पानी के लिये दर दर भटक रहे आदिवासी

दुद्धी ।ब्लॉक मुख्यालय से मात्र 7-8 किलोमीटर दूर टेढ़ा गांव का दक्षिणी टोले भुइयां बस्ती का आदिवासी परिवार आज भी चुआड़ (नाले) का गंदा पानी पीने को बेबस हैं ।आधुनिक युग में जहां लोग आर ओ का पानी पी रहे हैं तो वही इन गरीब आदिवासी परिवार को एक नाले में चुआड़ खोदकर पानी पीना पड़ रहा है । क्योंकि स्थानीय प्रशासन द्वारा इनके लिए पेयजल की कोई समुचित व्यवस्था नही कराई गई हैं ।चुआड़ का पानी पी रहे हैं आदिवासी परिवार के रघुबीर महावीर ,मिठाई ,हुबलाल ,शिवनाथ,सुनीता देवी ,पान कुवँर देवी ,रामकोलवा देवी आदि लोगों ने कहना है कि हमलोग टेढ़ा गांव के दक्षिणी टोले पहाड़ के पास जब से निवास कर रहे हैं तब से कच्चे कुएं या नाले में चुआड़ खोदकर पानी पीते हैं जबकि गांव के कुछ शरारती तत्वों द्वारा खोदे गए चुआड़ को भी गंदा कर दिया जाता हैं तो वही उस गड्ढे में ही पशु पक्षी भी पानी पीते हैं जिससे पशुओं के पैरों से पानी गंदा भी हो जाता हैं फिर भी कोई सुविधा नहीं होने के कारण बेबस होकर वही गंदा पानी करीब एक किलोमीटर दूर से ढो कर पीते हैं ।आदिवासी परिवार के लोगों का आरोप है कि अब तक कितने प्रधान और विधायक ,सांसद आए और गए लेकिन हमलोगों की हालात अभी तक वही पुरानी जीवनयापन जैसी है ।
बता दें कि खासतौर से इन परिवारों को बरसात और गर्मियों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं क्योंकि गर्मियों में जल स्तर नीचे चलें जाने से लोगों को चुआड़ खोदना पड़ता हैं लेकिन सभी तरफ से खुला होने के कारण पशु एवं अन्य जानवर उस गड्ढे में चले जाते हैं जिससे पानी गंदा हो जाता हैं तो वही बरसात में तो बरसात का भर जाने से और भी बदत्तर स्थिति हो जाती हैं ।वर्तमान में जहां एक तरफ लोग हाईटेक जीवन जी रहे हैं तो वही आज भी गांवो में लोग एक -डेढ़ किलोमीटर दूर से ढो कर गंदा पानी पीने को बेबस और लाचार हैं ।
टेढ़ा गांव निवासी रघुबीर भुईयां ने बताया कि प्रतिदिन शाम -सुबह चुआड़ से पानी ढोकर पानी पीने के साथ साथ अन्य जरूरी कार्य किया जाता हैं ।हैण्डपम्प के लिए जन प्रतिनिधियों को कई बार कहा गया लेकिन आज करीब 20-25 सालों से हमलोग गड्ढे का पानी पीने को मजबूर हैं और कोई सुनने वाला नही है ।उन्होंने बताया कि हमलोगों के टोले में एक हैण्डपम्प हैं लेकिन वो भी काफी दूर हैं तथा वह हैण्डपम्प भी पानी छोड़ने लगा है जिससे हमलोग मजबूर हैं कभी कभी सहारा बनने वाले हैण्डपम्प के जल स्तर नीचे चले जाने से अब गड्ढे का पानी पीना मजबूरी हो गई हैं ।

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