छात्रावासों में रहने वालों को देना होगा हलफ़नाम
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रावासों में अपराध न पनपने पाएं इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन खाका तैयार कर अमलीजामा पहनाने में लगा है। विश्वविद्यालय प्रशासन लंबे समय से छात्रावास में काबिज अतः वासियों को बाहर निकालाने कामयाबी हासिल की है ।विश्वविद्यालय के छात्र ना होते हुए भी सैकड़ों अतः वासी हॉस्टल में कब्जा जमाएं हुए थे। लीगल छात्रों के बीच रहकर हॉस्टल कि आड़ में वारदातों को भी अंजाम दिया करते थे।कई बार छात्रावासों का तार बड़े गैंगवार से लेकर वारदातों में जुड़ा इन सब के बीच सबसे ज्यादा नुकसान उन छात्रों का हुआ जो छात्रावास में रहकर अपनी तैयारी करते थे । विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल वास आउट करा कर नव प्रवेशी छात्रों को एलाट कर रहा है और उन्हें दिलाने में जुटा है ।छात्रावास में रहने वाले छात्रों के साथ वार्डन का सीधा संवाद होगा छात्रावास के अधीक्षक और सुरक्षा अधिकारी के पास सभी छात्रों के परिजनों का पूरा डिटेल होगा जिन्हें समय-समय पर बुलाकर छात्रों की काउंसिलिंग भी कराई जाएगी।
*गौरवशाली इतिहास रहा*
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रावासों का गौरवशाली इतिहास रहा है कभी यहां सीनियर छात्र और शिक्षक अध्यापन का माहौल बनाए रखते थे । राज नेताओं से लेकर सैकड़ों ब्यूरोक्रेट्स इस छात्रावास की गलियारे से होकर गुजरे है। सैकड़ों आईएएस,आईपीएस इन छात्रावासों में रहकर अपने क्षेत्र की ऊंचाइयों को छुआ है ।यह छात्रावास अध्ययन- अध्यापन के साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन के भी केंद्र रहे है ।यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ बड़ी- बड़ी लड़ाइयां लड़ी गई लेकिन समय की विडंबना रही है कि इन्हीं छात्रावास में अपराध के दाग लगे हैं।
*लगातार हत्याओं से खुली पोल*
विश्वविद्यालय में आपराधिक छवि के छात्रों की संख्या बेहद कम है। लेकिन शहर में होने वाली हत्या लूट की घटनाओं में कई बार ऐसा होता है कि छात्रावास के छात्रों का नाम सामने आता है । ऐसे में विश्वविद्यालय की भी किरकिरी होती है, पिछले दिनों पीसीबी छात्रावास में पूर्व छात्रनेता सुमित शुक्ला की हत्या ने सारी व्यवस्था की पोल खुल दी । वही कुछ दिनों के बाद बेटू शुक्ला की हास्टल में हत्या हो गई । जिसकें बाद विश्वविद्यालय के छात्रावासों से अपराधियों को हटाने के लिए बड़ी रणनीति के साथ हाईकोर्ट का निर्देश लेकर विद्यालय प्रशासन ने छात्रावास का वास आउट कराया। जिसका जमकर विरोध हुआ ।
*पुलिस को कैंपस में जाने की अनुमति*
विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावासों में अपराधियों को दबोचने के लिए पुलिस को पहली बार खुली छूट दे दी है। इसके पहले कभी भी छात्रावास या विश्वविद्यालय कैंपस में बिना विवि के प्रशासनिक अनुमति के पुलिस प्रवेश नहीं कर सकती थी। इसके अलावा हर छात्र से आवंटन से पहले हलफनामा लिया जा रहा है. इस हलफनामे में छात्रों को यह लिख कर देना होगा कि मेरे ऊपर कोई भी आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है ।अभी तक पुलिस को विश्वविद्यालय परिसर में छात्रावासों में घुसने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति लेनी पड़ती थी इसी का फायदा उठाकर छात्रावासों में अपराधी भी शरण लेते थे।
वार्डन करेंगे सीधा संवाद
सभी छात्रावासों में मेस की सुविधा को अनिवार्य कर दिया गया है। किसी को भी कमरों में हीटर, गैस सिलेंडर रखने की अनुमति नहीं होगी। सप्ताह में एक दिन अधीक्षक एनिमेट के साथ मेस में नहीं खाना खाएंगे। इसके अलावा परिजनों को भी समय-समय पर छात्रावास बुलाया जाएगा। छात्रों की कार्यशैली की रिपोर्ट ने दी जाएगी।इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राक्टर डॉ राम सेवक दुबे ने बताया कि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का माहौल शुचारू रुप से चल सके।विश्वविद्यालय उच्च सत्तर तक पहुंच सके। एक बार फिर यह प्रशासनिक सेवा का केंद्र बने छात्रों को सकारात्मक गतिविधियों में सक्रिय करने के लिए सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भी छात्रावासों में योजनाएं बनाई जा रही हैं। छात्रों को ऊर्जा को सकारात्मक गतिविधियों में लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
*वि वि के छात्रावास
विवि के पास ,अमर नाथ झा ,गंगा नाथ झा ,सर सुंदर लाल ,केपीयूसी ,हालैंडहाल ,हिन्दू हास्टल ,मुस्लिम बोर्डिंग , डॉ राधा कृषनन ,पीसीबी ,शताब्दी ,डॉ तारा चन्द्र ,जैन छात्रावास सहित पांच महिला छात्रावास है जिसमें छात्रों के रहने की व्यवस्था है।