लागू हो वनाधिकार कानून, भूमि आयोग का हो गठन
घोरावल तहसील पर धरना दें सीएम को भेजा पत्रक
घोरावल, सोनभद्र 7 अगस्त 2019,। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद वनाधिकार कानून के तहत जमीन पर अधिकार न देना, आदिवासी व वनाश्रित दावाकर्ताओं के ऊपर फर्जी मुकदमें कायम करना, उनकी गिरफ्तारी करना, उन्हें खेती किसानी से रोकना, पुष्तैनी जमीन से बेदखल करना और स्वराज अभियान के जिला संयोजक कांता कोल को गिरफ्तारी की धमकी देने की घोरावल वन विभाग द्वारा की जा रही उत्पीड़न की कार्यवाही लम्बे लोकतांत्रिक प्रयास के बाद इस क्षेत्र में स्थापित शांति को भंग कर देगी और सामाजिक तनाव को बढ़ाने का काम करेगी। इसलिए तत्काल प्रदेष सरकार और प्रषासन को चाहिए कि वह हस्तक्षेप करे और वन विभाग द्वारा जारी उत्पीड़न की कार्यवाहियों पर रोक लगाए। यह मांग आज घोरावल तहसील में मजदूर किसान मंच व स्वराज अभियान द्वारा आयोजित धरने में पुरजोर तरीके से उठी। धरने का नेतृत्व स्वराज अभियान के जिला संयोजक कांता कोल और मजदूर किसान मंच के प्रभारी श्रीकांत सिंह ने किया। धरने के द्वारा उभ्भा नरसंहार की न्यायिक जांच कराने, वनाधिकार कानून को लागू करने, जब तक दावों का निस्तारण नहीं हो जाता तब तक बेदखली पर रोक लगाने, भूमि आयोग का गठन करने, उभ्भा के ग्रामीणों पर लगे गुण्ड़ा एक्ट के मुकदमें वापस लेने, भूमि विवादों के हल के लिए रेवन्यू फास्ट टैªक कोर्ट के गठन जैसी मांगों का मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम घोरावल को दिया गया।धरने में दर्जनों गांव के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
धरना स्थल पर आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी किसानों के उभ्भा नरसंहार से सीख लेकर इस क्षेत्र में मौजूद जमीन के सवाल को हल करने और वनाधिकार कानून को लागू करने की जगह वन विभाग द्वारा दमन और उत्पीड़न किया जा रहा है। एक तरफ ट्रस्ट, कोआपरेटिव सोसाइटी और मठ बनाकर ग्रामसभा और जंगल की हजारों बीधा जमीन फर्जीवाड़ा कर हड़प ली गयी। वहीं हाईकोर्ट के आदेष के बाद भी तहसील में पड़े हुए वनाधिकार के दावों का विधि के अनुरूप निस्तारण नहीं किया जा रहा है। वक्ताओं ने मांग की कि वनाधिकार कानून में तहसील में दाखिल दावों का निस्तारण कर आदिवासियों और वनाश्रितों को उनकी पुष्तैनी जमीन पर अधिकार दिया जाए और जब तक यह न हो तब तक उन्हें खेती किसानी से रोका न जाए।
धरने को मजदूर किसान मंच जिला सचिव राजेन्द्र सिंह गोंड़, सेवालाल कोल, मनोज भारती, केषनाथ मौर्य, राम दुलारे प्रजापति, नंदलाल कोल, बेचन गोंड़, संतलाल बैगा आदि लोगों ने सम्बोधित किया।
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