मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयअजय कुमार वर्मालखनऊ 22 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-जनपद अयोध्या के दीपोत्सव मेले का प्रान्तीयकरण किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति -मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या के दीपोत्सव मेले का प्रान्तीयकरण किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने इस सम्बन्ध में अधिसूचना की अन्तर्वस्तु में संशोधन/परिवर्तन के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत करने का भी निर्णय लिया है। इस मेले के महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री जी द्वारा इस मेले के प्रान्तीयकरण की घोषणा की गयी थी।ज्ञातव्य है कि जिलाधिकारी, अयोध्या द्वारा अपने पत्र दिनांक 15 जनवरी, 2019 एवं 03 जुलाई, 2019 के माध्यम से दीपोत्सव मेला, जिला अयोध्या का प्रान्तीयकरण किये जाने हेतु प्रस्ताव उपलब्ध कराया गया। वर्तमान समय में दीपोत्सव मेले का आयोजन पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है।मेले के अन्तर्राज्यीय स्वरूप के दृष्टिगत इसकी समुचित व्यवस्था एवं सफल आयोजन हेतु मुख्यमंत्री जी द्वारा इसे प्रान्तीयकृत किये जाने की घोषणा की गयी। दीपोत्सव मेले का प्रान्तीयकरण हो जाने के बाद इसका प्रबन्धन जिलाधिकारी, अयोध्या द्वारा किया जाएगा। वर्ष 2019 में आयोजन पर लगभग 132.70 लाख रुपये के व्यय का अनुमान है। इस मेले के आयोजन पर होने वाले व्ययभार का वहन शासन द्वारा धनराशि की उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा।उ0प्र0 राज्य सेप्टेज प्रबन्धन नीति के प्रख्यापन का निर्णयमंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज प्रबन्धन नीति के प्रख्यापन का निर्णय लिया है।राष्ट्रीय शहरी स्वच्छता नीति-2008 के अनुसार शहरों को स्वच्छ एवं रहने योग्य बनाने की प्रतिबद्धता तथा वर्ष 2017 की राष्ट्रीय सेप्टेज प्रबन्धन नीति व ओ0डी0एफ0$$ के स्वच्छ भारत मिशन के दिशा-निर्देशों और शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सीवर एवं सैप्टिक टैंक की सफाई के लिए जारी स्टैण्डर्ड आॅपरेटिंग प्रोसीजर में उल्लिखित प्राविधानों एवं निर्देशों के क्रम में शहर में रहने वाले नागरिकों के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता हेतु भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्तर प्रदेश में एक पंचवर्षीय उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज प्रबन्धन नीति (वर्ष 2019-23) प्रख्यापित की जा रही है।सेप्टेक प्रबन्धन नीति का लक्ष्य वर्ष 2023 तक राज्य के शहरी क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता में सुधार और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित करना है। इसका उद्देश्य शहरों में सेप्टेज उपचार प्रणालियों के निर्माण और संचालन हेतु स्थानीय क्षमता को बढ़ाना और सिस्टम के प्रभावी और टिकाऊ होने में आवश्यक व्यवहार परिवर्तन तथा सहायक वातावरण को बढ़ावा देना है।इस नीति से नगर के गरीबों तथा निरन्तर आॅनसाइट स्वच्छता सेवाओं की जरूरतों के लिए लक्षित जवाबदेही प्रदान की जाएगी। प्रतिवर्ष 5558 एम0एल0डी0 अपशिष्ट जल प्रबन्धन और 13.7 एम0एल0डी0 सेप्टेज के उपचार से सभी निकायों के तत्काल पारिस्थितिकीय तंत्र में प्रदूषण भार कम होगा।उत्तर प्रदेश राज्य में 652 नगर निकाय हैं, जिनकी अनुमानित आबादी4.9 करोड़ (वर्ष 2018 के अनुसार) है। राज्य सरकार द्वारा शहरी निकायों की स्वच्छता में सुधार लाने हेतु महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में अपशिष्ट जल प्रबन्धन हेतु 3298.84 एम0एल0डी0 की क्षमता के सीवेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट (एस0टी0पी0) प्रदेश में उपलब्ध हैं एवं इसके अतिरिक्त 1281.33 एम0एल0डी0 के एस0टी0पी0 का निर्माण विभिन्न चरणों में है। पिछले 03 वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत निर्मित लगभग 09 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आई0एच0एच0एल0) का सेप्टेज प्रबन्धन भी अत्यन्त आवश्यक है।