पी0 के आधार पर सम्पादित की जा रही निविदा प्रक्रिया में प्राप्त प्री-बिड क्वेरीज के आलोक में परामर्शदाता द्वारा तैयार आख्याओं एवं शुद्धि पत्र को अनुमोदित किए जाने एवं शुद्धि पत्र के साथ अपलोड किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
साथ ही, मंत्रिपरिषद ने परामर्शदाता द्वारा तैयार आख्याओं एवं शुद्धि पत्र में आने वाली यदा-कदा कठिनाइयों के समाधान/निवारण एवं प्रक्रिया के सरलीकरण हेतु आबकारी आयुक्त की संस्तुति पर आबकारी मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्णय लिए जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि शासनादेश दिनांक 25 सितम्बर, 2019 द्वारा आबकारी विभाग की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली को पी0ओ0एस0 मशीनों सहित आॅनलाइन किये जाने के क्रम में एण्ड टु एण्ड साॅल्यूशन उपलब्ध कराने वाले सेवा प्रदाता के चयन हेतु आबद्ध ई0 एण्ड वाई0 परामर्शदाता कम्पनी द्वारा तैयार किये गये आर0एफ0पी0 एवं मास्टर सर्विस एग्रीमेंट के आलेख एवं भुगतान प्रक्रिया के सम्बन्ध में निर्गत किया गया।
दिनांक 16 अक्टूबर, 2019 को प्री-बिड मीटिंग आहूत की गयी, जिसमें 64 निविदादाता कम्पनियों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्री-बिड मीटिंग से पूर्व दिनांक 15 अक्टूबर, 2019 तक 814 क्वेरीज़ प्राप्त हुईं। प्री-बिड मीटिंग में निविदादाता कम्पनियों के प्रतिनिधियों द्वारा आर0एफ0पी0 के प्राविधानों के सम्बन्ध में पृच्छायें की गयीं, जिनमें कतिपय पृच्छाओं पर वस्तुस्थिति स्पष्ट की गयी और उन्हें अवगत कराया गया कि प्राप्त समस्त प्री-बिड क्वेरीज़ पर मत स्थिर करते हुए विभाग द्वारा यथावश्यक शुद्धि पत्रों/आख्या से उन्हें शीघ्र ही अवगत कराया जाएगा।
परामर्शदाता द्वारा प्रस्तुत प्री-बिड क्वेरीज़ पर आख्या का परीक्षण वित्त नियंत्रक की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया गया है। समिति द्वारा प्री-बिड में प्राप्त क्वेरीज़ पर परामर्शदाता द्वारा सुझाये गये एवं प्रस्तावित शुद्धि पत्र के अनुसार आर0एफ0पी0 को संशोधित किये जाने एवं शासन स्तर से अनुमोदन प्राप्त किये जाने तथा अनुमोदनोपरान्त शुद्धि पत्र के साथ अपलोड किये जाने की संस्तुति की गयी है।
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मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 की चीनी मिलों द्वारा उ0प्र0 सहकारी बैंक/जिला सहकारी बैंकों से उपलब्ध करायी जाने वाली नकद साख सीमा की सुविधा के लिए दी गई शासकीय गारण्टी पर देय गारण्टी शुल्क माफ किए जाने का निर्णय लिया है।
इसके अन्तर्गत सहकारी चीनी मिलों की जर्जर आर्थिक स्थिति एवं संसाधनों की कमी को देखते हुए पेराई सत्र 2019-20 में उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 की चीनी मिलों के लिए उ0प्र0 सहकारी बैंक एवं जिला सहकारी बैंकों द्वारा उपलब्ध करायी गई नगद साख सीमा की सुविधा के लिए 3221.63 करोड़ रुपए की शासकीय गारण्टी पर देय गारण्टी शुल्क कुल 8.05 करोड़ रुपए को माफ किए जाने का निर्णय लिया गया है।
ज्ञातव्य है कि उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ की चीनी मिलों को चलाए जाने हेतु उ0प्र0 सहकारी बैंक एवं जिला सहकारी बैंकों से ली जाने वाली नकद साख सीमा के विरुद्ध मंत्रिपरिषद की दिनांक 10 सितम्बर, 2019 को सम्पन्न बैठक में शासकीय गारण्टी प्रदान की गई है तथा इस शासकीय गारण्टी पर देय गारण्टी शुल्क को माफ नहीं किया गया है।
