सोनभद्र/दिनांक 03 जून, 2019।शासन की मंशा के अनुरूप निराश्रित/बेसहारा गोवंशों के लिए अस्थायी रूप से गोवंश आश्रय/गोशाला में चरही/चरन, पेयजल व छाया की मुकम्मल व्यवस्था की जाय। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी जिले के 21 सरकारी पशु चिकित्साधिकारियों को क्षेत्रवार जिम्मेदारी तय करते हुए लावारिश घूमने वाले गोवंषों को जिले में स्थापित अस्थायी 11 गोवंश आश्रय स्थल की जिम्मेदारी दें। पशु पालन विभाग का कार्य संतोषजनक नहीं है, लिहाजा पशु चिकित्सकों से इस आषय का प्रमाण लिया जाय कि उनके कार्य क्षेत्र में कोई लावारिश/छुट्टा गोवंश नहीं बचे हैं, अगर गोवंशछुट्टा/लावारिश पाये जायेंगें, तो सम्बन्धित पशु चिकित्साधिकारी के साथ ही मुख्य चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी तय की जायेगी, लिहाजा बिना देर किये पशु पालन विभाग अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की व्यवस्था मुकम्मल करायें। उक्त निर्देष जिलाकिरी अंकित कुमार अग्रवाल ने जिले में स्थापित अस्थायी गोवंष आश्रय स्थल की व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी के साथ ही अन्य सम्बन्धितों को दियें। उन्होंने कहा कि हकीकत में गोवंश की देख-भाल की जिम्मेदारी पषु पालन विभाग की है अन्य विभाग समय-समय पर पशु पालन विभाग का सहयोग करते रहेंगें। जब पशु पालन विभाग में 21 पशु चिकित्सक मौजूद हैं और गोवंश आश्रय स्थल आदि से सम्बन्धित व्यवस्थाएं ढीला-ढाला देखने को मिले, तो संयोजक विभाग/पशुपालन विभाग पूरी तरह से जिम्मेदार है। जिलाधिकारी ने कहा प्रदेश की लोकप्रिय सरकार ने उत्तर प्रदेश गोवंश सरक्षणा एवं संवर्धन कोष नियमावली जारी कर दी है, जिसके तहत प्रदेष स्तरीय सलाहकार समिति, मण्डल स्तरीय समिति, जिला स्तरीय समिति एवं उसके कार्य का निर्धारण किया गया है। गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना व संचालन/प्रबन्धन के क्रियान्वयन प्रवेक्षण/अनुश्रवण हेतु समिति का निर्धारण किया गया है, जिसमें सदस्य सचिव मुख्य पषु चिकित्साधिकारी को बनाया गया है। पशु पालन विभाग की जिम्मेदारी है कि समय से बैठक कराते हुए नियमावली के अनुरूप अनुपालन सुनिष्चित कराने के लिए पत्रावली प्र्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि जिले में स्थापित 11 अस्थायी आश्रय स्थल को क्रियाषील किया जाय, जहां पर गोवंष रह रहे हैं, उन स्थानों पर पेयजल, चारा,चरही, पानी व छाये की व्यवस्था मुकम्मल तरीके से सुनिष्चित की जाय। उन्होंने कहा कि जिले के पशु चिकित्साधिकारियों की क्षेत्रवार जिम्मेदारी तय की जाय कि वे यह सुनिष्चित करें कि उनके कार्य क्षेत्र मेंं कोई भी गोवंष छुट्टा व लावारिष नहीं है। इस आषय का प्रमाण-पत्र लिया जाय उनके क्षेत्र में कोई भी गोवंष आश्रय स्थल जाने से बाकी नहीं हैं। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को 15 दिनों की मोहलत दिया है कि जिले के छुट्टा/लावारिष गोवंषों का चिन्हांकन कराते हुए दाखिल करवाना सुनिष्चित करें अन्यथा की दषा में कड़ी कार्यवाहियों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगें। बैठक मेंं जिलाधिकारी श्री अंकित कुमार अग्रवाल के अलावा अपर जिलाधिकारी श्री योगेन्द्र बहादुर सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक ओ0पी0 सिंह, डिप्टी कलेक्टर श्री वी0पी0 तिवारी, जिला विकास अधिकारी रामबाबू त्रिपाठी, परियोजना निदेषक श्री आर0एस0 मौर्या, डीपीआरओ श्री आर0के0 भारती , मुख्य पषु चिकित्साधिकारी डॉ0 ए0के0 श्रीवास्तव सहित अन्य सम्बन्धितगण मौजूद रहें।