राज्य में 72 लाख आॅन-साइट स्वच्छता प्रणालियों पर आधारित शौचालय हैं, (जिसमें 610 नगर निकाय पूर्णतः सेप्टिक टैंक पर निर्भर हैं), जो लगभग 5558 एम0एल0डी0 सेप्टेज उत्पन्न करते हैं। प्रदेश के जिन 48 नगरों में सीवर लाइन अथवा एस0टी0पी0 की सुविधा उपलब्ध है अथवा उपलब्ध करायी जा रही है, उन नगरों की बड़ी आबादी द्वारा भी सीवर नेटवर्क के अधूरा होने के कारण सेप्टिक टैंक युक्त शौचालय का ही उपयोग किया जाना है।नागरिकों द्वारा अपने आवासीय परिसर में निर्मित सेप्टिक टैंक की सफाई सामान्यतः उसके भर जाने पर कराई जाती है। प्रत्येक 05 वर्ष के अन्तराल में सेप्टिक टैंक खाली न करने से इन सेप्टिक टैंकों से निकलने वाला जल अत्यधिक दूषित होता है और छोटी नाली, बड़े नालों के माध्यम से अंततः नदी में मिलता है और नदी को भी प्रदूषित करता है।ऐसे सेप्टिक टैंकों की सफाई अप्रशिक्षित मजदूरों से कराई जाती है, जिससे प्रायः दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं। वर्तमान में प्राइवेट लोगों द्वारा सेप्टिक टैंक खाली कर नाले, तालाब, खेत अथवा नदियों में डाल दिया जाता है। इन अनुपचारित सेप्टेज के कारण पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसका समाधान किए जाने हेतु गम्भीर प्रयास की आवश्यकता है।इन तथ्यों के दृष्टिगत नगर विकास विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज प्रबन्धन नीति के माध्यम से (एकीकृत/स्टैण्ड अलोन) ट्रीटमेण्ट की व्यवस्था किए जाने का प्रस्ताव है। राज्य में भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप एक सार्थक पंचवर्षीय सेप्टेज प्रबन्धन नीति (2019-2023) तैयार की गई है।मत्स्य पालक कल्याण कोष की स्थापना व उसके कार्यान्वयन हेतु उ0प्र0 मत्स्य (विकास एवं नियंत्रण) नियमावली, 2019 को प्रख्यापित करने का प्रस्ताव मंजूरमंत्रिपरिषद ने मत्स्य पालक कल्याण कोष की स्थापना व उसके कार्यान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश मत्स्य (विकास एवं नियंत्रण) नियमावली, 2019 को प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। लोक कल्याण संकल्प पत्र-2017 में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिये जाने एवं उससे जुड़े लोगों के कल्याण के निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष के व्यापक संचालन हेतु 25 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान किया गया है।उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष का उद्देश्य मत्स्य पालकों के कल्याण एवं विकास सम्बन्धी कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। यह कोष राज्य के समस्त जिलों के मत्स्य पालकों और मछुआरों के लिए संचालित होगा। इसके उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्याें का सम्पादन मत्स्य विभाग उत्तर प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश मत्स्य जीवी सहकारी संघ लि0 द्वारा किया जाएगा। कोष का मुख्यालय मत्स्य निदेशालय, लखनऊ में होगा।कोष के माध्यम से मत्स्य पालक/मछुआरा बाहुल्य ग्रामों में सामुदायिक भवन सहित अवसंरचनात्मक सुविधाओं की स्थापना की जाएगी। दैवीय आपदा से हुई किसी क्षति की स्थिति में मत्स्य पालक/मछुआरा परिवार को वित्तीय सहायता का उपबन्ध किया जाएगा। इसके अलावा, चिकित्सा सहायता, वृद्धावस्था सहायता, शिक्षा हेतु सहायता (कोचिंग, कौशल उन्नयन, छात्रवृत्ति आदि) एवं वैवाहिक सहायता भी प्रदान की जाएगी। केन्द्र सरकार से इतर उनके द्वारा नियत मानकों पर मछुआ आवास निर्माण के लिए सहायता दी जा सकेगी। मत्स्य पालक/मछुआ परिवारों की महिलाओं को सशक्त करना, मछली पकड़ने के जाल/उपकरणों की सुविधा की व्यवस्था करना और मछली विक्रय हेतु मोपेड आइस बाक्स आदि उपलब्ध कराना भी कोष के