विगत पेराई सत्र 2018-19 में 2703.92 करोड़ रुपए की नकद साख सीमा के विरुद्ध शासकीय गारण्टी दी गई थी एवं इस शासकीय गारण्टी पर देय गारण्टी शुल्क को माफ किया गया था। उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल संघ लि0 की 23 चीनी मिलों को चलाये जाने हेतु सहकारी बैंकों, जिला बैंकों से ली जाने वाली नकद साख सीमा के विरुद्ध शासकीय गारण्टी प्रतिवर्ष प्रदान की गयी है, जिस पर नियमानुसार देय गारण्टी शुल्क उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 को प्रदान किया जाना था, किन्तु सहकारी चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के फलस्वरूप देय गारण्टी शुल्क को माफ किये जाने का अनुरोध चीनी मिल्स संघ द्वारा किया गया है।
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मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 राज्य चीनी निगम लि0 की पिपराईच एवं मुण्डेरवा चीनी मिलों के गन्ना किसानों को पेराई सत्र 2019-20 में समय से भुगतान की प्राथमिकता के दृष्टिगत इण्डियन बैंक, गोमतीनगर शाखा, लखनऊ से 9.10 प्रतिशत ब्याज दर पर पिपराईच चीनी मिल हेतु 100 करोड़ रुपए व मुण्डेरवा चीनी मिल हेतु 100 करोड़ रुपए नकद साख सीमा (ओसीसी लिमिट) शासकीय गारण्टी प्रदान किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे पिपराईच एवं मुण्डेरवा चीनी मिलों के गन्ना किसानों को वर्तमान पेराई सत्र 2019-20 में समय से गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा सकेगा। इस शासकीय गारण्टी पर देय गारण्टी शुल्क का भुगतान चीनी निगम/चीनी मिल द्वारा किया जाएगा।
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मंत्रिपरिषद ने केन्द्र सहायतित योजना म्ेजंइसपेीउमदज व िछमू डमकपबंस ब्वससमहमे ।जजंबीमक ूपजी म्गपेजपदह क्पेजतपबजध्त्ममिततंस भ्वेचपजंसे (फेज-1) के अन्तर्गत स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय-अयोध्या, बस्ती, बहराइच, फिरोजाबाद एवं शाहजहांपुर में कार्यरत प्रान्तीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा से लिए गए समस्त पद नामित आचार्य एवं सह-आचार्य के रूप में पद नामित चिकित्सा शिक्षकगण को प्रतिनियुक्ति पर माने जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने इसके लिए स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के सोसाइटी गठन सम्बन्धी बायलाॅज के प्रस्तर-35 में संशोधन का प्रस्ताव भी अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि अयोध्या, बस्ती, बहराइच, फिरोजाबाद एवं शाहजहांपुर में स्थापित स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों में वर्तमान शैक्षणिक सत्र से एम0बी0बी0एस0 पाठ्यक्रम प्रारम्भ हो गया है, जिसमें 100-100 नवप्रवेशी छात्र अध्ययनरत हैं।
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मंत्रिपरिषद ने उत्तरी विधान सभा क्षेत्र, जनपद आगरा में नवीन थाने की स्थापना हेतु सिंचाई विभाग की भूमि गृह विभाग को निःशुल्क हस्तान्तरित किए जाने का निर्णय लिया है। थाने की स्थापना से आम जनसामान्य को और अधिक सुरक्षा व सहयोग प्राप्त होगा तथा पद सृजित होंगे, जिससे रोजगार भी उत्पन्न होगा।
