दुनियां में चमत्कार नाम की कोई चीज नही, वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही एक मात्र विकल्प

समाज मे फैला अंध विश्वास विकास की राह में बाधक

चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या ,कार्यशाला का आयोजन

म्योरपुर सोनभद्र (विकास अग्रहरी)

बनवासी सेवा आश्रम के विचित्रा महा कक्ष में विकास संस्थान द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रम के तहत सोमवार को चार दिवसीय चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन अंध विश्वासों के खिलाफ वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्य से किया गया।जिसमें 35 प्रतिभागी शामिल रहे।इस अवसर पर बनवासी सेवा आश्रम की सचिव शुभ बहन ने अपने संबोधन में कहा कि समाज मे फैला अंध विस्वास विकास की राह में बाधक है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही अंधविश्वास को दूर करने का एक मात्र विकल्प है।उन्होंने आगे कहा कि ग्रमीणों के साथ ही अधिक पढ़े लिखे शहरी लोगों में भी अंधविश्वास की अधिकता दिनों दिन बढ़ती जा रही है यह एक चिंता का विषय है। विभिन्न चमत्कारों के प्रदर्शन के जरिये अपने कार्यक्षेत्र के गांव गांव में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने तथा अंधविश्वास को दूर करने की दिशा में व्यापक प्रचार प्रसार करने के प्रयास संस्था के कार्यकर्ताओं के माध्यम से किया जा सकेगा।

बुलंदशहर से आये रोहतास रघुवंशी ने संबोधन में कहा कि दुनियां में चमत्कार नाम की कोई चीज नही होती ,।जिसका ज्ञान हमे नही होता उसे संवेदनशील मुद्दों द्वारा हमारे सामने प्रस्तुत कर चमत्कार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने कहा कि भूत प्रेत जादू टोना, कुछ नही है बस हमारे समझ से परे होने पर हम उसे सही मान लेते है। कहा कि बच्चों में सवाल करने की उत्सुकता होती है और उसका उत्तर भी देना चाहिए।बताया कि बच्चे दिन भर में तीन से पांच सौ तक सवाल पूछते है क्योंकि उनमें जानने की जिज्ञासा होती है। आगे उन्होंने कहा कि मां बाप को तीन साल तक बच्चों को साथ रखना ही चाहिए नही तो वह कुंठित हो जाएगा।

पेशे से चिकित्सक डॉ विभा बहन ने कहा कि गांव के लोग मेरे पास अस्पताल में दावा करने तब आते हैं जब गांव में ओझा एवं तांत्रिकों से झांड फूक से थक हार चुके होते हैं। जिन महिलाओं को बच्चे नहीं होते उन महिलाओं को उनके परिवार कहते हैं या तो इसके ऊपर ऊपरी फेर है अथवा कोई गडबडी है जबकि 100 में से 70 से 80 प्रतिशत महिलाओं के पतियों में पुरुषत्व (फर्टिलिटी) नही होता जबकि महिलाओ में फर्टिलिटी पर्याप्त रहती है।

वैज्ञानिक प्रमोद ने 500 का नोट हाथ से निकलने, बिना चाकू के केला काटने ,खुली हथेली में अक्षत निकालने , पेट मे चाकू घुसाने जैसे कलाओं के जरिये बताया कि यह चमत्कार नही है। मौके पर नीलम सिंह सोमेश भाई जवाहर ,देवनाथ भाई , प्रदीप अजय झा शिव नारायण , फूलमती नीरा, प्रमोद शर्मा, चांद तारा पुनिता रमेश ,राम सुभग, आदि रहे।संचालन आयोजक संस्था विकास प्रयागराज के निदेशक डॉ सत्येन्द्र सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सर्वजीत भाई ने किया।

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