उद्देश्यों में शामिल हैं। कोष के माध्यम से मत्स्य सम्बन्धी अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक बैंक ऋण/मत्स्य पालक क्रेडिट कार्ड हेतु ब्याज पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। आर्थिक सहायता की दरें उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के विनिश्चय के अनुसार होगी। जल जीवन पालन सम्बन्धी गतिविधियों हेतु विद्युत पर राज्य सहायता। उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष की व्यवस्था और उसका संचालन कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित की जाने वाली प्रबन्ध समिति द्वारा किया जाएगा। कोष के समुचित अनुरक्षण के लिए मत्स्य निदेशालय में एक इकाई स्थापित की जाएगी।प्राविधिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत शासकीय सहायता प्राप्त डिग्री स्तरीय अभियंत्रण संस्थाओं के शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर वेतनमानों को पुनरीक्षित किए जाने का निर्णय -मंत्रिपरिषद ने प्राविधिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत शासकीय सहायता प्राप्त डिग्री स्तरीय अभियंत्रण संस्थाओं के शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर वेतनमानों को पुनरीक्षित किए जाने का निर्णय लिया है।भारत सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, नई दिल्ली के पत्र संख्या-1-7/2015-यू0-प्प्(1) दिनांक 02 नवम्बर, 2017 के प्रस्तर-3(पप) में दी गई व्यवस्था के आधार पर प्राविधिक शिक्षा विभाग के नियंत्रणाधीन प्राविधिक विश्वविद्यालयों यथा-डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर तथा हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपतिगण को उनके वेतन 2,10,000 रुपये (नियत) के साथ विशेष भत्ता 5000 रुपये प्रतिमाह इस शर्त के साथ दिया जाएगा कि उनके वेतन पर आने वाला व्ययभार यह विश्वविद्यालय स्वयं वहन करेंगे।भारत सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, नई दिल्ली के पत्र संख्या-1-37/2016-टी0एस0-प्प्, दिनांक 18 जनवरी, 2019 तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली की अधिसूचना संख्या-61-1/आर0आई0एफ0डी0/7वां सी0पी0सी0/2016-17, दिनांक 01 मार्च, 2019 द्वारा प्राविधानित व्यवस्था के अन्तर्गत प्राविधिक शिक्षा विभाग के नियंत्रणाधीन स्वायत्तशासी शासकीय अनुदानित डिग्री अभियंत्रण संस्थान के पूर्णकालिक शिक्षकों को सातवें वेतनमान की संस्तुतियों का लाभ दिया जाना है।शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकों को शासन स्तर से वेतन मद में कतिपय धनराशि उपलब्ध करायी जाती है तथा प्रतिवर्ष वेतन मद में लगभग 10 से 15 प्रतिशत तक वृद्धि की जाती है। शासन स्तर से वेतन मद में दी जाने वाली धनराशि के अतिरिक्त इन संस्थानों द्वारा अपने स्रोतों से होने वाली आय से भी शिक्षकों को वेतन आदि दिया जाएगा।दिनांक 01 जनवरी, 2016 से दिनांक 31 मार्च, 2019 तक की अवधि का शिक्षकों के एरियर का 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाएगा तथा 03 तकनीकी विश्वविद्यालय में कार्यरत कुलपतिगण के वेतन पर आने वाला व्यय इन विश्वविद्यालयों द्वारा स्वयं वहन किया जाएगा। पुनरीक्षित वेतनमान दिनांक 01 जनवरी, 2016 से लागू माने जाएंगे।उ0प्र0 विधान सभा एवं विधान परिषद के वर्तमान सत्र के सत्रावसान का प्रस्ताव स्वीकृत -मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विधान सभा एवं विधान परिषद के वर्तमान सत्र का सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से कराए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।उत्तर प्रदेश विधान सभा एवं विधान परिषद का वर्तमान सत्र, जो दिनांक 02 अक्टूबर, 2019 के उपवेशन से प्रारम्भ हुआ था, दिनांक 03 अक्टूबर, 2019 तक हुए अनवरत उपवेशन की समाप्ति के पश्चात अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है।