डाला/सोनभद्र।बिल्ली मारकुंडी स्थानीय पत्थर उद्योग बचाओ समिति द्वारा बंद पड़े लघु खनन उद्योग के नवीनीकरण कर चालू किए जाने व सरकार के हो रहे राजस्व क्षति और बेरोजगारी की समस्या को लेकर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय को मुख्यमंत्री के नाम बारह बिन्दुओं पर सौंपा पत्रक|

पत्रक सौपे जाने के बाद जल्द ही ठोस निर्णय निकाले जाने का आश्वासन दिया|जानकारी के अनुसार बिल्ली मारकुंडी मे सैकड़ो लघु व्यवसाई खनन उद्योग में लगभग 40 से 45 वर्षों से जुड़े है जो आज मरणासन्न की स्थिति में पहुंच गया है,जहॉ 400 कसर प्लांट लगे हुए हैं जिसकी कुल अनुमानित लागत बारह सौ करोड़ रुपए है खनन कसर उद्योग बंद होने से लाखों की संख्या में खनन व्यवसाई व श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं जबकि जनपद सोनभद्र आदिवासी बाहुल्य एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र है और चार अन्य प्रदेशों से घिरा हुआ है खनन उद्योग सोनभद्र समेत सीमावर्ती चार अन्य राज्यों के श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराता है|खनन उद्योग मे पूर्व के पट्टाधारकों का पट्टा उच्च न्यायालय के आदेशों के बाबजुद नही चालू किया गया जिससे प्रति वर्ष लगभग 100 करोड़ के सरकारी राजस्व की भी क्षति भी हो रही है|जब की प्रदेश के मुखिया द्वारा पिछले वर्ष 30 जुलाई को एक समीक्षा बैठक की गई जिसमे यह निर्णय लिया गया की छोटे छोटे खण्डों में खनन पट्टो का आवंटन कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार समायोजित किया जाएगा,अत्यधिक छोटे छोटे खनन पट्टो से गिट्टी को सुगमता बन सकेगी| प्रायः बन विभाग द्वारा अनायास ही व्यवधान उत्पन्न किया जाता रहा है जिससे समय समय पर खनन प्रभावित होता रहा है,जो न्यायलय के हस्तक्षेप के बाद बिल्ली मारकुन्डी का खनन उद्योग सुचारु रुप से चल पाया है|समय रहते खनन उद्योग के बारे में कोई ठोस निर्णय नही लिया गया तो हजारों करोड़ का व्यापार पूर्णतया बन्द हो जाएगा|इस दौरान अतुल सिंह,संतोष सिंह, राजु सिंह, अनिल यादव, रमेश राय, अरुण सिंह,आशीष, विवेक सिंह,कृपा शंकर सिंह,सुनील सिंह समेत दर्जने लोग मौजुद रहे|
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