#नई तबादला नीति के बदले नियमों को देख नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ में मलाईदार पदों पर काबिज अभियंताओं में खलबली
#क्या, नई तबादला नीति का यह फार्मूला प्रभावी तरीके से लागू हो पायेगा या फिर उत्पादन निगम की तरह केवल खानापूर्ति
#अभी तक उत्पादन निगम में निदेशक कार्मिक द्वारा नियमों की खूब धज्जियां उडाई गयी हैं और अब आवेदनों को ठन्डे बस्ते में डाला जा रहा है ।
लखनऊ । उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने मंगलवार को कार्मिकों के सम्बन्ध में नई स्थानांतरण नीति 2019-2020 के लिए जारी कर दी और पूर्व में जारी समस्त आदेशों को अवक्रमित कर दिया है. अब अंतर्निगमीय तबादले 30 जून तक और निगमों में 15 जुलाई तक तबादले किये जायेंगे. अब देखना यह होगा कि यह नई तबादला नीति कितने पारदर्शी तरीके से कारपोरेशन के जिम्मेदारों द्वारा लागू की जायेगी या फिर उत्पादन निगम के निदेशक कार्मिक संजय तिवारी की तरह तबादला सीजन को केवल एंज्वाय ही किया जाएगा। यदि केवल नजीर के तौर पर उत्पादन निगम को देखें तो उत्पादन निगम में ऐसे उदाहरण हैं जहां 30 अप्रैल तक स्थगित स्थानांतरण के बाद अनपरा मे चार इंजीनियरओं को रिलीव करने के लिए निदेशक कार्मिक भूल गए हैं क्यूंकि उन्हे भूलने की दवा की आपूर्ति की गयी है लिहाज ये मलाईदार लोग वही बने हुए हैं।
नई तबादला नीति में कई नियम बदले जाने से नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ में मलाईदार पदों पर काबिज अभियंता बड़ी तादात में इधर-उधर किये जायेंगे, अब इससे बचने के लिए उनके द्वारा तबादला नीति से बचने के उपायों की तलाश भी शुरू हो गयी है. राजधानी सहित एनसीआर में जोर जुगाड़ के बल पर तैनात इनमें से कई तो फील्ड की नौकरी ही नहीं किये हैं और हमेशा रूरल एरिया में अपने जोर जुगाड़ के बल पर तैनाती से बचते रहे हैं।
अब इनपर नई तबादला नीति का यह फार्मूला कितने प्रभावी तरीके से लागू होता है यह तो वक्त बताएगा।
इसके अलावा कार्यकारी व वरिष्ठ कार्यकारी सहायकों की गृह जिलों में तैनाती नहीं की जायेगी. जारी तबादला नीति में राजधानी लखनऊ, नोएडा और गाजियाबाद में तैनात अधिकारियों पर विशेष फोकस किया गया है. लखनऊ,नोएडा, गाजियाबाद में निर्धारित तैनाती अवधि पूरी होने के बाद भी किसी अधिकारी की दुबारा तैनाती तभी की जायेगी जब वह कम से कम 10 वर्ष तक कहीं और तैनात रहा हो. राजधानी लखनऊ में लेसा-सिस, लेसा ट्रांस व लखनऊ क्षेत्र में तैनात अधिकारी जो निर्धारित अवधि पूरी कर चुके हैं उन्हें इन तीनों क्षेत्रों को एक मानते हुए दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाएगा. इसके अलावा नोएडा व गाजियाबाद क्षेत्र में तैनात ऐसे अधिकारी जो तय अवधि पूरी कर चुके हैं उन्हें भी इन दोनों क्षेत्रों को एक मानते हुए दूसरी जगह तबादला किया जाएगा. नई नीति के अनुसार जो कर्मी मान्यता प्राप्त संगठनों में दो वर्ष से ज्यादा समय से अध्यक्ष/ सचिव पदों पर हैं, उन्हें भी हटाया जाएगा।