वर्तमान सत्र में विधान मण्डल के दोनों सदनों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में उनके विचारों, आदर्शों व नीतियों तथा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एजेण्डा 2030 के अन्तर्गत सतत विकास के लक्ष्यों को पूर्ण किए जाने की दिशा में राज्य सरकार की भूमिका, अद्यतन प्रगति व भावी रणनीति पर अनवरत चर्चा के उपरान्त विधान सभा में राष्ट्रपिता के उच्च आदर्शों का पालन करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित सतत विकास के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु राज्य सरकार द्वारा प्रभावी कदम उठाए जाने का प्रस्ताव पारित हुआ।इसके दृष्टिगत वर्तमान में विधान मण्डल से कोई कार्य कराया जाना शेष नहीं है। इसके दृष्टिगत उत्तर प्रदेश विधान सभा एवं विधान परिषद के वर्तमान सत्र का सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से कराए जाने का निर्णय लिया गया है।उ0प्र0 राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के व्यवस्थापन के सम्बन्ध में वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्णयमंत्रिपरिषद द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के व्यवस्थापन के सम्बन्ध में वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है। यह समिति 15 दिन में अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री जी को प्रस्तुत करेगी।फिल्म ‘सांड की आंख’ को दर्शकों द्वारा प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर की समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति करने का प्रस्ताव अनुमोदितकमिश्नर वाणिज्य कर की आख्या एवं पूर्व प्रदर्शन समिति की संस्तुति के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद ने फिल्म ‘सांड की आंख’ को दर्शकों द्वारा प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर की समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।ज्ञातव्य है कि फिल्म ‘सांड की आंख’ उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत के जोहर गांव की दो महिलाओं पर आधारित है, जो ग्रामीण परिवेश में उन पर थोपे गये पुरुषवादी सामाजिक बन्धनों को तोड़कर लगभग 60 वर्ष की आयु में शूटिंग सीखती हैं तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अनेक मेडल एवं पुरस्कार भी जीतती हैं। यह फिल्म समाज में महिलाओं के ऊपर लगायी गयी अतार्किक एवं अनावश्यक पाबन्दियों को तोड़कर उनके प्रदेश एवं देश में आगे बढ़ने की कहानी है। यह फिल्म बालिकाओं एवं महिलाओं को खेलों की तरफ आकर्षित करेगी एवं इसके माध्यम से लैंगिक समानता में भी वृद्धि होगी। यह एक जनोपयोगी एवं बहुमूल्य संदेश देने वाली फिल्म है। इसके दृष्टिगत मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया है।पुलिस विभाग के म्यूटिलेटेड पीतल के खाली खोखा कारतूस की प्रचलित नीलामी व्यवस्था को समाप्त कर एम0एस0टी0सी0 से कराने के प्रस्ताव को स्वीकृति -मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के म्यूटिलेटेड पीतल के खाली खोखा कारतूस की प्रचलित नीलामी व्यवस्था को समाप्त कर एम0एस0टी0सी0 (डैज्ब् स्प्डप्ज्म्क्) से कराये जाने हेतु के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने तथा सरकारी राजस्व में वृद्धि करने के उद्देश्य से पुरानी प्रचलित प्रक्रिया को नवीन प्रणाली में प्रतिस्थापित करते हुए भारत सरकार के अधीन सार्वजनिक उपक्रम एम0एस0टी0सी0 द्वारा नीलामी कराये जाने का निर्णय लिया गया है। एम0एस0टी0सी0 में लगभग 70,000 खरीददार रजिस्टर्ड हैं, जिसके द्वारा सी0आर0पी0एफ0, बी0एस0एफ0, चेन्नई पुलिस, महाराष्ट्र पुलिस के वाहनों, निष्प्रयोज्य वस्तुओं एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न संस्थानों की निष्प्रयोज्य वस्तुओं की नीलामी भी की जाती है। नीलामी की पूर्ण कार्यवाही आॅनलाइन होने के कारण यह पारदर्शी है तथा बिक्री/नीलामी की प्रथम बार 15 दिवस के अन्दर नीलामी की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती है। न्यूनतम मूल्य न मिलने पर आगे एक सप्ताह में दोबारा नीलामी की कार्यवाही की जाती है, जिसके कारण न्यूनतम समय में नीलामी सम्भव है। नवीन प्रणाली में, वर्तमान प्रचलित व्यवस्था की तुलना में अधिक राजस्व की प्राप्ति सम्भावित है।मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों के अनुपालन के सम्बन्ध में -मंत्रिपरिषद ने जनपद सोनभद्र स्थित जे0पी0 सीमेंट फैक्टरी के खनन क्षेत्र से आच्छादित वन भूमि के बदले मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों के अनुपालन में सीमेंट फैक्टरी हेतु खनन की अनुमति के लिए वनीकरण हेतु गैर वनभूमि (586.178 हे0) दिये जाने सम्बन्धी अधिसूचना दिनांक 10 मई, 2018 व 08 मार्च, 2019 को निरस्त कर संशोधित रूप से 470.304 हे0 गैर वन भूमि वनीकरण हेतु वन विभाग को दिये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (यथासंशोधित 2016) की धारा-59(4) के अन्तर्गत जनपद-मीरजापुर के सदर, चुनार, मड़िहान एवं लालगंज तहसील की गैर वनभूमि पुनग्र्रहीत कर वनीकरण हेतु वन विभाग को दिये जाने का प्रस्ताव है। उक्त भूमि के सापेक्ष भूमि के मूल्य का चार गुना तथा मूल्य के अतिरिक्त मालगुजारी के 150 गुने के बराबर पूंजीकृत मूल्य/वार्षिक किराया तथा वृक्षारोपण एवं उसके 10 वर्ष तक अनुरक्षण पर आने वाला व्यय जे0पी0 एसोसिएट्स द्वारा वहन किया जाएगा। इसके उपरान्त उक्त सीमेंट फैक्टरी के वर्तमान स्वामी अल्ट्राटेक सीमेंट द्वारा उत्पादन प्रारम्भ किया जा सकेगा। इस सीमेंट फैक्टरी यूनिट के संचालन से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष कर के रूप में सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, वहीं हजारों की संख्या में युवाओं के लिए रोजगार सृजन की भी सम्भावना है।जनपद रायबरेली में रायबरेली सीवरेज योजना फेज-3 सम्बन्धित प्रायोजना प्रस्ताव के सम्बन्ध में -मंत्रिपरिषद ने अमृत योजना के अन्तर्गत सैप वर्ष 2017-20 हेतु जनपद रायबरेली सीवरेज योजना फेज-3 की व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 18717.41 लाख रुपये के साथ-साथ जी0एस0टी0 (नियमानुसार देय) के व्यय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे नगर पालिका परिषद, रायबरेली के निवासियों को सीवरेज की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।व्यय-वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत में 2043.06 लाख रुपये सेंटेज एवं रुपये लाख 163.44 लेबर सेस सम्मिलित है। इस निर्धारित लागत में से भारत सरकार द्वारा 7045.36 लाख रुपये तथा निकाय अंश 3334.87 लाख रुपये सम्मिलित है। सेंटेज की समस्त धनराशि का वहन राज्य सरकार द्वारा ही किया जाएगा।सरकार से सहायता प्राप्त उ0प्र0 प्राविधिक शिक्षा संस्था विनियमावली-1996 में चतुर्थ संशोधन किए जाने के सम्बन्ध मेंमंत्रिपरिषद ने सरकार से सहायता प्राप्त उ0प्र0 प्राविधिक शिक्षा संस्था विनियमावली-1996 में चतुर्थ संशोधन किए जाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार सहायता प्राप्त उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा संस्था विनियमावली-1996 के विनियम-14(1) व 14(2) में संशोधन किया गया है। इसके फलस्वरूप संस्था की प्रबन्ध समिति का अध्यक्ष प्रधानाचार्य के पद पर भर्ती के लिए गठित चयन समिति का अध्यक्ष होगा।श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी के विस्तारीकरण/सुन्दरीकरण योजना के अन्तर्गत ‘निर्मल मठ’ (भवन सं0-सी0के0 34/45) लाहौरी टोला, वाराणसी के क्रय/अर्जन के सम्बन्ध मेंमंत्रिपरिषद ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी के विस्तारीकरण/सुन्दरीकरण योजना के अन्तर्गत ‘निर्मल मठ’ (भवन सं0-सी0के0 34/45) लाहौरी टोला, वाराणसी के क्रय/अर्जन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।