एक ही स्थान पर किसानों को जरूरत की सारी चीजें मुहैया कराने में एग्री जंक्शन एवं एफ0पी0ओ0 की अहम भूमिका -सूर्य प्रताप शाही


एग्री जंक्शन एवं एफ0पी0ओ0 संचालकों का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न

एग्री जंक्शन एवं एफ0पी0ओ0 पर किसानों का विश्वास स्थापित होना बहुत जरूरी

कृषि उद्यमिता ही किसानों के विकास का महामंत्र

-लाखन सिंह राजपूत

लखनऊः 02.11.2019
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री, सूर्य प्रताप शाही ने आज कृषि निदेशालय के प्रेक्षागृह में एग्री जंक्शन एवं एफ0पी0ओ0 संचालकों का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अभ्यागतों को सम्बोधित करते हुये कहा कि किसानों की आय में वृद्धि के लिये खाद्य प्रसंस्करण एवं लाभकारी विपणन की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को एक ही स्थान पर उनकी जरूरत की सारी वस्तुयें मुहैया हो सके, इसमें एग्री जंक्शन एवं एफ0पी0ओ0 की बहुत बड़ी भूमिका है। साथ ही एग्री जंक्शन एवं एफ0पी0ओ0 पर किसानों का विश्वास स्थापित हो, और यह विश्वास भविष्य में भी कायम रहे, इस पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है।

श्री शाही ने प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी को बधाई देते हुये बताया कि एफ0पी0ओ0 पर सालाना लगने वाला आयकर विगत वर्ष भारत सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया है, जिससे एफ0पी0ओ0 की वार्षिक आय अब आयकर मुक्त हो गयी है। उन्होंने एग्री जंक्शन एवं एफ0पी0ओ0 को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताते हुये कहा कि आज कृषि की दिशा बदलने की जरूरत है, जिसके लिये आवश्यक है कि किसान को उसके उत्पाद के समुचित रखरखाव के साथ-साथ उत्पाद का सही मूल्य भी प्राप्त हो।
कृषि मंत्री ने सभी एग्री जंक्शन संचालकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशाला की स्थापना सम्बन्धी योजना का कार्य एग्री जंक्शन को दिये जाने पर विचार किया जा रहा है। प्रयोगशाला की स्थापना की लागत 5.00 लाख रूपये के सापेक्ष मात्र 1.25 लाख रूपये एग्री जंक्शन संचालक को लगाने होंगे, जबकि 3.75 लाख रूपये का अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिया जायेगा।
कृषि राज्य मंत्री, श्री लाखन सिंह राजपूत ने कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि कृषि उद्यमिता ही किसानों के विकास का महामंत्र है। उन्होंने कहा कि किसानों को अब मांग के अनुसार खेती पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पारम्परिक खेती के स्थान पर बाजार में जिस उत्पाद की मांग सर्वाधिक है, उसकी खेती करके किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, परन्तु वर्तमान बाजार व्यवस्था में उत्पादन या उत्पादकता वृद्धि से किसानों की आय में वृद्धि होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। उन्होेंने कहा कि वैश्विक परिवेश में देश और प्रदेश की कृषि की दिशा बदलना जरूरी है, ताकि किसानों की दशा में बदलाव हो सके। आज के किसान को केवल उत्पादक ही नहीं, अपितु उद्यमी बनने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव कृषि, श्री अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि कृषि क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान रखने वाले युवाओं को अपने ज्ञान का उपयोग किसान के रूप में न करके उद्यमी के रूप में इसका उपयोग करें। इससे जहां एक ओर वह स्वयं का विकास करेंगे, वहीं दूसरी ओर अन्य लोगों को रोजगार मुहैया कराकर दूसरों का विकास सुनिश्चित कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यदि किसान किसी ऐसी वस्तु का उत्पादन कर रहा है, जिसकी बाजार में मांग है, तो उसे अपना उत्पाद बेचने के लिये कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि बाजार स्वयं उसके दरवाजे पर आयेगा। श्री प्रसाद ने कहा कि समय के साथ-साथ अपनी सोच को भी बदलना होगा और नये-नये अनुसंधान एवं प्रयोग कर कृषि तकनीकी का विकास करना होगा। इससे स्वभाविक तौर पर आपकी आय में वृद्धि होगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीज व्यवसाय-संभावनायें एवं भूमिकायें, फसल अवशेष प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन हेतु मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापना, एफ0पी0ओ0 संचालकों द्वारा उर्वरक, बीज एवं कृषि रक्षा रसायन व्यवसाय, नाबार्ड द्वारा एफ0पी0ओ0 गठन में सहयोग, कृषि में जोखिम प्रबंधन-फसल बीमा योजना, मूल्य संवर्द्धन हेतु खाद्य प्रसंस्करण तथा खेती में आय बढ़ाने के उपाय आदि विषयों पर विचार-विमर्श एवं प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
इस अवसर पर कृषि निदेशक, सोराज सिंह, निदेशक (प्रसार) श्री राम शब्द जैसवारा, निदेशक, वी0पी0 सिंह, प्रबंध निदेशक (बीज विकास निगम) एस0आर0 कौशल तथा नाबार्ड एवं विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि सहित कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

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