बाराबंकी जहरीली शराब कांड : आबकारी विभाग के सच पर पर्दा डालने से सख्त कानून भी बेअसर

लखनऊ ।

अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए तमाम सख्त कानून बने और अभियान चलाए गए, लेकिन न तो नए नियमों को असर दिख रहा है और न ही अभियान का असर। प्रदेश में नियमित अंतराल पर जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है।

पिछले साल सरकार ने आबकारी अधिनियम में बदलाव करते हुए अवैध शराब से हुई मृत्यु के मामले में आरोपी को सजा-ए-मौत तक का प्रावधान किया था। साथ ही अधिकारियों की मिलीभगत और लापरवाही पाए जाने पर बर्खास्तगी तक का प्रावधान किया गया था, लेकिन इसकी नजीर अब तक एक भी नहीं है।

योगी सरकार में जहरीली शराब से मौत की यह आठवीं बड़ी घटना है। बीते दो साल में प्रदेश में लगभग 150 लोगों की जान जहरीली शराब पीने से जा चुकी है। बाराबंकी में दो साल में यह दूसरी बड़ी वारदात है। इससे पहले जनवरी 2018 में यहां जहरीली शराब पीने से नौ लोगों की मौत हुई थी।

लगातार हो रहे हादसों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने 107 साल पुराने आबकारी अधिनियम में बदलाव किया था। लेकिन न तो कड़े कानून का कोई असर है और न ही पुलिस और आबकारी विभाग का खौफ अवैध शराब के कारोबारियों में नजर आता है। नए नियम बनने के बाद से जहरीली शराब से मौत की अब तक 7 बड़ी घटनाएं प्रदेश में हो चुकी हैं। आजमगढ़, बाराबंकी, कानपुर नगर और कानपुर देहात, कुशीनगर और सहारनपुर की घटनाएं सामने हैं।

सच पर पर्दा डालने की होती है कोशिश

यह भी सच है कि खुद आबकारी विभाग ही अक्सर ऐसी घटनाओं पर पर्दा डालने की कोशिश करता है। मसलन पिछले साल जनवरी में बाराबंकी में जहरीली शराब पीने से 9 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया गया था।

शासन स्तर पर तर्क दिया गया था कि बाराबंकी में मौत स्प्रिट पीने से हुई न कि अवैध शराब से। इसलिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इसी तरह आजमगढ़ में अवैध शराब पीने से 25 लोगों की जान गई थी। इस मामले में भी यह कहकर अधिकारियों को बख्श दिया गया था कि उनकी तैनाती जिले में कुछ ही दिन पहले की गई थी।

कानपुर की घटना के बाद कुछ बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई जरूर हुई लेकिन आंच लखनऊ तक नहीं पहुंची थी। सहारनपुर और कुशीनगर में बड़ी संख्या में लोगों की मौत अवैध शराब से हुई तो इसका जिम्मेदार पड़ोसी राज्यों उत्तराखंड और बिहार को माना गया कि वहां से आने वाली शराब से मौतें हुईं।

सितंबर 2017 में किया गया था कानून में बदलाव

सरकार ने 19 सितंबर 2017 को अध्यादेश जारी कर 107 साल पुराने आबकारी अधिनियम में संशोधन किया था। साथ ही एक नई धारा जोड़ते हुए अवैध शराब से मौत या स्थायी अपंगता होने पर आजीवन कारावास या 10 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों या मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया था। साथ ही अधिकारियों के अधिकारों में बढ़ोतरी की गई थी। अधिकारियों की भूमिका पाए जाने पर बर्खास्तगी तक का प्रावधान किया गया था।

पिछले कुछ वर्षों में जहरीली शराब से जुड़ी बड़ी घटनाएं

10 मार्च 2019 कानपुर के घाटमपुर में 6 की मौत

9 फरवरी 2019 कुशीनगर में 8 लोगों की मौत

8 फरवरी 2019 सहारनपुर में 80 लोगों की मौत

20 मई 2018 कानपुर देहात के रूरा में 9 लोगों की मौत

19 मई 2018 कानपुर नगर के सचेंडी में 7 लोगों की मौत

12 जनवरी 2018 बाराबंकी में 9 लोगों की मौत

2017 आजमगढ़ में 25 लोगों की मौत

2016 एटा में 24 लोगों की मौत

2015 लखनऊ व उन्नाव में 42 से अधिक की मौत

2013 आजमगढ़ के मुबारकपुर में 47 लोगों की मौत

2011 वाराणसी में 12 लोगों की मौत

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