राबर्ट्सगंज में 17वें अखिल भारतीय मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

सोनभद्र। प्रसिद्ध शायर मिर्जा गालिब के जन्म दिवस 27 दिसंबर,2019 को हर साल की तरह गालिब मित्रमंच फाउण्डेशन, राबर्ट्सगंज द्वारा विजय जैन, पूर्व चेयरमैन के अरिहंत कैम्पस, राबर्ट्सगंज में 17वें अखिल भारतीय मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इसमें समस्त भारत से शायरों व कवियों ने भाग लिया। संस्था के अध्यक्ष विकास वर्मा ने मिर्जा गालिब के जीवन पर प्रकाश डाला। मुशायरा रात्रि 8ः00 बजे प्रातः 5 बजे तक चला। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर खुमार देहलवी एवं मंच संचालन कलीम दानिश ने किया। सर्व प्रथम गालिब मित्र मंच फाउण्डेशन के संरक्षक विजय जैन, अध्यक्ष विकास वर्मा, सचिव अशोक श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष रामप्रसाद यादव, संयोजक जेवी सिंह, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सदर विधायक माननीय भूपेश चौबे, विशिष्ट अतिथि एडीएम योगेंद्र बहादुर सिंह, अतिथिगणों एवं गालिब मित्रमंच फाउण्डेशन के सदस्यों ने द्वीप प्रज्ज्वलन किया। तत्पश्चात अतिथिगणों एवं शायरों का माल्यार्पण के साथ शाल ओढ़ाकर और प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया।

मुशायरे की शुरुआत जगदीश पंथी द्वारा सरस्वती वंदना एवं कासिम नदीमी द्वारा नात-ए-पाक से की गयी। स्रोताओं ने सभी शायरों, शायराओं और कवियों को बड़े मन से सुना और दाद दी। मुशायरे में किसी शायर ने जिन्दगी की हकीकत पर, किसी ने आज के हालात पर, किसी ने सियासत पर, किसी ने रंज-ओ-गम पर, किसी ने मोहब्बत को लेकर शेश्र पढ़े। सभी शायरों, शायराओं एवं कवियों के असआरों एवं स्रोताओं की उपस्थिति ने सर्द मौसम में भी माहौल गर्माये रखा। शायरों के कुछ शेश्र इस प्रकार हैं- विहाई बेटियाँ जाएँगी कैसे, किसानों पर अभी कर्जे बहुत हैं। – खुमार देहलवी मैं क्या बताऊँ, क्या सरे बाजार हो गयाइंसानियत का खून ही इस बार हो गया – जमील खैराबादी उनकी जिस सम्त भी नजर जाएरोशनी-रोशनी बिखर जाए – शमीम- गाजीपुरी कब रहा शाह-ए-सुखन महदूद पैमानों के बीचगालिबन गालिब रहा गालिब गजल ख्वानों के बीच – हसन सोनभद्रीउसकी नजरों में था उतर भी गयाजी रहा हूँ मैं और मर भी गया – पंडित प्रेम बरेलवी मुल्क को तकसीम कुछ सफ्फाफ चोलों ने कियाऔर हमारे आपसी नफरत के बोलो ने किया – विकास वर्माअपना शहर ठहर-ठहर देख लियाहोंठों पर जहर-जहर देख लिया – जगदीश पंथी जैसे सुना है मैंने हुकूमत का फैसला दिल मेरा कर रहा है बगावत का फैसला – कलीम दानिश फिर न दुनिया से मुझे कोई भी शिकवा होताकाश अपना भी कोई चाहने वाला होता – कासिम नदीमी जो सपना देश ने उसे सच कर दिखाना है कमर कस लो युवाओं अब नया भारत बनाना है । मनमोहन मिश्र फासले इतने बढ़ गये यारोसारे रिश्ते ही खो गये यारो – अब्दुल हई हिंद की सरजमीं के जतन के लिए मौत से लड़ रहे हम अमन के लिए -प्रद्युम्न त्रिपाठीइश्क में वो इनआम मिले हैं हर लम्हा इल्जाम मिले हैं – ज्योति ‘जलज’मेरे घर को यार जलायें सब जाने-पहचाने लोग – नजर मोहम्मद ‘नजर’प्यार पाने के लिए इस दौर में जेब में हर वक्त पैसा चाहिए – शफीक अय्यूबीरुखसत के वक्त एक झलक और देख लूँमहशर में फिर मुझे तेरा दीदार हो न हो – नगरी परवीनमेरी वजह नाशाद वो मोअतवर न हुआअजाब-ए-सफर हुआ वो जो हमसफर न हुआ – कमल नयन त्रिपाठी कार्यक्रम में सैकड़ों स्रोता लगातार सभी शायरों को दाद दे-देकर अपनी उपस्थिति का एहसास कराते रहे। कार्यक्रम में विजय जैन, विकास वर्मा, जे.वी. सिंह, अशोक श्रीवास्तव, रामप्रसाद यादव, गणेश अग्रवाल, पुनीत जैन, उमेश जालान, विमल जैन, दया सिंह, विनोद कुमार चौबे, साजिद अली खान, संदीप चौरसिया, अमित शर्मा, फरीद अहमद, अरूण सिंह, विकाश शाक्य, इकराम खान, राजेश सोनी, रविकान्त राय, राहुल केसरी, देवाशीष मनी के अलावा गालिब मित्र मंच फाउण्डेशन के सहयोगी, समाजसेवी और सैंकड़ों स्रोता उपस्थित रहे। कार्यक्रम के बाद संस्था के अध्यक्ष विकास वर्मा और संरक्षक विजय जैन ने सभी शायर-शायरा, कवियों, गालिब मित्रमंच फाउण्डेशन के सदस्यों, आये हुए मेहमानों और स्रोताओं का धन्यवाद कर मुशायरे की महफिल को अगले साल तक के लिए स्थगित किया।

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