तेंदूपत्ता बना जीवकोपार्जन का सहारा,हर वर्ष जंगलों में पत्ती तोड़ने निकलते है ग्रामीण

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दुद्धी(भीमकुमार) उत्तर प्रदेश,छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश राज्य के जिला में इन दिनों तेंदू पत्ती का तुड़ान जारी है। जिले के सभी जंगलों में इन दिनों तेंदू पत्ते की तुड़ाई कर ग्रामीणों के लिए एक रोजगार मिल गया है। जो छत्तीसगढ़ के गाँव सनावल,पचावल,त्रिशूली,यूपी के बॉर्डर क्षेत्र के गांव कोरची,भिसुर,सुंदरी,गुग्वामान सहित मध्यप्रदेश के बैढन जिले के गांव सहित ग्रामीणों ने पत्ती तुड़ाई करने का एक रोजगार मिल चुका है। क्योंकि इससे ग्रामीणों को हर वर्ष के सीजन में किसी को 10 हजार तो किसी को 5 हजार रुपये मिल जाता है। और जितना बंडल पत्ती होगा उसी के हिसाब से निर्धारित मूल्य का रेट दिया जाता है। जिसका मूल्य हर राज्य का अलग अलग है। व्यापारी कमलेश मोहन ने बताया कि सबसे ज्यादा मूल्य छत्तीसगढ़ राज्य में इस वर्ष से लागू किया गया है। जो सौ बंडल का रेट 420 रुपये हैं।मध्यप्रदेश में 250 सौ रुपये सैकड़ा बंडल,यूपी में 125 रुपये सैकड़ा बंडल के दर से रुपये दिया जाता है। जबकि मंडियों द्वारा गाँव मे 15 मई सही फड़ लगा दिया गया है। जो 22 मई तक अंतिम दिन है फड़ लगने का आज के बाद जंगलों के बीच किसी भी तरह का कोई पत्ती खरीदारी नही किया जाएगा।

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बलरामपुर जिले के त्रिशूली गांव के निवासी राजकेशरी देवी ने कहा कि हम लोग 20 वर्षो से यह तेंदू पत्ता का तुड़ाई कर अपना जीवकोपार्जन करते है। और हमलोग सुबह में हो जंगलों में निकल जाते है जिसके बाद पत्ती तोड़कर अपने घर लाते है और 50 पतियों का एक बंडल बनाते है। और 100 बंडल का 420 रुपये मिलता है। यह आजकल नया रेट लागू किया गया है जिसका पेमेंट खाते में आएगा।

त्रिशूली गांव के निवासी असर्फी ने बताया कि हम लोग बनी मजदूरी का काम शुरू से करते आ रहे है और 20 वर्षो से तेंदू पत्ती का तुड़ाई करते है जिसे हर वर्ष पत्ती के बंडलों को मंडी लगने पर बेचते है। जिसका पैसा 6 माह बाद मिलता है। जो हमारे घर के लिए महत्वपूर्ण होता है।

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कलावती देवी ने बताई की तेंदू पत्ता का तोड़ाई का काम करने हम लोग रात में ही जंगलों में निकल जाते है। और हमलोग महुआ के पेड़ से महुआ फल,डोरी के लिए हम सभी लोग घर के पेड़ों के निचे सुबह में ही चले जाते है। यही हम लोगो का सहारा है।
राजेन्द्र ने बताया कि पत्ती का काम और मजदूरी का काम करने के लिए हम लोग हमेशा जंगलों में और अन्य जगहों पर जाते है। अनिल साव ने बताया कि हम अपने परिजनों के साथ सुबह से जंगलों में चले जाते है और तेंदू पत्ता तोड़कर लाते है जिसका बंडल बनाकर बेच देते है। जिसका पैसा ठेकेदार के माध्यम से 6 माह बाद मिलता है। रामजीत निवासी सनावल गांव ने बताया कि पूर्वजो के समय से ही तेंदूपत्ता तोड़ने का काम करते चले आ रहे है। पूर्व में पत्ता को तौल पर बेचा करते थे। अब 420 रुपये सैकड़ा बंडल के हिसाब से बेचा जा रहा है। और इसका पेमेंट खाते में आता है। और इसी काम से हमलोगों को हर साल काम मिलता है जो करते है और अपना पेट चलाते है।

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