वैश्विक भाषा बढ़ने की ओर अग्रसर है हिंदी : चतुर्वेदी – सोनभद्र पर कार्य कर मिट्टी का कर्ज अदा करूंगी : सुधा

सोनभद्र, हिंदी को विश्व के कई देश सीख रहे हैं, इसके तीन प्रमुख कारण हैं, पहला भारत की जनसंख्या जिसे दुनिया एक बड़े बाजार के रूप में देखती है, दूसरा भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों का आकर्षण जो उन्हें हिंदी सीखने के लिए मजबूर करता है, तीसरा रामचरित मानस और गीता के प्रति आकर्षण जिसकी वजह से दुनिया हिंदी सीखती है, हिंदी फिल्मी गानों के योगदान को भी किनारे नहीं किया जा सकता, यह कहना था विजय शंकर चतुर्वेदी का जो हिंदी दिवस पर आयोजित समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में अपना व्याख्यान दे रहे थे, उन्होंने आगे कहा कि फिजी और नेपाल जैसे देश हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा बना सकते हैं, लेकिन भारत में अभी भी राजभाषा ही है।
इस अवसर पर सुधा पांडेय को सम्मानित भी किया गया ।

मीडिया एन्ड पब्लिकेसन ग्रुप विन्ध्य न्यूज़ नेटवर्क और सामाजिक सांस्कृतिक संस्था विन्ध्य संस्कृति शोध समिति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर शैक्षणिक उपलब्धियों पर रॉबर्ट्सगंज की सुधा पांडेय को दोनों संस्थाओं की तरफ से सम्मानित किया गया व विन्ध्य न्यूज़ नेटवर्क की तरफ से एक हज़ार का चेक भी सौंपा गया, उल्लेखनीय है कि सुधा ने नेट परीक्षा में 96 प्रतिशत से ज्यादा अंक अर्जित किये हैं और काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हेरिटेज मैनेजमेंट में शोध और अध्यापन का कार्य कर रही हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्वान डॉ अर्जुनदास केसरी ने कहा कि सुधा की उपलब्धियों से पूरा जनपद गौरवान्वित हुआ है। सुधा ने snc urjanchal को बताया कि शोध और इतिहास लेखन में वो सोनभद्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों पर कार्य कर मिट्टी का कर्ज अदा करूंगी ।
शिक्षक ओमप्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए कहा कि स्थानीय और देशज शब्दों को भी सहेजे जाने की आवश्यकता है। शिवधारी शरण राय ने कहा कि हम सब आम बोलचाल में और घरों में अंग्रेजी का बहिष्कार करें, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कृष्णमुरारी गुप्त ने कहा कि हिंदी को सिर्फ भाषा के रूप में नहीं देखना चाहिए, वह संस्कृति है।
समाजसेवी रविप्रकाश चौबे ने कहा कि अंग्रेजी को सिर्फ विषय या ज्ञान के रूप में पढ़ा जाय जबकि जीवन हिंदी के साथ जीना चाहिए।
दीपक कुमार केसरवानी ने कहा कि आक्सफोर्ड डिक्सनरी को भी हिंदी के कई शब्दों को शामिल करना पड़ा । विजय विनीत ने कहा कि आज गूगल को भी बाध्य होना पड़ा कि आप किसी भी भाषा में बोलें,गूगल हिंदी में अनुवाद करता जाएगा।
भोलानाथ मिश्रा ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनेगी ।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में डॉ अर्जुनदास केसरी ने लोकसाहित्य और आम जन के बीच बोले जा रहे शब्दों पर शब्दकोश बनना चाहिए ।
दीपक केसरवानी ने अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया, संचालक भोलानाथ मिश्र को उनके कुशल और सतत संचालन को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।

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