महज कानून व्यवस्था का सवाल नहीं है उम्भा नरसंहार-राजेश सचान

भूमि आयोग का गठन हो, वनाधिकार को लागू किया जाए
स्वराज इंडिया की बैठक में 25 जुलाई को ज्ञापन देने की तैयारी

सोनभद्र, 23 जुलाई 2019।, उम्भा में आदिवासी किसानों का हुआ नरसंहार महज कानून व्यवस्था का सवाल नहीं है बल्कि इसने इस पूरे क्षेत्र में सामाजिक तनाव के बड़े कारण जमीन के विवाद को सामने लाया है। इसलिए सरकार और विपक्ष को महज कानून व्यवस्था और मुआवजे की राजनीति करने की जगह भूमि विवाद के हल के लिए भूमि आयोग के गठन की पहल करनी चाहिए। यदि सपा, बसपा व कांग्रेस उभा के नरसंहार में मृत आदिवासियों के प्रति संवेदनशील है तो उसे प्रदेश में चल रहे विधानसभा सत्र में सरकार को बाध्य करना चाहिए कि वह इस क्षेत्र में वनाधिकार कानून को अक्षरशः लागू करे, फर्जी ट्रस्ट व मठों के नाम पर अवैध कब्जा की हुई जमीनें अधिगृहित कर गांव के गरीबों में वितरित करे और उभा काण्ड़ की न्यायिक जांच कराए। यह बातें आज राबर्ट्सगंज कार्यालय पर आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए स्वराज इंडिया की राज्य कार्यसमिति के सदस्य राजेश सचान ने कहीं। बैठक की अध्यक्षता स्वराज अभियान के जिला संयोजक कांता कोल ने और संचालन कृपा शंकर पनिका ने किया।
बैठक में 25 जुलाई को जिलाधिकारी को ज्ञापन देने के कार्यक्रम की तैयारी की गयी। बैठक में प्रस्ताव लेकर पूरे जिले में आपातकाल लगाने की कड़ी निंदा की गयी और कहा गया कि जिले में सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित कर सरकार और प्रशासन जिले की शांति के लिए खतरा पैदा कर रहा है। इसलिए प्रशासन को सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना चाहिए। बैठक में लिए प्रस्ताव में कहा गया कि यह शर्मनाक है कि उभा गांव के पीड़ितों को कब्जे वाले भूमि पर पट्टा देने व मृतकों के आश्रितों को सफाई कर्मी की सरकारी नौकरी देने की न्यूनतम मांग जिसे खुद जिलाधिकारी द्वारा भाजपा के तीन विधायकों व जिला पंचायत अध्यक्ष के हस्ताक्षर के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा गया था उसे भी पूरा करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने अपने दौरे में नहीं की।
बैठक में जितेन्द्र धांगर, रामाधार धांगर, मनोज भारती, सेवालाल कोल, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, मंगरू प्रसाद श्याम, राजाराम भारती, श्रीकांत सिंह, मनोहर गोंड़, केशो मौर्य, राम दुलारे प्रजापति, शिवनाथ गोंड़, राजकुमार खरवार, रमेश सिंह खरवार आदि लोगों ने अपनी बात रखी।

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