रिपोर्ट, 2006 के बाद दोगुनी हुई बाघों की संख्या
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 जारी की और कहा कि देश आज दुनिया में बाघों के लिए सबसे सुरक्षित और सबसे बड़े पर्यावास क्षेत्रों में से एक के रूप में उभर कर सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में बाघों की संख्या 2006 (रिपीट) 2006 में 1400 थी जो बढक़र 2019 में 2977 हो गई है। पीएम मोदी ने कहा, ‘आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत करीब 3 हज़ार बाघों के साथ दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित पर्यावास में से एक है।’ उन्होंने कहा कि विकास या पर्यावरण की चर्चा पुरानी है। हमें सहअस्तित्व को भी स्वीकारना होगा और सहयात्र के महत्व को भी समझना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं महसूस करता हूं कि विकास और पर्यावरण के बीच स्वस्थ संतुलन बनाना संभव है। हमारी नीति में, हमारे अर्थशा� में, हमें संरक्षण के बारे में संवाद को बदलना होगा।’ उन्होंने कहा कि बीते पांच वर्षों में जहां देश में अगली पीढ़ी के आधारभूत ढांचे के लिए तेजी से कार्य हुआ है, वहीं भारत में वन क्षेत्र का दायरा भी बढ़ रहा है। देश में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। मोदी ने कहा कि 2014 में भारत में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या 692 थी जो 2019 में बढक़र अब 860 से ज्यादा हो गई है। साथ ही सामुदायिक संरक्षित क्षेत्रों की संख्या भी साल 2014 के 43 से बढक़र अब सौ से ज्यादा हो गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों से यही कहूंगा कि जो कहानी ‘एक था टाइगर’ के साथ शुरू होकर ‘टाइगर जिंदा है’ तक पहुंची है, वो वहीं न रुके। केवल ‘टाइगर जिंदा है’, से काम नहीं चलेगा। बाघ संरक्षण से जुड़े जो प्रयास हैं उनका और विस्तार होना चाहिए, उनकी गति और तेज की जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि नौ वर्ष पहले सेंट पीटर्सबर्ग में यह तय हुआ था कि 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुणा करने के लक्षय़ को हासिल किया जाए (रिपीट) जाए। भारत में हमने इस लक्षय़ को चार वर्ष पहले ही हासिल कर लिया। यही संकल्प से सिद्धि का शानदार उदाहरण है। पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारत आíथक एवं पर्यावरण के दृष्टिकोण से समृद्ध होगा। भारत अधिक संख्या में सड़कें बनायेगा और देश में अधिक संख्या में स्वच्छ नदियां होंगी। भारत में अधिक रेल सम्पर्क होगा और अधिक संख्या में वृक्षों का दायरा बढ़ेगा।