निर्णय के अनुसार उत्तरी विधान सभा क्षेत्र (नेहरू नगर, थाना क्षेत्र हरीपर्वत) में ही मौजा लश्करपुर में नान जेड ए गाटा संख्या-495 रकबा 1-0-13 बीघा/0.2380 हे0 में से 1590 वर्गमीटर भूमि पर नवीन थाने की स्थापना हेतु गृह विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के पक्ष में भौमिक स्वत्वाधिकार सहित ;ूपजी जपजसम व िसंदकद्ध निःशुल्क हस्तान्तरित की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि जनपद आगरा के विधान सभा क्षेत्र-आगरा उत्तर में नवीन थाने की स्थापना की घोषणा की गई है। इस घोषणा के सन्दर्भ में रिपोर्टिंग पुलिस चैकी, कमलानगर को उच्चीकृत कर नवीन थाना, कमलानगर की स्थापना का प्रस्ताव परीक्षणोपरान्त उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय, प्रयागराज ने अपने पत्र दिनांक 04 फरवरी, 2019 द्वारा शासन को प्रेषित किया था।
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मंत्रिपरिषद ने जनपद बरेली स्थित पुराने जिला कारागार को पुनः चालू करने व नवीन जिला कारागार को केन्द्रीय कारागार बरेली (द्वितीय) के रूप में तथा इसमें स्थित महिला कारागार को, बरेली के आस-पास के जनपदों की लम्बी अवधि की सजा से दण्डित महिला सिद्धदोष बन्दियों हेतु ‘महिला केन्द्रीय कारागार’ के रूप में परिवर्तित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
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मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 उपखनिज (परिहार) (अड़तालीसवां संशोधन) नियमावली-2020 केे प्रख्यापन का निर्णय लिया है।
वर्तमान में प्रदेश में उपलब्ध उपखनिजों यथा बालू, मोरम, बजरी, खण्डा, गिट्टी, बोल्डर आदि का खनन परिहार उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली-1963 के अध्याय-4 के अन्तर्गत ई-निविदा सह ई-नीलामी प्रणाली के माध्यम से उच्चतम् बिड के आधार पर स्वीकृत किया जा रहा है। प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों में उपखनिजों के खनन पट्टे आवेदन पत्र प्राप्त कर रायल्टी दर पर स्वीकृत होते हैं जबकि उत्तर प्रदेश राज्य में रायल्टी दर को आधार मूल्य मानकर ई-निविदा सह ई-नीलामी माध्यम से खनन पट्टे स्वीकृत हो रहे हैं। इस कारण उत्तर प्रदेश राज्य में अन्य राज्यों की तुलना में उपखनिजों की रायल्टी दर काफी अधिक होने से स्मअमस चसंलपदह पिमसक के अभाव में उत्तर प्रदेश का खनन व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। अपरोक्ष रूप से खनन/क्रेशर व्यवसाय प्रभावित होने से रोजगार के अवसर भी सीमावर्ती प्रदेशों में स्थानान्तरित हो रहे हैं। उक्त के अतिरिक्त प्रदेश में खनन क्षेत्र रिक्त रहने से उन पर अवैध खनन की सम्भावना बनी रही है। प्रदेश में उपलब्ध खनिज सम्पदा का पर्याप्त दोहन न होने से अपेक्षित राजस्व प्राप्ति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम-1957 की धारा-15 के अन्तर्गत राज्य सरकार को उपखनिजों के सम्बन्ध में नियम बनाने की शक्ति प्रदान की गई है। इसके प्राविधान के अन्तर्गत उ0प्र0 उपखनिज परिहार नियमावली-1963 बनायी गई है, जिसमें अब तक 47 संशोधन हो चुके हैं। उ0प्र0 उपखनिज (परिहार नियमावली-1963) के नियम-21 में यह प्राविधान है कि पट्टाधारक को किसी ऐसे खनिज के सम्बन्ध में, जिसे उसके द्वारा स्वीकृत खनन क्षेत्र से निकाला गया हो, पर नियमावली की प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट दरों पर स्वामित्व (राॅयल्टी) का भुगतान करना होगा। इस नियमावली के इकतालीसवें संशोधन में खनिज के परिवहन पर निर्बन्धन के सम्बन्ध में नियम-70 में आवश्यक प्राविधान हैं।
इसके क्रम में सीमावर्ती राज्यों से आपूर्तित उपखनिजों एवं प्रदेश में उपलब्ध उपखनिजों के बाजारू मूल्यों में समानता के परिप्रेक्ष्य में सीमावर्ती राज्यों से आपूर्तित उपखनिजों पर राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित विनियमन शुल्क अधिरोपित करने हेतु उपखनिज परिहार नियमावली-1963 के नियम-21 और 70 में संशोधन किया जा रहा है।
