जयपुर । मां दुर्गा के की उपासना के इस पर्व के दौरान नौ दिनों तक बंगाली समुदाय सहित अन्य वर्गों के लोग भी घरों व पांडालों में नवदुर्गा की आराधना करेंगे। दिल्ली व मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से आए कलाकार विशेष पांडाल तैयार कर रहे हैं।नवरात्र से करीब दो से तीन माह पहले बनीपार्क स्थित दुर्गाबाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमाएं बनने का काम शुरू कर दिया जता है। यह कार्य अब अंतिम दौर में चल रहा है। दुर्गा परिवार के निर्माण के लिए खासतौर पर कोलकाता से कलाकार आते हैं। तीन से चार कलाकार दिन-रात मिलकर मां दुर्गा की प्रतिमा को रूप देते हैं।पिछले कई सालों से दुर्गाबाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमाएं बनाने के लिए कोलकाता से आने वाले कलाकार अमित पाल बताते हैं कि मां की प्रतिमा के लिए विशेष रूप से कोलकाता में बहने वाली गंगा नदी की मिट्टी भी लाई जाती है। इसी पवित्र मिट्टी से माता की प्रतिमा को साकार रूप मिलता है। इस मिट्टी का ही चमत्कार है कि मां की प्रतिमा में साक्षात देवी विराजती हैं। कोलकाता से लगभग 100 कट्टे मिट्टी मंगवाई जाती है।पत्रिका के सौजन्य से खबर।
जयपुर । मां दुर्गा के की उपासना के इस पर्व के दौरान नौ दिनों तक बंगाली समुदाय सहित अन्य वर्गों के लोग भी घरों व पांडालों में नवदुर्गा की आराधना करेंगे। दिल्ली व मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से आए कलाकार विशेष पांडाल तैयार कर रहे हैं।नवरात्र से करीब दो से तीन माह पहले बनीपार्क स्थित दुर्गाबाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमाएं बनने का काम शुरू कर दिया जता है। यह कार्य अब अंतिम दौर में चल रहा है। दुर्गा परिवार के निर्माण के लिए खासतौर पर कोलकाता से कलाकार आते हैं। तीन से चार कलाकार दिन-रात मिलकर मां दुर्गा की प्रतिमा को रूप देते हैं।पिछले कई सालों से दुर्गाबाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमाएं बनाने के लिए कोलकाता से आने वाले कलाकार अमित पाल बताते हैं कि मां की प्रतिमा के लिए विशेष रूप से कोलकाता में बहने वाली गंगा नदी की मिट्टी भी लाई जाती है। इसी पवित्र मिट्टी से माता की प्रतिमा को साकार रूप मिलता है। इस मिट्टी का ही चमत्कार है कि मां की प्रतिमा में साक्षात देवी विराजती हैं। कोलकाता से लगभग 100 कट्टे मिट्टी मंगवाई जाती है।पत्रिका के सौजन्य से खबर।