इस निर्णय के अनुसार भवन संख्या-सी0के0 34/45 लाहौरी टोला, वाराणसी ‘निर्मल मठ’ को अर्जित किए जाने हेतु श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के अधिसूचित क्षेत्र के अन्तर्गत, किन्तु आर्किटेक्ट द्वारा प्रस्तुत किए गए ड्राफ्ट प्लान के क्षेत्र से बाहर सटे व आसपास के भवनों का शीघ्रातिशीघ्र क्रय/अर्जन किए जाने के क्रम में लाहौरी टोला मोहल्ले में भवन संख्या-डी-3/93ए, डी-3/93बी, डी-3/93, डी-1/29, डी-1/29ए$बी व डी-1/29सी भवनों के क्रय/अर्जित किए जाने तथा इनके ध्वस्तीकरण व मलबा निस्तारण के उपरान्त उपलब्धता के आधार पर नये निर्मल मठ भवन के निर्माण हेतु 400-500 वर्ग मी0 तक का भू-स्थान उपलब्ध कराया जाएगा, जो अन्य भवनों की क्रय प्रक्रिया से भिन्न होगा, क्योंकि निर्मल मठ को प्लान क्षेत्र से बाहर सटे व उसके आसपास ही भूमि उपलब्ध कराया जाना है।श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण/सौन्दर्यीकरण परियोजना के अन्तर्गत भवन संख्या-सी0के0 34/45 लाहौरी टोला, वाराणसी ‘निर्मल मठ’ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण/सौन्दर्यीकरण परियोजना के क्रियान्वयन हेतु अधिसूचित/चिन्हित क्षेत्र के अन्तर्गत लगभग मध्य में स्थित है। इस भवन को क्रय किया जाना योजना हेतु आवश्यक है।धर्मार्थ कार्य विभाग द्वारा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र वाराणसी के विस्तारीकरण/सुन्दरीकरण योजना प्रारम्भ की गयी है। इस योजना हेतु श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद, वाराणसी का गठन किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में चिन्हित 296 भूमि/भवनों के क्रय हेतु जिलाधिकारी, वाराणसी को वित्तीय वर्ष 2017-18 में 40 करोड़ रुपये तथा वित्तीय वर्ष 2018-19 में 358.33 करोड़ रुपये कुल 398.33 करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त की गयी है।श्री काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र, वाराणसी के विस्तारीकरण/सुन्दरीकरण योजना के अन्तर्गत श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद द्वारा अब तक कुल 267 सम्पत्तियां क्रय की गयी हैं। कुल 247 क्रय की गयी सम्पत्तियों का ध्वस्तीकरण कर मलबा निस्तारित कर दिया गया है।उ0प्र0 भूतत्व एवं खनिकर्म (समूह ‘क’ एवं ‘ख’) सेवा नियमावली, २०१९ को प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृतिमंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश भूतत्व एवं खनिकर्म (समूह ‘क’ एवं ‘ख’) सेवा नियमावली, 2019 को प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।ज्ञातव्य है कि भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, उ0प्र0 में समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के पदों की सेवा शर्ताें को विनियमित करने हेतु वर्तमान में उ0प्र0 भूतत्व एवं खनिकर्म सेवा नियमावली, 1983 (यथा संशोधित) प्रवृत्त है। उ0प्र0 भूतत्व एवं खनिकर्म (समूह ‘क’ एवं ‘ख’) सेवा नियमावली, 2019 के प्रख्यापित होने के उपरान्त समूह-‘क’ एवं ‘ख’ के पदों की सेवा शर्ताें को वर्तमान कार्मिक नीति के अनुसार विनियमित किया जा सकेगा। यह नियमावली गजट में प्रकाशन की तिथि से तात्कालिक प्रभाव से लागू होगी।प्रस्तावित सेवा नियमावली में निदेशक के पद को राज्य सरकार से प्रतिनियुक्ति द्वारा भरे जाने और ऐसा न हो पाने की स्थिति में उसे विभागीय अधिकारियों से नियमावली में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार भरे जाने का प्राविधान किया गया है। वर्तमान नियमावली में आरक्षण, आयु सीमा, परिवीक्षा अवधि, स्थायीकरण, ज्येष्ठता, भर्ती की प्रक्रिया सम्बन्धी प्राविधानों में संशोधन हो जाने तथा वेतन समिति की संस्तुति के अनुसार संवर्गाें के पुनर्गठन के कारण वर्तमान सेवा नियमावली का अधिक्रमण करते हुए उसके स्थान पर उत्तर प्रदेश भूतत्व एवं खनिकर्म (समूह ‘क’ एवं ‘ख’) सेवा नियमावली, 2019 प्रख्यापित किये जाने का निर्णय लिया गया है।