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मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य में मूल्यानुसार स्टाम्प शुल्क की देयता से सम्बन्धित विलेखों में रजिस्ट्रीकरण शुल्क की प्रभार्यता विलेख के मूल्य पर अधिकतम 01 प्रतिशत निर्धारित किए जाने हेतु दिनांक 08 दिसम्बर, 2015 से प्रख्यापित रजिस्ट्रीकरण शुल्क की सारणी में संशोधन करने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में राज्य में रजिस्ट्रीकृत होने वाले विलेखों पर प्रभार्य रजिस्ट्री शुल्क की सारणी लागू की गई थी, जिसमें विलेख के मूल्य के अनुसार 02 प्रतिशत किन्तु अधिकतम 20 हजार रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया था। इस प्रणाली के सम्बन्ध में यह संज्ञान में आया कि इसमें कम मूल्य के विलेखों पर शुल्क की दर बड़े मूल्य के विलेखों पर देय शुल्क से ज्यादा हो गयी है।
इस सम्बन्ध में देश के अधिकांश राज्यों द्वारा इस व्यवस्था से अलग विलेखों के रजिस्ट्रीकरण में मूल्य के अनुसार 01 प्रतिशत का रजिस्ट्री शुल्क बिना किसी अधिकतम सीमा के लागू किया गया है। इसी व्यवस्था को उ0प्र0 राज्य में भी लागू किए जाने के लिए वर्ष 2015 में लागू की गयी फीस सारणी में अपेक्षित संशोधन किया जा रहा है।
रजिस्ट्री शुल्क 01 प्रतिशत किए जाने से समाज के निम्न एवं मध्यम वर्ग के लोगों को उनके कम मूल्य के विलेखों पर कम रजिस्ट्री शुल्क प्रभार्य होने से राहत प्राप्त होगी तथा बड़े मूल्य के विलेखों पर समुचित रजिस्ट्री शुल्क प्राप्त हो सकेगा।
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मंत्रिपरिषद ने जनपद चन्दौली की तहसील पं0 दीनदयाल उपाध्याय नगर के ग्राम-हरिहरपुर, व्यासपुर, फतहपुर, खुटहां एवं चांदीतारा में स्थित श्रम विभाग की
34.03 एकड़ (13.767 हे0) भूमि को एन0डी0आर0एफ0 की 11वीं बटालियन के मुख्यालय हेतु निःशुल्क आवंटित करने का निर्णय लिया है। इससे जनपद चन्दौली तथा इसके समीपवर्ती जनपदों में किसी प्रकार की आपदा के घटित होने पर प्रभावित व्यक्तियों/परिवारों को एन0डी0आर0एफ0 की त्वरित सहायता प्राप्त हो सकेगी।
ज्ञातव्य है कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जनपद वाराणसी में एन0डी0आर0एफ0 की एक अतिरिक्त बटालियन तैनात की गई है। जनपद वाराणसी में राष्ट्रीय आपदा मोचक दल (एन0डी0आर0एफ0) की 11वीं बटालियन, जो वर्तमान में किराए के भवन से कार्य कर रही है, को मुख्यालय के निर्माण हेतु भूमि उपलब्ध कराए जाने की अपेक्षा की गई है। इसके दृष्टिगत जनपद चन्दौली में श्रम विभाग की उक्त भूमि को एन0डी0आर0एफ0 की 11वीं बटालियन के मुख्यालय हेतु निःशुल्क आवंटित की जाएगी। इससे एन0डी0आर0एफ0 की 11वीं बटालियन के स्थायी मुख्यालय हेतु भूमि उपलब्ध हो सकेगी।
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मंत्रिपरिषद ने भूतपूर्व सैनिकों की समेकित सुविधाओं हेतु ई0सी0एच0एस0 पाॅलीक्लीनिक के निर्माण के लिए जनपद बिजनौर की तहसील बिजनौर के ग्राम-फरीदपुर खेमा (अन्दर नगर पालिका) गाटा संख्या-81मि0 क्षेत्र0 0.070 हे0 भूमि ‘जो राजस्व अभिलेखों में श्रेणी-5-3-ङ अन्य कृषि योग्य बंजर भूमि के रूप में दर्ज है’ को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। ई0सी0एच0एस0 पाॅलीक्लीनिक के निर्माण से भूतपूर्व सैनिकों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
