डॉक्टर चंदन सिंह एवं उनकी टीम ने इम्प्लांट के द्वारा दाँत को फिक्स करने की विधि से दंत रोगियों को दिलाया निजात

सोनभद्र अनपरा।सोनभद्र जनपद के अनपरा में एस एन डेंटल क्लिनिक सिनेमा रोड़ अनपरा में पहली बार डॉक्टर राहुल माथुर ,डॉक्टर अरविंद कुमार सिंह एवं डॉक्टर चंदन सिंह की कुशल दंत चिकित्सको की संयुक्त टीम ने पायरिया, कैविटी या अन्य किसी कारण से दांत में खराबियो से तत्काल इम्प्लांट के द्वारा दाँत को फिक्स करने की विधि से श्रीमती प्रज्ञा सिंह को निजात दिलाने की कवायद आज पूरा कर ली गयी। एस एन डेंटल क्लिनिक के कुशल दंत चिकित्सक डॉक्टर चंदन सिंह ने बताया कि पुराने दांत को रिप्लेस करवाकर नया दांत लगवाना है। अब इसके लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं है। ना ही आस-पास के दूसरे दांत खराब होते हैं, क्योंकि अभी तक नया दांत लगवाने के लिए आस-पास के दांत घिसने पड़ते थे। नया दांत रिप्लेस करने के लिए कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ता था। अब हड्डी पर स्क्रू लगाकर कैप लगाते हैं। ये साधारण नहीं टाइटेनियम स्क्रू होते हैं। टाइटेनियम के स्क्रू पर हड्डी जल्दी बनती है। दो से तीन महीने में ये शरीर का हिस्सा बन जाते हैं। शरीर का हिस्सा बनने के बाद पूरी तरह से प्राकृतिक बन जाते हैं। ये टूटते और घिसते नहीं है। इनमें ठंडा-गर्म नहीं लगेगा। ना ही केविटी लग पाती है। वर्ष 1965 में इंप्लांट शुरू हुआ था। इन इंप्लांट से पहले स्क्रू लगाने के छह महीने बाद इनमें दांत लगाए जाते थे। अब तुरंत दांत लगा दिए जाते हैं। जिन्हें पहले से डेंचर लगे हुए हैं, उन्हें परेशान नहीं होना चाहिए। डेंचर में भी इंप्लांट फिक्स हो जाते हैं। 14 से 100 साल की उम्र तक इंप्लांट लगा सकते हें।

डायबिटीज पेशेंट्स में इन्हें लगाने में प्रॉब्लम नहीं होती है। आस-पास के दांत घिसने की जरूरत नहीं है। जबकि पहले दूसरे दांत भी खराब हो जाते थे। इंप्लांट लगने के बाद हड्डी गलने के बजाय बनती है। ये जबड़े की हड्डी को ताकत देते हैं। इनके जरिए जबड़े की एक्सरसाइज भी होती है। बाइपास पेशेंट्स में इन्हें आसानी से फिक्स कर सकते हैं। एमआरआई करवाते वक्त और मेटल डिटेक्टर में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। कंप्यूटर पर प्लानिंग करके दांतों की सही शेप तैयार की जाती है। नेविगेशन टेक्निक से तुरंत दांत लगाए जाते हैं। जिनके दांत नहीं है, उनके लिए भी ये इंप्लांट फायदेमंद है। इसके अलावा कैंसर में प्राकृतिक जबड़ा हटाकर कूल्हे और साइड से हड्डी निकालकर जबड़ा बनाया जाता था। इसी हड्डी में इंप्लांट लगाते हुए मेटल का जबड़ा फिक्स कर दिया जाता है।

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