अफसरशाही की लेटलतीफी के कारण 19 तोतों की जिंदगी तीन गुणा तीन फीट के सरकारी पिंजरे में कैद होकर रह गई

राजस्थान

कोटा। अफसरशाही की लेटलतीफी के कारण 19 तोतों की जिंदगी तीन गुणा तीन फीट के सरकारी पिंजरे में कैद होकर रह गई है। हालांकि अभी पिंजरे में 14 ही तोते हैं। इन्हें चार दिन पहले अवध एक्सप्रेस से जब्त किया गया था। ये तभी से वन मंडल के लाडपुरा ऑफिस में इस पिंजरे में कैद हैं। इस मामले में अभी तक मामला भी दर्ज नहीं हुआ है और न इन्हें चिड़ियाघर में रिलीज करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

अफसरों ने इन्हें प्राकृतिक आवास में छोड़ने की प्रोसेस भी नहीं की है। तोतों को ट्रेन में ले जाने वाले आरोपी और संदिग्ध की पहचान भी नहीं हुई है। 8 सितंबर को आरपीएफ इंस्पेक्टर ने लाडपुरा रेंज में बताया था कि अवध एक्सप्रेस के एस-9 कोच में बाथरूम के पास छोटे पिंजरे में 19 जीवित तोते मिले हैं। इन्हें कपड़े से ढंककर ले जाया जा रहा था, जिन्हें रूटीन चेकिंग के दौरान आरपीएफ ने जब्त कर लिया। आरपीएफ ने वन मंडल की टीमको ये तोते संभलाते हुए अग्रिम कार्रवाई के लिए कहा।साभार दैनिक भाष्कर।

वन मंडल के लाडपुरा रेंज कार्यालय में रेंजर संजय नागर के निर्देशन में इन तोतों की जमकर खातिरदारी तो हो रही है, लेकिन पिंजरे से आजादी के बारे में कोई नहीं सोच रहा है। वनकर्मी सत्यनारायण, छोगालाल की ड्यूटी लगी हुई है। इनके लिए कूलर की व्यवस्था कर दी है। भुट्टे, मिर्च और ज्वार खिलाया जा रहा है। पेयजल के लिए पिंजरे में व्यवस्था की जा रही हैं। रेंजर नागर ने बताया कि हमने इनके लिए 1200 रुपए का पिंजरा खरीदा है। इसमें स्टैंड भी हैं ताकि ये आसानी से इधर-उधर घूम सकें। हम इनकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

एक्ट के हिसाब से पिंजरे में रखना भी अपराध

वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 के तहत तोतों को शिड्यूल-चार में रखा गया है। इसके हिसाब से तोते की खरीद बिक्री कानूनन गलत है। तोते को पिंजरे में प्रताड़ित करना भी अपराध है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि वन विभाग की और से भी इन्हें पिंजरे में रखते हुए कानून तोड़ा जा रहा है।

19 तोते संभलाए थे आरपीएफ ने, अब बचे हैं 14, रेंजर ने कहा-5 उड़ गए

8 सितंबर को आरपीएफ ने वन विभाग को 19 जीवित तोते संभलाए थे। मंगलवार को भास्कर की टीम ने जब इन्हें गिना तो पिंजरे में कुल 14 तोते ही मिले। भास्कर ने इस संबंध में रेंजर से पूछा तो उन्होंने कहा कि छोटे पिंजरे से जब इन्हें बड़े पिंजरे में शिफ्ट किया गया तो पांच तोते उड़ गए। ऐसे में यहां अब 14 तोते ही रह गए हैं।

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