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मंत्रिपरिषद ने 28 प्रस्तावों की प्रायोजक संस्थाओं को निजी विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु ‘आशय-पत्र’ निर्गत करने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-12 सन् 2019) विधायी अनुभाग-1 की अधिसूचना दिनांक 06 अगस्त, 2019 द्वारा प्रख्यापित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 30 अगस्त, 2019 द्वारा इस अधिनियम को दिनांक 01 सितम्बर, 2019 से प्रवर्तित किया गया है।
उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण उपरोक्त अधिनियम, 2019 के प्राविधानों के अन्तर्गत राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गयी समितियों के माध्यम से कराया गया।
शासन को प्रस्तुत की गयी निरीक्षण आख्याओं पर विचार कर संस्तुति उपलब्ध कराने हेतु कार्यालय-ज्ञाप दिनांक 05 जुलाई, 2019 सपठित शासनादेश दिनांक 23 सितम्बर, 2019 द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया, जिसमें अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, प्रमुख सचिव, न्याय विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन तथा विशेष सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन को सदस्य नामित किया गया।
मुख्य सचिव समिति द्वारा विचारोपरान्त 28 प्रस्तावों की प्रायोजक संस्थाओं को आशय-पत्र निर्गत करने की संस्तुति की गयी है। इनमें आई0आई0एल0एम0 विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा, के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय मथुरा, राधा गोविन्द विश्वविद्यालय चन्दौसी, संभल, फ्यूचर यूनिवर्सिटी बरेली, वरुण अर्जुन यूनिवर्सिटी शाहजहांपुर, नारायण यूनिवर्सिटी कानपुर नगर, आई0टी0एस0 यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा, बाबू जय शंकर गया प्रसाद यूनिवर्सिटी उन्नाव, शारदा विश्वविद्यालय आगरा, के0सी0सी0 यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा, के0डी0 यूनिवर्सिटी मथुरा, आॅरडिअल विश्वविद्यालय मड़िहान, मिर्जापुर, बैक्सिल नेशनल विश्वविद्यालय मुजफ्फरनगर, कैरियर यूनिवर्सिटी लखनऊ, श्री सिद्धिविनायक यूनिवर्सिटी बरेली, विद्या विश्वविद्यालय मेरठ, एफ0एस0 यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, ऐवेन्यूज इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फिरोजाबाद, सरोज इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी लखनऊ, राममूर्ति स्मारक यूनिवर्सिटी बरेली, प्रसाद इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी लखनऊ, टी0एस0 मिश्रा विश्वविद्यालय लखनऊ, एच0आर0आई0टी0 विश्वविद्यालय गाजियाबाद, सरस्वती ग्लोबल यूनिवर्सिटी उन्नाव, युनाइटेड विश्वविद्यालय इलाहाबाद, महात्मा गांधी स्किल एण्ड ओपेन यूनिवर्सिटी उन्नाव, वेदान्ता विश्वविद्यालय मुजफ्फरनगर, एस0के0एस0 इन्टरनेशनल यूनिवर्सिटी मथुरा के प्रस्ताव शामिल हैं।
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‘मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सहकारी संग्रह निधि और अमीन तथा अन्य कर्मचारी सेवा (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 2020’ प्रख्यापित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत विभागीय हित में वर्तमान में निर्धारित कमीशन की दरों को 04 एवं 06 प्रतिशत के स्थान पर 03 प्रतिशत करने तथा अतिरिक्त कमीशन को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। तद्क्रम में ‘उत्तर प्रदेश सहकारी संग्रह निधि और अमीन तथा अन्य कर्मचारी सेवा नियमावली, 2002’ के नियम 24 के उपनियम (1) व (2) एवं 25 के उपनियम (ग) मंे संशोधन किया गया है।
