एस एच हो पर हजार रुपए का जर्माना ।
मथुरा ।
देश और प्रदेश की सरकारों के साथ ही उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय भले ही सस्ता और सुलभ न्याय दिए जाने के भले शिविर लगा कर लोगो को जागरूक करते हो मगर बिना गवाही के न्यायालयों में विचाराधीन वादो की संख्या भी कोई कम नहीं है और इस सबके लिए जिम्मेदार है पुलिस जो की समय पर गवाहन को पेश नहीं कर पाती और यही वजह है आज न्यायालय ने बिजली चोरी के एक मामले में 99 बार तारीख पड़ने के बाद भी जब चार्जशीट दाखिल करने वाले इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर न्यायालय में गवाही देने हाजिर नहीं हुए तो न्यायालय ने अपना रुख बदलते हुए गवाही देने न आने वाले दिनों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर गिरफ्तार कर दोनो पुलिस अधिकारियों को न्यायालय में पेश करने के आदेश जारी किए है ।
सूत्रों से मिली दे मिली जानकारी के अनुसार बिजली चोरी कर आटा चक्की चलाने के एक मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद 2007 से लेकर अब तक अपने ही विभाग के गवाह को प्रस्तुत न कर पाने पर आज विशेष न्यायाधीश एडीजे चतुर्थ अमरपाल सिंह ने छाता पुलिस के खिलाफ काफी बड़ी कार्यवाही करते हुए कड़ा कदम उठाया है।
विद्वान न्यायाधीश ने इसे छाता पुलिस की घोर लापरवाही मानते हुए प्रभारी निरीक्षक छाता रमेश प्रसाद भारद्वाज पर न सिर्फ एक हजार रुपए का जुर्माना ठोका बल्कि इस आशय का आदेश भी दिया कि इस आदेश का उल्लेख रमेश प्रसाद भारद्वाज की व्यक्तिगत सेवा पत्रावली में किया जाए ताकि जब उनकी प्रोन्नति का समय आए तब इस आदेश का संदर्भ आवश्यक रूप से लिया जा सके। प्रभारी निरीक्षक छाता रमेश प्रसाद भारद्वाज पर लगाया गया एक हजार रुपए का जुर्माना उनके वेतन से काटकर कोर्ट में जमा कराया जाएगा।
विद्वान न्यायाधीश ने लिखा है कि प्रभारी निरीक्षक छाता रमेश प्रसाद भारद्वाज के आचरण से अवगत कराने के लिए यह आदेश पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश, पुलिस महानिरीक्षक आगरा जोन, पुलिस उप महानिरीक्षक आगरा परिक्षेत्र को भेजा जाए। साथ ही एक प्रति एसएसपी मथुरा को भेजी जाए जिससे वह आदेश का अनुपालन करा सकें।
दरअसल, बिजली चोरी के इस मामले में बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता नरेन्द्र कुमार, अवकाश प्राप्त अवर अभियंता सीपी शर्मा सहित एच सी कैलाश चंद के बयान हो चुके थे और केस का निस्तारण सिर्फ इसलिए नहीं हो पा रहा था कि छाता पुलिस ने 99 तारीखें लेने के बावजूद एसआई रामसनेही यादव को पेश नहीं किया।
आश्चर्य की बात यह है कि विद्युत विभाग के अधिवक्ता करन सिंह ने ही न्यायालय से अनुरोध किया कि वह एसआई राघवेन्द्र सिंह यादव तथा एसआई राम सनेही यादव को बतौर साक्ष्य प्रस्तुत कराना चाहते हैं।
आज सुनवाई के वक्त जब छाता पैरोकार ने अगली तारीख लेने के लिए फिर स्थगन प्रार्थना पत्र दिया तो पता लगा कि छाता पुलिस इतने वर्षों में यह भी ज्ञात नहीं कर सकी कि एसआई राम सनेही यादव की तैनाती फिलहाल कहां है जिससे साफ जाहिर है कि छाता पुलिस पैरवी में लगातार शिथिलता बरतती चली आ रही है।
अदालत ने केस की सुनवाई के लिए 03 अगस्त 2019 की तारीख तय करते हुए दोनों उप निरीक्षकों के गैर जमानती वारंट जारी करते हुए छाता पुलिस को सख्त हिदायत दी है कि वह 03 तारीख को उन्हें गिरफ्तार करके साक्ष्य के लिए अदालत में पेश करे।
छाता पुलिस का यह हाल तो तब है जब कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुराने मामलों के शीघ्र निस्तारण का स्पष्ट आदेश अधीनस्थ अदालतों को दे रखा है और पुलिस इस निर्देश से भली-भांति परिचित है। ध्यान रहे कि हाल ही ने इसी कोर्ट ने गवाही न देने पर एसीएमओ को जेल की हवा खानी पड़ी थी अपर जिला जज चतुर्थ अमर पाल सिंह (विशेष न्यायाधीश) के इस आदेश के बाद पुलिस अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।