सोनभद्र।जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने मंगलवार को नीति आयोग-पिरामल फाउण्डेशन के तत्वावधान में ‘‘माताओं एवं शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए धार्मिक एवं आध्यात्मिक गुरूओं की एक दिनी कार्यशाला‘‘ को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी भी समाज में धर्म गुरूओं की काफी अहमियत होती है। भारतवर्ष की बात करें, तो भारत देश में धर्म गुरूओं की महत्ता प्राचीन काल से ही है और वर्तमान में भी है। मानव विकास में जीवन स्तर को देखा जाता है। जीवन स्तर के लिए मातृ एवं शिशु कल्याण व उनका पोषण काफी महत्व रखता है, लिहाजा जिले के सभी धर्मों के धर्म गुरू/प्रभावशाली व्यक्ति जिले की माताओं एवं शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए धार्मिक एवं आधात्म की शिक्षा के माध्यम से स्वास्थ्य के अच्छे व्यवहार के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जाय। कार्यशाला में विभिन्न धर्मों के आध्यात्मिक गुरूओं व प्रभावकारी व्यक्तियों के रचनात्मक विचार काफी सकारात्मक हैं, लिहाजा मानव धर्म की संरक्षा के लिए सभी धार्मिक गुरू/व्यक्ति आगे आकर जिले को मातृ एवं शिशुओं के मृत्यु दर शून्य करने के लिए आगे आकर पुनीत कार्य के हकदार बनें।उक्त आह्वान जिलाधिकारी ने कार्यषाला में मौजूद सभी धर्मां के गुरूओं/प्रभावकारी नागरिकों से परिचय प्राप्त करते हुए उनके विचारों को जाना। इस मौके पर जिलाधिकारी ने सभी धर्म गुरूओं से अपील किया कि वे मातृ एवं बच्चें की प्रसव के मौके पर मृत्यु दर शून्य करने की कोशीश करके अपने-अपने समाज/धर्मों के अनुयायियों के बेदार/जागरूक किया जाय कि इंसान की जिन्दगी सबसे बेषकीमती चीज है। बच्चा किसी का हो, उसमें प्रकृति की चेतना होती है, बच्चे के स्वस्थ्य पैदा होने के लिए हमलशुदा/गर्भवती महिला का स्वास्थ्य होना जरूरी है, लिहाजा गर्भवती महिला का जल्द से जल्द पंजीकरण गर्भावस्था के देख-भाल के साथ ही चार प्रकार के सभी टीकें लगाये जाने के सम्बन्ध में जागरूक किया जाय। जिलाधिकारी ने कहा कि हिन्दू, ईस्लाम, ईसाई व सिख धर्म के लोक कल्याण सम्बन्धी तथ्यों पर रौशनी डालते हुए गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के सुरक्षा के साथ ही जच्चा व बच्चा के सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था/कम उम्र में लड़कियों की शादी न होने दिया जाय, संस्थागत प्रसव शत-प्रतिशत कराने, व्यक्तिगत सफाई के साथ ही सामुदायिक सफाई व भू्रण हत्या रोकने के सम्बन्ध में ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को जागरूक किया जाय। जिलाधिकारी ने धर्म गुरूओं की तारीफ करते हुए कहा कि प्राप्त हो रहे बेहतरीन ख्यालातों से यह साबित होता है कि सभी धर्मों के प्रभावकारी व्यक्ति नागरिकों में ज्यादा से ज्यादा जागरूक जायेंगें। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी सुधार हुआ है, अब महज एक फोन करने से व्यक्ति/नागरिक के दरवाजे पर एम्बुलेंस पहुंच जाती है, फिर भी मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पाया जाना चिन्ता का विषय है। कहीं न कहीं व्यवस्थाओं में कमी है, सभी की जिम्मेदारी है कि वे गर्भवती महिलाओें को एनीमिक होने से बचायें, तभी स्वस्थ्य बच्चें का जन्म होगा और जच्चा-बच्चा दोनों तन्दरूष्त रहेंगें। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 एस0पी0 सिंह, नीति आयोग-पिरामल फाउण्डेशन के प्रदेश समन्वयक अनूप पन्त, एसीएमओ डॉ0 बी0के0 अग्रवाल, जिला कार्यक्रम अधिकारी अजीत सिंह, नीति आयोग के अक्षय शर्मा, सुहेल अंसारी, मोहम्मद शमशाद, अरमेश चन्द्र त्रिपाठी, हिन्दू धर्म के धर्म गुरू/प्रभावकारी व्यक्तियों, इस्लाम धर्म के प्रभावकारी व्यक्तिं के साथ ही अन्य धर्मों के प्रभावकारी व्यक्तियांं ने महिला एवं पोषण संरक्षण पर तफ्सील से रौशनी डालते हुए अपने-अपने धर्मों के अनुयायियों में बेदारी/जागरूकता लाने का संकल्प लिया। कार्यशाला में स्वास्थ्य एवं पोषण के साथ ही साफ-सफाई के प्रति विस्तार से चर्चा की गयी और उठाये गये सवालों का शंका समाधान किया गया।