प्रयागराज-लवकुश शर्मा
हंडिया-अपनी बदहाली पर रो रहा हंडिया पावर हाउस,जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं कर्मचारी। चारों तरफ पानी से घिरा हुआ है पावर हाउस हंडिया। थोड़ी सी बारिश होने पर ही यहां पर चारों तरफ पानी ही पानी हो जाता है। हंडिया पावर हाउस काफी पुराना पावर हाउस से जो कि जीटी रोड से लगभग 2 मीटर नीचे है जिसको देखते हुए लगभग 4 साल पहले एक नए पावर हाउस का निर्माण किया गया लेकिन अभी तक वहां पर कोई भी शिफ्टिंग कार्य नहीं किया गया है आला अधिकारी मस्त से बैठे हुए हैं उनके सर पर हाथ उस दिन जाएगा जब कोई बड़ा दुर्घटना हो जाएगा।कर्मचारी जोखिम में जान लेकर करते हैं कार्य चारों तरफ पानी भरा होने के कारण कर्मचारियों को उसी पानी में से होकर अपना कार्य करना पड़ता है पावर हाउस में इतना ज्यादा पानी भरा हुआ है कि अंदर कमरे में भी पानी घुस गया है।पानी के अन्दर मछली, केचुआ,घोंघा एवं अन्य जीव जंतु उसी में विचरण कर रहे है। कर्मचारियों को उसी पानी में से होकर आना जाना पड़ रहा है।कर्मचारियों ने यह भी बताया की यहां पर न तो शौचालय की व्यवस्था है न तो पिने वाले पानी की व्यवस्था है।कर्मचारियों को अगर शौचालय भी करना हो तो उन्हें तहसील में जाना पड़ता है।जहा पर उन्हे पैसे भीअदा करना पड़ता है।यहां की बिल्डिंग में पूरी जर्जर हो चुकी हैं लेकिन फिर भी नए पावर हाउस में शिफ्टिंग का कार्य नहीं किया जा रहा है। नए पावर हाउस में शिफ्टिंग का कार्य क्यों नहीं किया गया है इस विषय में एक्सियन हंडिया से बात करने पर उन्होंने इस बात को सिरे से नकार दिया कि यहां पर कोई दूसरा भी पावर हाउस बना हुआ है जो की शिफ्टिंग के लिए है।लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि वह पिछले 4 सालों से बना हुआ है लेकिन अभी तक शिफ्टिंग नहीं की गई है कर्मचारियों ने अभी बताया कि हम जान जोखिम में डालकर लबालब भरे पानी में आते जाते हैं फिर भी कोई अधिकारी सुनता नहीं है।
अधिकारियो को मिलता है बिजली गुल करने का बहाना।
थोड़ी सी बारिस होने पर पावर हाउस में पानी भर जाता है अधिकारी इसका फायदा उठाकर ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली गुल कर देते हैं जब उनसे इस विषय में पूछा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्र की बिजली क्यों गुल की गई है तो उनके पास एक बहाना हो जाता है की पावर हाउस में पानी भरा हुआ है जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र की सप्लाई रोक दी गई है।
काम से जी चुराते हैं आला अधिकारी।
कर्मचारियों ने अभी बताया कि पुरानी बिल्डिंग पूरी तरीके से जर्जर हो चुकी है और कभी भी गिर सकती है जिसको देखते हुए शासन ने 4 साल पहले नए पावर हाउस मकान का निर्माण किया था लेकिन आला अधिकारियों की काम से जी चुराने की आदत ने अभी तक शिफ्टिंग का कार्य नहीं किया है और किसी भी दिन बड़ा खतरा हो सकता है कौन है इसका जिम्मेदार क्यों नहीं की जा रही है पावर हाउस की मिट्टी की लेबलिंग का कार्य क्या जब किसी दिन कोई बड़ी दुर्घटना हो जाएगी तब शिफ्टिंग का कार्य होगा सवाल बहुत हैं उपभोक्ताओं के मन में और कर्मचारियों के मन में।