कनहर विस्थापितों को नहीं मिला न्याय 23 जनवरी से होगी लखनऊ में लोकतंत्र बचाओं अभियान की शुरूवात
दुद्धी, सोनभद्र 15 जनवरी 2020।आदिवासियों को हिन्दू बनाकर आरएसएस-भाजपा की सरकार उन्हें संविधान में मिले विशेष अधिकारों को छीन लेगी इसलिए आदिवासी समाज को इनकी राजनीति से सावधान रहने की जरूरत है। यह बातें आज दुद्धी ब्लाक के विभिन्न गांवों व कनहर विस्थापितों के साथ जन संवाद करते हुए स्वराज अभियान के राष्ट्रीय नेता अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज प्राकृति उपासक है और उसकी अलग सभ्यता, संस्कृति, धार्मिक परम्परा और भाषा व लिपि है। इसीलिए संविधान निर्माताओं ने उसे हिंदू धर्म से अलग मानकर संविधान में विषेष अधिकार दिए थे यहां तक कि संविधान में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के लिए पांचवी व छठीं अनुसूची का प्रावधान किया गया। सुप्रीम कोर्ट से लेकर तमाम हाईकोर्ट ने अपने फैसलों में आदिवासी को हिंदू नहीं माना है। पर कारपोरेट की सेवा में लगी आरएसएस-भाजपा की सरकार संशोधित नागरिकता कानून व नागरिकता रजिस्टर के जरिए आदिवासियों को जबरन हिंदू बनाने में लगी है ताकि उसे मिले संविधान प्रदत्त विशेष अधिकार खत्म हो जाए। यहीं कारण है कि पूर्वाेत्तर से लेकर पूरे देश का आदिवासी सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी वायदों के बावजूद कनहर विस्थापितों को न्याय नहीं मिला। हमारे पत्र पर योगी सरकार ने लिखित आश्वासन दिया था कि छूटे हुए विस्थापित परिवारों को सूची में जोड़कर मुआवजा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह भी लिखा था कि उत्पीड़न नहीं होगा और जांच कराकर निर्दोषों पर लगे फर्जी मुकदमें वापस लिए जायेगें। लेकिन आज तक इस दिशा में कार्यवाही नहीं हुई अभी भी मुआवजा सूची में विसंगतियां मौजूद है। इतना हर नहीं बीडीसी पंकज गौतम समेत तमाम लोगों को गुण्ड़ा एक्ट लगाकर जिला बदर कर दिया गया। पूरे प्रदेश में तानाशाही कायम कर दी गयी है और लोकतंत्र पर हमले किए जा रहे है। ऐसे में 23 जनवरी से लखनऊ से लोकतंत्र बचाओं अभियान की शुरूवात की जायेगी। इस अभियान में कनहर विस्थापितों के अधिकारों और आदिवासी-दलित बाहुल्य सोनभद्र, मिर्जापुर और नौगढ़ के विकास के लिए विशेष पैकेज की मांग को मजबूती से उठाया जायेगा। बैठकों में स्वराज अभियान नेता दिनकर कपूर, युवा मंच संयोजक राजेश सचान, पूर्व प्रधान इस्लामुद्दीन, प्रधान सुदंरी फणीश्वर जायसवाल, पूर्व बीड़ीसी रामदास गोंड़, चंद्रमणि खरवार, मोहम्मद अलीमुद्दीन अंसारी, मकसूद आलम, हामिद अली, कृपाशंकर पनिका, रामफल गोंड़ आदि ने भी अपनी बात रखी।
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