हर आदिवासी-वनवासी को मिले वनाधिकार में मालिकाना -दिनकर

वनाधिकार के पुनः परीक्षण की होगी निगरानी

म्योरपुर सोनभद्र (विकास अग्रहरि/पंकज सिंह)

24 नवम्बर 2019, मोदी और योगी सरकार की इच्छा के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से हमने वनाधिकार कानून में जमा दावों के पुनः परीक्षण का आदेश कराया है। सभी सरकारों की मंषा इसे विफल कर आदिवासियों और वनाश्रितों को इसके लाभ से वंचित करने की रही है। इसीलिए बिना सुनवाई, स्थलीय सत्यापन और युक्तियुक्त अवसर दिए वनाधिकार में दाखिल दावों को गैरकानूनी ढ़ग से खारिज किया गया। अब जब न्यायालय के आदेश के बाद पुनः परीक्षण हो रहा है तब सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह दावों का स्थलीय सत्यापन कराएं और दुद्धी जैसे आदिवासी बाहुल्य तहसील में हर दावेदार को उसकी पुश्तैनी वन भूमि पर वनाधिकार कानून के तहत पट्टा दे। यह बातें आज म्योरपुर बिडला स्कूल पर आयोजित जन संवाद में स्वराज अभियान के नेता दिनकर कपूर ने कहीं। जन संवाद की अध्यक्षता मजदूर किसान मंच के जिलाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद गोंड़ व संचालन कृपाषंकर पनिका ने किया।

जन संवाद को सम्बोधित करते हुए दिनकर कपूर ने कहा कि आरएसएस-भाजपा आदिवासी विरोधी है। जिन प्रदेशों में इनकी सरकारें रही वहां आमतौर पर वनाधिकार कानून को लागू नहीं किया गया। यहीं नहीं वनाधिकार कानून को खत्म करने के लिए इनके साथ जुड़े एनजीओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली और केन्द्र सरकार के वकील के न रहने के कारण फरवरी में दसियों लाख आदिवासियों व वनाश्रितों की बेदखली का सुप्रीम कोर्ट से आदेष हो गया। जिसके खिलाफ हमारे संगठन आदिवासी वनवासी महासभा व देष के कई संगठनों ने याचिका डाली, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बेदखली के आदेश पर रोक लगाते हुए मोदी सरकार के वकील से कहा कि यदि आपने पहले सच बताया होता तो हम बेदखली का आदेश ही न देते। अभी हाल ही में 12 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में भी मोदी सरकार के वकील आदिवासियों का पक्ष रखने के लिए हाजिर नहीं थे। हमारे वकील की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पुनः परीक्षण का आदेष देते हुए सारी कार्यवाही शपथ पत्र पर देने का राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को आदेष दिया है। उन्होंने कहा कि आज यदि भाजपा देष में तानाषाही लाने और भय का माहौल बनाने में

कामयाब हो रही है तो इसकी जबाबदेही बहुजन राजनीति करने वाले सपा, बसपा जैसे दलों को भी जाती है। यदि इन दलों ने अपनी सरकारों में आदिवासियों को जमीन पर अधिकार दे दिया होता और खेती किसानी के विकास पर ध्यान दिया होता तो यह नौबत ही न आती। सम्मेलन में वनाधिकार के पुनः परीक्षण में हर गांव में मजदूर किसान मंच की निगरानी समिति के गठन का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में मुरता के प्रधान चंद्रदेव गोड़ को एक हत्यारोपी की षिकायत पर प्रधान पद का चार्ज न देने की कड़ी आलोचना करते हुए जिला प्रषासन से उन्हें तत्काल प्रधान पद का चार्ज देने की मांग की गयी।
सम्मेलन में दर्जनों गांव से कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सम्मेलन को द्वारिका गोंड़, मंगरू प्रसाद गोंड़, वंशलाल गोंड़, रामनाथ गोड़, इंद्रदेव खरवार, मनोहर गोंड़, दसई गोंड़, शिव प्रसाद गोंड़, राजकुमार खरवार, अंतलाल खरवार, रमेष सिंह खरवार, मोती गोंड, राम उजागिर गोंड, जीतू सिंह गोड़, आदि लोगों ने सम्बोधित किया।

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