राजभवन में हनुमंत चरित्र कथा राज्यपाल  कलराज मिश्र ने पूजा-अर्चना कर किया शुभांरभ

राम नाम में संतोषी श्रीहनुमान राम सेवा में असंतोषी रहे

जयपुर, 18 अक्टूबर। राज्यपाल कलराज मिश्र की पहल पर षुक्रवार को यहां राजभवन के वैक्ंवेट हाॅल में श्री हनुमंत चरित्र कथा का षुभारंभ हुआ। तीन दिवसीय इस कथा की षुरूआत राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने पूजा-अर्चना करके की। श्री मिश्र ने इस कथा का आयोजन देष और प्रदेष की खुषहाली और समृद्धि के लिए कराया है। कथा का श्रवण प्रदेष की प्रथम महिला श्रीमती सत्यवती मिश्रा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने किया।

आज की कथा में श्रीहनुमान चालीसा के प्रथम दो दोहे और श्रीहनुमान जी के विभिन्न नामों की व्याख्या कथावाचक श्री अनुराग कृष्ण पाठक ने की। श्रीहनुमान जी का प्रताप चारों युगों में है। उन्होंने भगवान श्रीराम से यह वरदान मांगा था कि धरती पर जब तक रामकथा हो, तब तक श्रीहनुमान का जीवन बना रहे, इसीलिए कलयुग में श्रीहनुमान नित्य विद्यमान है।

श्रीहनुमान सेवा सुमिरन के स्वरूप हंै। वे संकटमोचक हैं। जीवन के बड़े से बड़े संकट को दूर करने वाले है। श्रीराम नाम की दीक्षा देने वाले हैं। श्रीहनुमान की तीनों लोकों में जय-जयकार है। उन्होंने अपने हर कृत्य को पूर्ण उत्कृष्टता के साथ किया। राम नाम में श्रीहनुमान संतोषी रहे, लेकिन राम सेवा में असंतोषी रहे क्योकि वे राम की सेवा से सदैव जुड़े रहना चाहते थे।

राज्यपाल श्री मिश्र के आग्रह पर कथावाचक श्री अनुराग कृष्ण पाठक वृंदावन से कथा का वाचन करने जयपुर आए हैं। सिंगापुर, मलेशीया, कीनिया और रूआंडा में भागवत कथा का वाचन करने वाले पंडित जी ने कथा के बीच में हरिनाम कीर्तन से वातावरण को भक्तिमय बनाया। बीस वर्षों से श्रीमद्भागवत, श्रीराम कथा और श्रीहनुमन्त कथा का वाचन करने वाले पंडित अनुराग कृष्ण पाठक ने विषिष्ट षैली के माध्यम से विभिन्न ग्रन्थों से किये गये शोध को बताया।
श्रीहनुमान चालीसा को केन्द्र में रखकर श्रीहनुमान की चरित्र महिमा को समझाते हुए समाज में व्याप्त दोषों को कैसे दूर किया जाये और मानव जीवन को परोपकार में कैसे लगाया जाये, इसकी कथावाचक व्याख्या करेंगे।

Translate »