यूपी के इस जिला अस्पताल में शुरू हो रही डायलसिस सुविधा, डीएम ने किया निरीक्षण

डीएम के बाला के अनुसार डायलसिस के लिए कार्यदायी संस्था का चयन किया जा चुका है

गाजीपुर।यूपी के गाजीपुर के जिला अस्पताल डायलसिस की सुविधा शुरू होने जा रही है। जिसे लेकर गुरूवार को डीएम के बाला जी ने जगह का निरीक्षण किया। डीएम के बाला के अनुसार डायलसिस के लिए कार्यदायी संस्था का चयन किया जा चुका है और एक माह के अंदर जिला अस्पताल में डायलसिस की सुविधा शुरू कर दी जाएगी।

दरअसल, शासन से डायलासिस की सुविधा स्वीकृत हो चुकी है और इसके लिये कार्यदायी संस्था का भी चयन हो चुका है । वहीं जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ एसएन प्रसाद ने बताया कि शासन से जो स्वीकृति आयी है उसके अनुसार डायलासिस के लिये एक अलग से भवन निर्माण की बात की गयी है पर हमारे पास अस्पताल में पर्याप्त जगह उपलब्ध है जहां की डायलासिस की सुविधा शुरू की जा सकती है। कहा कि लेकिन इस तकनीकी समस्या की वजह से डायलासिस की सुविधा शुरू होने में देरी हो रही है। इसी तकनीकी खामी को दूर करने के लिये डीएम ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया और सीएमएस के साथ बैठक करके इसे दूर करने पर बात की।

*गाजीपुर जिला अस्पताल में मिलेगी डायलसिस की सुविधा*

डायलिसिस की सुविधा हो जाने से किडनी से सम्बंधित मरीजों को काफी सुविधा तो मिलेगी। लेकिन इस सुविधा का मरीज कैसे लाभ उठा पाएंगे। ये एक सवाल सबके मन में जरूर रहेगा। जी हां 40 लाख की आबादी वाले गाजीपुर जिला में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर मात्र एक जिला अस्पताल है। 2017 में पुराने जिला अस्पताल को नए बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया। पुराना जिला अस्पताल 150 बेड का था। 150 बेड के अस्पताल के लिए 26 डॉक्टरों की जरूरत थी। लेकिन नए जिला अस्पताल को 200 बेड का बनाया गया है। लेकिन डॉक्टरों की संख्या को बढ़ाया नहीं गया। पुराने अस्पताल के पैटर्न पर 26 डॉक्टरों की ही जगह है। लेकिन जिला अस्पताल में 50 फीसदी यानी 13 डॉक्टर ही मौजूद है। इन 13 डॉक्टरों में न तो कोई सर्जन है, न ही कार्डियोलॉजिस्ट, और न ही अर्थों सर्जन है। ये तीन डॉक्टर किसी भी अस्पताल को चलाने के लिए बेसिक तौर पर जरूरी है। वहीं इस अस्पताल में सिटीस्कैन सुविधा भी मौजूद है। लेकिन न्यूरो के डॉक्टर के अभाव में सिटीस्कीन कितना उपयोगी होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते है। जिला अस्पताल को डायलिसिस की सौगात की जरूर मिल रही है। लेकिन क्या इसके स्पेसिलिस्ट भी मिलेंगे। अगर डायलिसिस के स्पेसलिस्ट नहीं रहेंगे तो ये मशीन कितना उपयोगी होगा। इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। जिला अस्पताल को मशीनों से सुसज्जित तो किया जा रहा है। लेकिन डॉक्टरों के अभाव पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कि जा रही है।

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