हुज़ूर ताज़्ज़ुशरिया के उर्स पर महफिले मिलाद का आयोजन

जामा मस्जिद में सजी दुरुदों सलाम की महफ़िल में पेश की गई खेराजे अकीदत
दुद्धी। फैजाने रज़ा कमेटी दुद्धी के तत्वावधान में बुधवार की रात बाद नमाज एशा हुजूर ताज़्ज़ुशरिया के सालाना उर्स के मौके पर महफिले मिलाद का एहतमाम किया गया। इस मुबारक महफ़िल का आगाज़ पेशिमाम हाफिज सईद अनवर की रूहानी कलामे पाक की तिलावत से हुई। तत्पश्चात मौलाना कासिम ने “हज के महीने में हमें भी बुला लेते या खुदा, मोबिनुलहुदा ने “दीवाना क्यूँ तड़पता है हुज़ूर ताज़्ज़ुशरिया के लिए, यूनुस खान ने “आरजू नहीं है दौलत की, आरजू नहीं है ज़न्नत की, बस उनके नालैन का बोसा, या खुदा मेरे नाम लिख देना, तथा फैजाने रज़ा कमेटी के सदर रिज्वानुद्दीन लड्डन ने मुनौव्वर मेरी आँखों को मेरे शमशुद्दुहा कर दे जैसे नाते पाक व मनकबत पेशकर महफ़िल में शामिल लोगों को नारे तकबीर अल्लाहो अकबर, नारे रिसालत या रसूलुल्लाह के नारे लगवाते रहे। मिलाद शरीफ में तकरीर करते हुए दारुल उलूम कादरिया नूरिया के मुदर्रिस मौलाना नजीरुल कादरी ने कहा कि हुजूर ताज़्ज़ुशरिया के पास बहुत बड़ी दीनी इल्म के खजाना होते हुए भी वो सादगी के मिसाल थे। अपनी काबिलियत के बदौलत मुसलमानों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल मक्का में हिंदुस्तान मुल्क का प्रतिनिधित्व कर मुल्क का नाम रौशन किया। उन्हें बाकायदा सऊदी की हुकूमत ने हिंदुस्तान से बतौर मेहमाने खास बुलवाकर मक्का शरीफ की चाभी सौंपी और खाने क़ाबा में प्रवेश करने अवसर प्रदान किया। हुज़ूर ताज़्ज़ुशरिया को कई भाषाओं में दक्षता हासिल थी। कोई भी इस्लाम धर्म से सम्बंधित मसला हो, उसका फतवा वो उसी भाषा में दिया करते थे। दुनियां के तमाम मुल्क के लोग नेट पर उनका फतवा मंगवाते थे। मौलाना नजीरुल कादरी ने यह भी बताया कि 1943 में जन्मे हुजूर ताज्जोशरिया का गत 20 जुलाई 2018 को विसाल हो गया। वे करीब 75 साल के थे। वर्ष 1970 में जैम-ए-अशहर मिस्र यूनिवर्सिटी में उन्होंने दाखिला लेकर पूरी तालीम के दौरान गोल्ड मेडलिस्ट रहे। उन्हें दीन की किताबों और जानकारी में महारत हासिल था। भारत सहित कुल 27 देशों में उनके करोड़ों मुरीद हैं। उनके जनाज़े की नमाज में अब तक की दुनिया की सर्वाधिक भीड़ देखने को मिली है। अंत में मौलाना नजीरुल कादरी की रूहानी दुआख्वानी के साथ उन्हें खिराजे अकीदत (श्रधांजलि) पेश की गई। इस अवसर पर मुहम्मद शमीम अंसारी, मेराज अहमद, मुन्नन हवारी, गोल्डन, बेचू साह सहित अन्य अकीदतमंद हजरात मौजूद थे।

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