मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश के बाद भी दोषी पर नही हुयी अनुशासनात्मक कार्यवाही
जिलाधिकारी महोदय मामलें को संज्ञान में लेते हुये तत्काल करे कार्यवाही
चोपन/सोनभद्र। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहा एक तरफ पूरे प्रदेश भर में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिये लगातार भ्रष्टाचारीयों पर कार्यवाही कर रहे है वही सोनभद्र में कुछ अधिकारी के लिये यह सिर्फ हवा हवाई लगता नजर आ रहा है। जनपद सोनभद्र के विकास खण्ड चोपन के ग्राम पंचायत कोटा में बनी नवटोलिया से बसुधा संपर्क मार्ग के संबंध में सावित्री देवी द्वारा 2 अगस्त 2019 को जिलाधिकारी सोनभद्र महोदय को शिकायत किया गया था जिसके बाद डीएम ने इसकी जाँच मुख्य विकास अधिकारी-सोनभद्र,ग्राम्य विकास विभाग को दिया गया था।शिकायत के प्रकरण के संबंध में जाँच कर खण्ड विकास अधिकारी द्वारा रिपोर्ट मांगा गया था।जिसके संबंध में कार्यालय खण्ड विकास अधिकारी चोपन सोनभद्र द्वारा पत्रांक संख्या-552/आई0जी0आर0एस0/जाँच/2019-20 दिनाँक 09 अगस्त 2019 को हरिशंकर सिंह अवर अभियंता(आर0ई0डी0),विनोद कुमार सिंह अवर अभियंता (लघु सिचाई),अम्बरीष मोहन श्रीवास्तव (तकनीकी सहायक) अधिकारियों को नामित करते हुये उक्त संपर्क मार्ग में प्रयोग किये गये सामग्री की गुणवत्ता की जाँच संयुक्त रूप से करके का निर्देश दिया था। जिसकी जाँच पूरी कर खण्ड विकास अधिकारी, चोपन सोनभद्र ने अपने पत्र संख्या-765 दिनांक-28.08.2019 द्वारा अवगत कराया है कि जांच हेतु त्रिस्तरीय समिति का गठन कर प्रकरण की जांच करायी गयी। जांच समिति ने आख्या में अवगत कराया है कि सी0सी0 रोड की लम्बाई 678.00, चैडाई 3.50 मीटर (साइडवाल सहित) में सी0सी0 रोड का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिसमें 85.30 मीटर बीच में सी0सी0 रोड का निर्माण कार्य नहीं हुआ है। सी0सी0 रोड के प्रारम्भ से क्रमशः चैनेज 12 मीटर पर सी0सी0 रोड की मोटाई 7.00 सेमी, 80 मीटर पर 9.00 सेमी, 114 मीटर पर 6 सेमी, 376 मीटर 12 सेमी एवं 500 मीटर पर 13 सेमी, 378 मीटर पर 8.00 सेमी मोटाई पायी गयी। बेस कोट में पी0सी0सी0 में स्थानीय सामग्री (सोलिंग) का प्रयोग किया गया है। सी0सी0 रोड की ढलाई क्रमशः (1ः 2ः 4) के निम्न स्तर के सामग्री से की गयी है, जिसके कारण सी0सी0 रोड, जगह-जगह काफी ज्यादा क्षतिग्रस्त हो चुकी है। कार्य की गुणवत्ता प्रथम दृष्टया खराब पायी गयी। जांच अधिकारी द्वारा यह उल्लेख किया गया है कि सम्बन्धित ग्राम पंचायत सचिव द्वारा अभिलेख उपलब्ध न कराये जाने के कारण निर्माण कार्य के प्राक्कलन में प्राविधानित मद के अनुसार लम्बाई, चैड़ाई तथा मोटाई का वास्तविक आकलन नहीं किया जा सका, जबकि इनके कार्यालय के पत्र संख्या-552 दिनांक-16.08.2019 द्वारा श्री बृजेश कुमार सिंह, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को सम्बन्धित अभिलेख उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया था।परंतु कोई भी अभिलेख उपलब्ध नही उपलब्ध कराया गया था।उसके बाद मुख्य विकास अधिकारी सोनभद्र द्वारा पत्रांक संख्या 1684/शि0लि0/2019-20 दिनांक 2 सितंबर 2019 में बताया गया कि मिली त्रिस्तरीय जाँच रिपोर्ट के अनुसार स्पष्ट है कि सम्बन्धित ग्राम पंचायत सचिव द्वारा उक्त निर्माण कार्य में अनियमितता की गयी है, जिसके लिए बृजेश कुमार सिंह दोषी है। ग्राम पंचायत कोटा में तैनात बृजेश कुमार सिंह ग्राम पंचायत अधिकारी के विरूद्ध कार्य में अनियमितता एवं त्रुटिपूर्ण कार्य कराने के लिए दोषी मानते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही करने हेतु प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। जिसके संबंध में नियमानुसार कार्यवाही हेतु जिला पंचायत राज अधिकारी, सोनभद्र को पत्राचार करते हुये निर्देशित कर दिया गया है।लेकिन लगभग 3 महीना होने को है लेकिन अभी कोई कार्यवाही नही हुई।
पुनः इसकी शिकायत 14/12/2019 को किया गया जिसमें खण्ड विकास अधिकारी सोनभद्र द्वारा पत्रांक संख्या 2039/स्था0/शि/आई0जी0आर0एस0/2019-20 27/12/2019 को उक्त शिकायत के संबंध में बताया की उक्त प्रकरण की जाँच हरिशंकर सिंह अवर अभियंता (आर0ई0डी0) को नामित किया गया। जिसमे जाँच अधिकारी द्वारा पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया कि प्रकरण की जाँच मुख्य विकास अधिकारी सोनभद्र द्वारा त्रिस्तरीय समिति गठित कर के कराया गया था समिति द्वारा जाँच कर जाँच आख्या सौप दिया गया था।जिसमे जाँच में दोषी बृजेश कुमार सिंह ग्राम पंचायत अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु जिला पंचायत राज अधिकारी सोनभद्र को प्रस्ताव प्रेषित कर दिया गया है।जिसमे कार्यवाही खण्ड विकास अधिकारी से सम्भव नही है।
इस प्रकरण में पुनः सावित्री देवी द्वारा मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन,मंडलायुक्त मिर्जापुर,जिलाधिकारी सोनभद्र जल्द कार्यवाही करने हेतु मेल भेजा गया है।साथ ही सावित्री देवी ने कहा कि लगातर ग्राम पंचायत सचिव पर शिकायत के बाद कार्यवाही न होना कही न कही दाल में कुछ काला दर्शाता है।जिससे संबंधित विभाग के उच्च अधिकारी की भूमिका संदिग्ध है।क्योंकि अगर जाँच के लिये टीम गठित हुयी तो कार्यवाही क्यों नही किया गया।