पर्यावरण के अनुकूल तकनीक अपनाकर, मुख्य सड़कों के किनारे यात्री सुविधाओं को विकसित कर और सड़क विकास निगम की स्थापना कर उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग बेहतर आर्थिक विकास के लिए अपने सांगठनिक ढांचे का पुर्नगठन कर रहा है।
लखनऊ।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में लोक निर्माण विभाग अपने कामकाज में तेजी से बदलाव ला रहा है। आधुनिक तकनीक का उपयोग और कम लागत में गुणवत्तापरक कार्य करने के उद्देश्य से सलाहकारों के चयन के लिए प्रजेंटेंशन की प्रारम्भिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। लोक निर्माण विभाग के सभागार में हुई प्रस्तुतिकरण के दौरान दो दिनों में विभिन्न सलाहकार एजेंसियों ने अपने-अपने सुझाव बताए।
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण को 14 जानी-मानी और उच्च-स्तरीय सलाहकार कम्पनियों ने अपनी खूबियों के बारे में बताया। इस दौरान मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डा. केवी राजू, लोक निर्माण विभाग के सचिव रंजन कुमार और लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।
कम्पनियों और संस्थानों ने सड़क सुरक्षा के विभिन्न मुद्दों पर अपने सुझाव दिए। इन सुझावों में राज्य राजमार्गों और मुख्य सड़कों के किनारे नागरिक सुविधाएं बढ़ाना, ट्रक चालकों और यात्रियों के लिए अपने वाहनों को पार्क करने और रात बिताने के लिए सुरक्षित स्थान बनाना, प्राथमिक उपचार और चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था करना, स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को अपने उत्पादों और स्थानीय व्यंजनों को बेचने के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना शामिल था। क्षेत्रीय आर्थिक विकास के लिए भी कम्पनियों और संस्थानों की तरफ से विचार प्रस्तुत किए गए। जिसमें यह बताया कि गया जिस क्षेत्र से यात्री गुजर रहे हैं, उसके आस-पास के आकर्षक स्थानों के बारे में उन्हें जानकारी दी जाए, इससे यात्री अन्य स्थानों की यात्रा के विषय में अपना विचार बना सकेंगे। जिससे पर्यटन में वृद्धि होने के साथ ही उस क्षेत्र की आमदनी भी बढ़ेगी।
प्रस्तुतीकरण के दौरान प्रदेश में सड़क नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा की गई। जिसमें यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सड़कों की डिजाइन पर जोर दिया गया। दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों के चिन्हित कर हादसों में कमी लाने के लिए विशेष रणनीति बनाई जाए। इस दौरान यह बात भी सामने आई की प्रदेश की सड़कों को बेहतर बनाने और यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लोक निर्माण विभाग अपने सुरक्षा प्रबंधन, तत्परता और क्षमता का विश्लेषण करते हुए उसमें सुधार के उपाय तलाशे। सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कानूनी, वित्तीय और संगठनात्मक पहलुओं के साथ-साथ विभिन्न प्राधिकरणों के बीच सहयोग लेकर एक स्थायी संस्थागत ढांचे की स्थापना की जा सकती है।
प्रस्तुतीकरण के दौरान पुल, बिल्डिंग और सड़कों के निर्माण और रखरखाव में नई और पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों को अपनाने के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस दौरान विभिन्न कम्पनियों और संस्थानों ने प्रजेंटेंशन देते हुए स्थायी शहरी विकास के लिए हरित राजमार्गों और हरित भवनों के निर्माण का सुझाव दिया। राजमार्गों और सड़कों के किनारे पार्किंग स्थल के लिए जल पारगम्य फुटपाथ प्रणाली विकसित करना, जिससे वर्षा जल नालियों में जाने की जगह भूमि में जा सके और सड़कों को नुकसान न पहुंचे। औद्योगिक कचरे जैसे फ्लाई ऐश ब्लास्ट फर्नेस स्लैग, मार्बल स्लज, सीमेंट भट्ठों की धूल आदि पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हैं। इनसे आर्टिफिशियल एग्रीगेट्स विकसित करने के सुझाव दिए गए। जिससे कार्बन फुट प्रिंट कम हो सके।
प्रस्तुतिकरण के दौरान यूपी पीडब्ल्यूडी, यूपी एसबीसी, यूपी आरएनएन और यूपी एसएचए के पुनर्गठन पर विस्तार से चर्चा की गई। चर्चा में यह भी आया कि बेहतर प्रणाली के साथ उच्च आर्थिक विकास को प्राप्त करने के लिए लोक निर्माण विभाग के पुर्नगठन की आवश्यकता है। बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए यूपीएसबीसी, यूपीआरएनएन और यूपीएसएचए के कामकाज के सुधार पर भी विस्तार से चर्चा की गई। उत्तर प्रदेश राज्य में सड़क विकास निगम के निर्माण के लिए प्रतिष्ठित सलाहकारों के सुझावों पर भी चर्चा की गई।
प्रस्तुतीकरण के दौरान विभिन्न कंसल्टेंट कम्पनियों और संस्थानों ने अपने-अपने विचार रखें। जिसमें आईआईएम, महाराष्ट्र, आईआईटी, इंदौर, भारतीय प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय, हैदराबाद, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट, नई दिल्ली, ब्रिस्क सिएनर्जीस, कनाडा, डेलॉइट टीशै टोमात्सु इंडिया एलएलपी और ध्रुव कंसल्टिंग सर्विसेज लिमिटेड, मुंबई जैसी प्रमुख कम्पनियां और संस्थान शामिल रहे।