हाईकोर्ट की अवहेलना कर उत्पीड़न कर रहे घोरावल रेंजर प्रमुख सचिव वन को भेजा पत्र आदिवासी उत्पीड़न पर लगे रोक

सोनभद्र, 30 जुलाई 2019।इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद घोरावल रेंजर द्वारा स्वराज अभियान के जिला संयोजक कांता कोल समेत आदिवासियों के उत्पीड़न के खिलाफ आज प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखकर रेंजर द्वारा की जा रही उत्पीड़न की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गयी। इस पत्र की प्रति जिलाधिकारी, डीएफओं मिर्जापुर को भी प्रेषित की गयी है।
स्वराज इंडिया के नेता दिनकर कपूर द्वारा भेजे पत्र में कहा गया कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने हमारी जनहित याचिका में आदेश दिया है कि आदिवासी व वनाश्रित अपना दावा जमा करें और उनका उ0 प्र0 शासन पुनः परीक्षण कराए। जब तक यह परीक्षण नहीं
हो जाता तब तक किसी दावाकर्ता का उत्पीड़न न किया जाए। बावजूद इसके घोरावल रेंज के रेंजर द्वारा लगातार वनाधिकार कानून के तहत दावा जमा करने वाले दावाकर्ताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। पेढ़ गांव में दावाकर्ताओं को खेती करने से रोक दिया गया और उन
पर फर्जी मुकदमें कायम कर दिए गए। आज ही स्वराज अभियान के जिला संयोजक और आदिवासी वनवासी महासभा के नेता कांता कोल की गिरफ्तारी के लिए वन विभाग के लोग उनके गांव परसौना गए थे और उनको धमकी देकर आए है। पत्र में कहा गया कि ज्ञात हो कि
घोरावल के ही उभ्भा गांव में ही अभी जमीन सम्बंधी विवाद में आदिवासियों के नरसंहार की दर्दनाक घटना हुई है। वहां जमीन के सवाल को हल करने और वनाधिकार कानून के तहत पुश्तैनी जमीन पर अधिकार देने की जगह घोरावल रेंजर द्वारा किया जा रहा उत्पीड़न सामाजिक तनाव को बढ़ा रहा है। इतना ही नहीं घोरावल रेंजर द्वारा की जा रही उत्पीड़न की यह कार्यवाही अविधिक है और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। इसी प्रकार अनपरा रेंज के रेंजर द्वारा कल रणहोर गांव के आदिवासियों को उनकी पुश्तैनी जमीन से बेदखल किया गया और उन पर मुकदमें कायम किए गए।
पत्र में प्रमुख सचिव से मांग की गयी कि घोरावल रेंजर समेत वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि जब तक दावों का निस्तारण नहीं हो जाता तब तक विधि के विरूद्ध जाकर कांता कोल समेत हमारे कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न पर रोक लगायी जाए
और दावाकर्ताओं के पुश्तैनी कब्जें की जमीनों से बेदखली पर रोक लगायी जाए।

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