धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से राहु और प्रेम_संबंध……

आमतौर पर माना जाता है कि प्रेम प्रकरण के लिए शुक्र स्वराशि में, बारहवें भाव का बलवान होना या शुक्र से संबंध तथा पंचम भाव का बलवान होना ही पर्याप्त है परन्तु राहु भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। राहु प्रेम संबंधों के पनपने के लिए उत्तरदायी होता है।
प्रेम संबंध भी उस प्रकार के जिसमें दो व्यक्ति समाज से नजरें बचाकर एक-दूसरे से मिलते हैं, राहु उनके लिए उत्तरदायी होता है। राहु रहस्य का कारक ग्रह है और तमाम रहस्य की परतें राहु की ही देन होती हैं। राहु झूठ का वह रूप है जो झूठ होते हुए भी सच जैसे प्रतीत होता है।
जो प्रेम संबंध असत्य की डोर से बंधे होते हैं या जो संबंध दिखावे के लिए होते हैं वे राहु के ही बनावटी सत्य हैं। राहु व्यक्ति को झूठ बोलना सिखाता है। बातें छिपाना, बात बदलना, किसी के विश्वास को सफलतापूर्वक जीतने की कला राहु के अलावा कोई और ग्रह नहीं दे सकता।
राहु एकतरफा प्रेम का वह रूप है जिसमें व्यक्ति कभी अपने प्यार के सामने नहीं आता और फिर भी चुपचाप सबकुछ देखता रह जाता है, क्योंकि परिस्थितियां, ग्रह गोचर अनुकूल नहीं हैं बलवान नहीं हैं।
राहु वह लालच है जिसमें व्यक्ति को कुछ अच्छा-बुरा दिखाई नहीं देता केवल अपना स्वार्थ ही दिखाई देता है। मांस मदिरा का सेवन, बुरी लत, चालाकी और क्रूरता, अचानक आने वाला गुस्सा, पीठ पीछे की बुराई यह सब राहु की विशेषताएं हैं। असलियत को सामने न आने देना ही राहु की खासियत है और हर तरह के झूठ का पर्दाफाश करना केतु का धर्म है।
केतु ही है जो संबंधों में दरार डालता है क्योंकि केतु ही दरार है। घर की दीवार में यदि दरार आ जाए तो समझ लीजिए की यह केतु का बुरा प्रभाव है और यदि संबंधों में भी दरार आ जाए, घर का बंटवारा हो जाए या रिश्तों की परिभाषा बदल जाए तो यह केतु का काम समझें। दुविधा में राहु का हाथ होता है।
किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना का कारक राहु ही होता है। यदि आप मन से जानते हैं की आप झूठ की राह पर हैं परंतु आपका भ्रम है कि आप सही कर रहे हैं तो यह धारणा आपको देने वाला राहु ही है।
■ राहु का यह योग बनता है
तलाक का कारण …
राहु और केतु अगर जातक की कुंडली में दशा-महादशा में हों तो यह व्यक्ति को काफी परेशान करने का कार्य करते हैं। यदि कुंडली में उनकी स्थिति ठीक हो तो जातक को अप्रत्याशित लाभ मिलता है और यदि ठीक न हो तो प्रतिकूल प्रभाव भी उतना ही तीव्र होता है।
ज्योतिष शास्त्र में प्रेम विवाह और तलाक के कई योग दिए गए हैं। उनमें से एक योग राहु के पहले भाव में अकेले स्थित होने पर बनता है। यदि कुंडली के पहले या सातवें भाव में राहु की मौजूदगी है तो व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते है। ऐसे व्यक्ति घरवालों की सोच से अलग विवाह करना चाहते है तो इसमें आपका पक्ष मजबूत हो जाता है यानी घरवालें जल्द ही आपकी बात मान जाएंगे।
यदि किसी शुभ ग्रह का प्रभाव नहीं होने पर पति-पत्नी को अपना विवाह जीवन बचाने के लिए काफी संघर्ष करना पड सकता है। राहु-केतु के अकेले पहले भाव में होने से ऐसी शादी के निभाने में घरवालों द्वारा ही परेशानी खड़ी की जा सकती है। यह संभावना हो सकती हैं कि लंबे समय तक जीवनसाथी से दूर रहना पड़े।
राहु का स्वभाव अलग करना और दूरियां लाना भी है। कुंडली में जहां पहिले या सातवे घर में बैठा राहु जीवनसाथी से आकर्षण में बांधे रखता है। वहीं यह राहु वैचारिक मतभेद की स्थिति भी निर्मित करता है। जिसके फलस्वरुप पति-पत्नी के मध्य तनाव की स्थिति आ जाती है।
पति-पत्नी को अपने रिश्ते में मधुरता लाने के लिए लक्ष्मी-नारायण की ऐसी मूर्ति जिसमें माता लक्ष्मी विष्णु जी के पैर दबा रहीं हों, पूजा घर में रखना चाहिए। हर शुक्रवार को इस मूर्ति का पूजन करें। ऊँ लक्ष्मी नारायणाय नम: मंत्र का 108 बार जप करें। माता लक्ष्मी व नारायण को चावल की खीर का भोग लगाएं। इस खीर के प्रसाद को पति-पत्नी जरुर खाएं।
यदि राहु के कारण वैवाहिक संबंध बिगडऩे की स्थिति हो तो अपने रिश्ते को बचाने के लिए पति-पत्नी दोनों को प्रत्येक शनिवार को पानी में जटा वाला एक नारियल बहाना चाहिए।
SNC Urjanchal News Hindi News & Information Portal