वर्तमान में उ0प्र0 राजस्व संहिता नियमावली, 2016 के नियम 179 में बकायेदारों से वसूल किये जाने वाली संग्रह शुल्क की दर 05 प्रतिशत निर्धारित कर दी गयी है। ऐसी स्थिति में सहकारी कमीशन अमीनों को भूराजस्व की भांति वसूली किये जाने पर उ0प्र0 सहकारी संग्रह निधि और अमीन तथा अन्य कर्मचारी सेवा नियमावली, 2002 के नियम 24 के उपनियम (1) में निर्धारित कमीशन की दरों 04 एवं 06 प्रतिशत से कमीशन तथा नियम 24 के उपनियम (2) के अनुसार कमीशन दिया जाना सम्भव नहीं है।
ज्ञातव्य है कि सहकारी समितियों के अतिदेयों के बकाये की वसूली मालगुजारी के बकाये की भांति करने के लिए सम्बन्धित जिलों के जिलाधिकारी द्वारा कुर्क अमीनों की नियुक्ति की जाती है। सहकारी कुर्क अमीनों द्वारा वसूल किया गया 10 प्रतिशत संग्रह शुल्क एक निधि में जमा होता है, जिसे संग्रह निधि कहते हैं। इसी निधि से अमीनों को वेतन/कमीशन तथा अन्य कर्मचारियों का वेतन दिया जाता है। मा0 उच्चतम न्यायालय में राज्य सरकार द्वारा योजित सिविल अपील संख्या-6067/1997 एवं उसके साथ सम्बद्ध अपील संख्या-8467-68/1995 में पारित आदेश दिनांक 20.03.2001 द्वारा उक्त दाखिल अपीलों को निरस्त किये जाने के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा मा0 उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन किये जाने हेतु दिनांक 30.10.2002 को उ0प्र0 सहकारी संग्रह निधि और अमीन तथा अन्य कर्मचारी सेवा नियमावली 2002 प्रख्यापित की गयी, जिसमें बाद में तीन संशोधन भी किये गये।
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मंत्रिपरिषद ने माध्यमिक विद्यालयों को प्रान्तीयकृत किये जाने के सम्बन्ध में नीति निर्धारण के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य सरकार प्रदेश में जन सामान्य को गुणवत्तापरक शिक्षा के सुगमता पूर्वक समान अवसर उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है। इस हेतु आवश्यक है कि प्रदेश के प्रत्येक जनपद में कम से कम 01 राजकीय इण्टर काॅलेज (बालक) स्थापित एवं संचालित हों। जिन जनपदों में राजकीय इण्टर काॅलेज (बालक) है, उनमें बालिकाएं भी शिक्षा ग्रहण कर सकती है, परन्तु जिन जनपदों में राजकीय इण्टर काॅलेज (बालिका) है उनमें बालक शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते हैं। अतः प्रदेश के जिन जनपदों में एक भी राजकीय इण्टर काॅलेज (बालक) संचालित नहीं है, उनमें राजकीय इण्टर काॅलेज (बालक) की स्थापना में लगने वाले 03 से 04 वर्ष के समय को देखते हुए, इन जनपदों में नीति के अनुसार एक विद्यालय को प्रान्तीयकृत किये जाने पर विचार किया जाएगा।
जनपद में विद्यालय को प्रान्तीयकृत किये जाने हेतु चयन से पूर्व सर्वप्रथम विकास खण्ड का चयन किया जाना है, जिसमें वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या अधिक हों, अनुसूचित जाति/जनजाति की कुल जनसंख्या अधिक हो तथा विकास खण्ड की साक्षरता प्रतिशत कम हो। सम्बन्धित विकास खण्ड में 05 कि0मी0 की परिधि में कोई राजकीय हाईस्कूल/सहायता प्राप्त विद्यालय (हाईस्कूल स्तर तक अनुदानित) तथा 07 कि0मी0 की परिधि में सहायता प्राप्त इण्टर काॅलेज (इण्टर स्तर तक अनुदानित) न हो। सम्बन्धित जनपदों के विद्यालयों के प्रान्तीयकरण हेतु चिन्हांकन के लिए सम्बन्धित जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया जाएगा, जो नीति के आलोक में पारदर्शिता के आधार पर सम्बन्धित जनपद के विकास खण्ड में विद्यालय का चयन करेगी।
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