दुनिया के देश जहां कुछ सोच रहे होते हैं, चीन इस बीच में उस रास्ते पर कुछ आगे बढ़ चुका होता है।
राष्ट्रपति शी का मानना है कि बिना साइबर सुरक्षा के देश की सुरक्षा नहीं हो सकती
नई दिल्ली।पिछले कुछ दशक से दुनिया के देश जहां कुछ सोच रहे होते हैं, चीन इस बीच में उस रास्ते पर कुछ आगे बढ़ चुका होता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अंतराष्ट्रीय व्यापार युद्ध के सामानांतर ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने बिग डाटा कार्यक्रम से पर्दा उठा दिया है। राष्ट्रपति शी का मानना है कि बिना साइबर सुरक्षा के देश की सुरक्षा नहीं हो सकती और बिना सूचनाओं के समुचित प्रवाह और मॉनिटरिंग के आधुनिकीकरण नहीं किया जा सकता। इसी बिना पर उन्होंने बिग डाटा कार्यक्रम के जरिए चीन, चीन के समाज, चीन के लोगों और अपने देश की अर्थव्यवस्था को नए मुकाम पर ले जाने की कल्पना की है।
26 मई को चीन ने गुइझाओं प्रांत में बिग डाटा एक्सपो-2019 के माध्यम से अपने डिजिटल वल्र्ड से पदा उठाया। जंगल, जमीन, समुद्र, आसमान, व्यापार, उद्योग, अर्थ, कृषि, खनन, शिक्षा, सुरक्षा, अंतरिक्ष, संचार, दूर संचार, औद्योगिक उत्पादन समेत हर क्षेत्र में डिजिटल दुनिया में जाने, देश के संसाधनों की निगरानी, समुचित उपयोग और विकास को सुनिश्चित करने के लिए चीन ने मुकम्मल तैयारी कर ली है। चीन का चकाचौंध कर देने वाला यह कार्यक्रम है। उसका गुइझाओ शहर अमेरिका के सिलिकॉन वैली की तर्ज पर नई दुनिया में कदम रखने के लिए तैयार है और इसके लिए पड़ोसी देश ने प्रौद्योगिकी के जरिए उद्योगों(इंडस्ट्रीज) में प्रतिस्पर्धा के मॉडल को अपनाया है।
क्या है शी जिनपिंग की सोच
चीन के उच्चस्तरीय पोलिटिकल ब्यूरो सीपीसी के सदस्य वांग चेन ने राष्ट्रपति शी के संदेशों का साझा किया। शी ने चीन के बिग डेटा कार्यक्रम को सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति का अगला चरण बताया है। वांग के अनुसार चीन बिग डाटा इंडस्ट्री के जरिए जहां अपने पारंपरिक उद्योगों में सुधार ला रहा है, वहीं इसके जरिए सरकार के कामकाज में भी बड़े पैमाने पर सुधार की पहल हो रही है। गरीबी से लडऩे, चीन के लोगों को धनी बनाने, सामाजिक, आर्थिक सुधार में गति लाने, खुफिया से लेकर अन्य सूचनाओं को मुकम्मल बनाने तथा प्रशासनिक दक्षता को निखारने, गरीबी को कम करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। रोबोटिक टेक्नोलॉजी के जरिए चीन सामाजिक, आर्थिक गैप को भरने का कदम बढ़ा चुका है।