कांग्रेस में बदलाव की आहट , मजदूर के हाथ में प्रियंका सौंपेगी कमान

पितृपक्ष बाद अजय लल्लू बनेंगे अध्यक्ष

★हेमंत तिवारी

लखनऊ ।

उत्तर प्रदेश में योगी और भाजपा से दो-दो हाथ करने की तैयारी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पहले अपने संगठन को कसना की कवायद शुरु की है। कांग्रेस के नामचीन नेताओं को छोड़कर प्रियंका इस बार यूपी में नया प्रयोग करने जा रही हैं। अब यह पूरी तरह से साफ हो गयी है कि पूर्बी उत्तर प्रदेश के विधायक अजय कुमार लल्लू नये प्रदेश अध्यक्ष होंगे और साथ ही संगठन में नौजवानों को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रियंका गांधी की टीम से मिले संकेतों के मुताबिक आन्दोलनकारी और नौजवानों को नयी कांग्रेस कमेटी में जिम्मेदारी दी जाएगी। पहली बार एसा होगा कि कांग्रेस की यूपी कमेटी में कई चिर परिचित चेहरे गायब मिलेंगे और उनकी जगह नये लोगों के हाथ कमान होगी।

प्रियंका गांधी के इस चयन के पीछे बहुत से लोगों में यह सवाल है कि आखिर उनकी पसंद यह अजय कुमार लल्लू है कौन और कांग्रेस ने इस पस्त हालत मेंउन पर दांव लगाने का फैसला क्योंकर लिया है। एक नजर अगर लल्लू के राजनैतिक कैरियर पर डालें तो यह साल था 2007, कुशीनगर के आजादनगर कस्बे में एक नौजवान निर्दल उम्मीदवार के तौर पर भाषण दे रहा था| एक जोशीला भाषण| तभी पीछे से एक बुजुर्ग की आवाज़ आई- ई बार त ना, पर अगली बार बेटा विधायक बनबे| चुनाव का परिणाम आया और निर्दल उम्मीदवार कुछ हज़ार वोटों पर सिमट गया| हारा हुआ नौजवान था- अजय कुमार लल्लू| एक स्थानीय कालेज का छात्र संघ अध्यक्ष| जिले के हर मुद्दे पर पुलिस की लाठियां खाने वाला| संघर्ष इतना प्रतिबध्द कि अजय कुमार को कब लोग धरना कुमार कहने लगे किसी को खबर नहीं हुयी।

बहरहाल लल्लू उस चुनाव में खेत रहे और महज कुछ हजार वोटों पर सिमट गए। चुनाव हारने के बाद आजीविका चलाने के लिए अजय कुमार लल्लू बतौर मजदूर के तौर पर दिल्ली गए और वहां पर दिहाड़ी मजदूर रूप में काम किया। हालांकि उनको लगातार क्षेत्र के लोग फोन करते रहे और अपनी समस्या बताते रहे। लोग उनसे कहते कि वापस आओ, कौन लड़ेगा हमारी लड़ाई? और लल्लू फिर से कुशीनगर की सड़को पर लाठियां खाते दिखने लगें, मुसहरों की बस्तियों में उनको एकजूट करने लगे| नदियों की कटान को लेकर धरने पर बैठने लगे और गन्ना किसानों के लिए मीलों के घेराव के आन्दोलन के पहली कतार में|

विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने भी अजय कुमार लल्लू पर भरोसा जताया और टिकट दे दिया| एक बुजुर्ग की पांच साल पुरानी भविष्यवाणी सच साबित हुई और एक मजदूर, एक संघर्ष करने वाला नौजवान तमकुहीराज का विधायक बना| 2017 के भाजपा लहर में भी तमकुहीराज की जनता ने फिर से अपने धरना कुमार को चुना|

★क्या है प्रियंका गाँधी की रणनीति

अब जबिक उत्तर प्रदेश की कांग्रेस के अध्यक्ष के बतौर अजय कुमार लल्लू का नाम लगभग तय है| सूत्रों की माने तो महासचिव प्रियंका गाँधी की कसौटी पर अजय कुमार लल्लू का नाम खरा उतरा | उनकी कसौटी थी- वह नेता जो उत्तर प्रदेश में रहता हो| लोगों से उसका जीवंत रिश्ता हो| लोगों के संघर्षों का भागीदार हो|

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस हाशिये पर खड़े समुदाय पर फोकस कर रही है| अजय कुमार लल्लू खुद कान्दू जाति से आते हैं| उत्तर पदेश की कमेटी भी सामाजिक संतुलन और समावेशी जातीय समीकरणों के आधार पर तैयार हुई है| जिसका असर सडकों पर जनांदोलनों और चुनावी राजनीति में साफ़-साफ़ दिखेगा| संगठन में लल्लू के सहयोगियों को तौर पर नौजवान और आन्दोलनधर्मी कार्यकर्ता प्रियंका की पहली पसंद हैं। कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की मानें तो नई कांग्रेस कमेटी में नौजवान और लड़ाकू कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता मिली है| जिसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उपचुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा नौजवान उम्मीदवार उतारा है| सूत्रों की माने तो अब यह संगठन में भी दिखने जा रहा है|

प्रियंका गांधी का ओर यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर लल्लू का नाम सामने लाने के बाद मीडिया में चल रहे तमाम नामों पर चर्चा ठप्प हो गयी है। सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश में कई नाम चल रहे थे लेकिन प्रियंका गाँधी का भरोसा एक ऐसे कार्यकर्ता में बना जोकि उत्तर प्रदेश में रहता हो| आन्दोलन धर्मी हो और लोगों के सुख-दुःख का हिस्सेदार हो|

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पितृपक्ष के तुरंत बाद पहले प्रियंका गांधी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का नाम घोषित करेंगी और उसी के साथ छोटी सी प्रदेश कमेटी का भी एलान होगा। पहली बार प्रियंका गांधी ने यूपी के जिलों में अपनी टीम भेज कर जिला व शहर अध्यक्षों के चयन की कवायद पूरी की है। पहले चरण में जहां पूर्वी उत्तर प्रदेश के 35 जलों के पदाधिकारियों के नाम घोषित होगा वहीं बाद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नामों को एलान होगा। प्रियंका गांधी की योजना प्रदेश में कांग्रेस के पुनर्गठन के तुरंत बाद सीधे मैदान में उतरने की है। इसके तहत ताबड़तोड़ आंदोलन व जनसंपर्क की रणनीति पर अमल किया जाएगा।

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