शिक्षण संस्थान का हृदय होता है पुस्तकालय-डा. दिनेश शर्मा

आधुनिकीकरण के दौर में भारत का दुनिया में एक विशेष स्थान

लखनऊ 21 दिसम्बर, 2019।

उप मुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि पुस्तकालय कियी भी शिक्षण संस्थान का हृदय होता है। यह शिक्षण संस्थान की उत्कृष्टता का पैमाना होता है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में कहा जाता है कि अगर लन्दन की आर्थिक स्थिति को जानना है तो हाउस ऑफ कामन्स को नहीं बल्कि लन्दन के स्टाक एक्सचेन्ज को देखना चाहिए। इसी प्रकार से किसी शिक्षण संस्थान के बारे में जानने के लिए वहां के पुस्तकालय को देखना चाहिए।

डा0 शर्मा ने यह विचार आज डा0 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के मधू लिमये लाइब्रेरी द्वारा आयोजित दो दिवसीय नेशनल कान्फ्रेन्स आॅन डवलपमेन्ट आॅफ डिजिटल लाइब्रेरीज इन आईपीआररीजीम कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जितना अच्छा पुस्तकालय उतना ही बेहतर वह शिक्षण संस्थान होता है। पुस्तकालय में सूचनाओं का भंडारण होता है। यहां पर बौद्धिक संपदा से सम्बद्ध सामग्री का प्रयोग होता है। यहां पर ज्ञान के संचरण के जरिए भविष्य का संरक्षण भी होता है।

डिप्टी सीएम ने कहा कि आज समय के बदलाव के साथ भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया जैसे आयाम दिए हैं। आधुनिकीकरण के इस दौर में भारत का दुनिया में एक विशेष स्थान है। आज पठन पाठन के स्वरूप में भी बदलाव आया है। समय के बदलाव के कारण लोगों की तकनीक पर निर्भरता बढी है। ऐसे समय में डिजिटलीकरण सूचनाओं के आदान प्रदान में अहम हो गया है। आज के दौर में व्यक्तिगत रूप से पुस्तकालय जाने की जरूरत नहीं है बल्कि इंटरनेट के जरिए किसी भी समय पुस्तकों तथा पठन सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2018 में भारतीय राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की गई। इसके साथ ही मोबाइल ऐप पर तीन भाषाओं हिन्दी अंग्रेजी व बांगला में इसके प्रयोग की व्यवस्था की गई।

डा0 शर्मा ने कहा कि समय के बदलाव के साथ शोध गंगा ईपीजी पाठशाला, शोध सिन्धु ,विद्या मित्र तथा डिजिटल लाइब्रेरी से शैक्षणिक गतिविधियों को बढावा मिला है। कभी कभी विद्यार्थी डिजिटिल सूचना का प्रयोग विधि सम्मत तरह से नहीं कर पाते हैं, तब विसंगति पैदा होती है। ऐसे समय में कापीराईट के नियमों का पालन आवश्यक होता है। उम्मीद है कि यह सेमिनार इस क्षेत्र में आने वाले परेशानियों के बारे में जागरूकता की दिशा में अहम रोल निभाने में सफल होगी।
विशेष अतिथि प्रो0 विनय कुमार पाठक, कुलपति डा0 ए0 पी0 जे0 अब्दुल कलाम तकनीकि विश्वविद्यालय, लखनऊ ने अपने उद्बोधन में चीन के टेकनेशनालिज्म के बारे में बताया तथा पुस्तकालयों में आर्टीफीशियल एन्टेलीजेन्स तकनीकि के प्रयोग के बारे में भी प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता प्रो0 एन लक्ष्मनराव, एमीरिटस प्रोफेसर ओसमानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद के द्वारा हाथीट्रस्ट, एनडीएल, एवं यूजीसी के द्वारा ओपेन एक्सेस के माध्यम से प्रदान की जा रही डिजिटल लाइब्रेरी की सेवाओं के बारे में अवगत कराया गया। उन्होंने यह भी बताया कि ओपेन एक्सेस के माध्यम में प्रयोग होने वाले कन्टेन्ट के सम्बन्ध में काॅपी राइट की अपनी अलग चुनौतियाँ हैं। काॅपीराइट की बारीकियों को समझना एवं उनके बारे में सभी को जानकारी होना चाहिए।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सुबीर के भटनागर जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने डिजिटल लाइब्रेरी एवं काॅपी राइट विषय पर प्रकाश डाला। कान्फ्रेन्स के संयोजक डा0 मनीष बाजपेई ने कान्फ्रेन्स की थीम एवं अन्य सेशन के बारे में अवगत कराया। धन्यवाद प्रस्ताव डा0 पी0के0 गौतम के द्वारा दिया गया।
कार्यक्रम में कुल सचिव श्री मनोज कुमार जी ने सिरकत की। कार्यक्रम में डा0 ए0के0 तिवारी, डा0 वन्दना सिंह, डा0 के0ए0 पाण्डेय, डा0 मनीष सिंह, डा0 अलका सिंह, श्री संजय दिवाकर इत्यादि ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कान्फे्रन्स मंे प्रदेश एवं देश के विभिन्न प्रांतों के लगभग 200 गणमान्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
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