वाराणसी। प्रदेश पुलिस के इतिहास में नया अध्याय लिखते हुए सीएम योगी ने कमिश्नर प्रणाली अंतत: लागू कर दी। बहरहाल लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर बनाये गये सुजीत पाण्डेय की छवि पूर्वांचल में सुपर कॉप की रही है। लगभग डेढ़ दशक पहले हुए मऊ के बहुचर्चित दंगों के बाद माफिया डॉन की खुली जिप्सी पर रायफल लहराते हुए फोटो मीडिया की सुर्खियां बनी तो तत्कालीन प्रदेश सरकार ने स्टेट प्लेन से एसपी के रूप में कार्यभार गङरण करने के लिएभेजा था। इससे पहले उन्होंने एसपी गाजीपुर रहते हुए जिस तरह ने यहां आतंक का पर्याय माने जाने वाले माफिया पर नकेल कसी थी उससे उनकी छवि तेज-तर्रार ही नहीं बल्कि निर्भीक अफसर की बनी थी। काशी में भी एसएसपी के रूप में उन्होंने में सिर्फ कुख्यात अपराधियों को मुठभेड़ में उनके अंजाम तक पहुंचाया था बल्कि संंगठित अपराध पर लगाम कस दी थी।
*लंबे समय तक रही सीबीआई में तैनाती*
मूल रूप से भागलपुर (बिहार) के रहने वाले 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी सुजीत पाण्डेय 2007 के विधानसभा चुनाव के बाद केन्द्रीय प्रतिनियुुक्त पर सीबीआई में चले गये थे। लंबे समय तक सीबीआई को सेवाएं दे चुके सुजीत पाण्डेय की प्रदेश में डायल 100 प्रोजेक्ट को सुचारू रूप से आरम्भ कराने में अहम भूमिका रही है। इसके बाद उन्होंने एसटीएफ के आईजी के रूप में कुख्यात और शातिर अपराधियों के खिलाफ आपरेशन की अगुवाई की है। लखनऊ में एसएसपी के साथ आई रह चुके सुजीत पाण्डेय यहां की पुलिसिंग को भली भांति जानते हैं जिससे कमिश्नर के रूप में काम करने में सहूलियत रहेगी। फिलहाल वह एजीडी प्रयागराज जोन थे।