श्रमिक के खातें से 52हजार रुपया ऑन लाइन निकला, पुलिस fir करने में आना कानी कर रही है

सोनभद्र।श्रमिक के खातें से 52हजार रुपया एटीएम कार्ड के माध्यम से ऑनलाइन निकाल लिया गया, तीन माह से लगा रहा है बैंक और थाने का चक्कर,ना बैंक सुन रहा है ना थाना,सम्बन्धितों द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नही की।

श्रमिक निठूरी प्रसाद के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ओबरा शाखा के खाते से दिनांक- 23/01/19 को 25हजार रुपया पुनः 20 हजार रुपया दिनांक- 13/02/19 को 3हजार और दिनांक- 22/02/19 को 4हजार रुपया कुल – 52हजार रूपये आन-लाइन निकाल लिया गया,उसे इस बात की सुचना तब मिली जब वह अपना पासबुक प्रिन्ट् कराने के लिए बैंक गया,उसने बैंक मैनेजर एवं ओबरा थाने में लिखित रूप में शिकायत कि परन्तु किसी के भी द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई, जून माह में पीड़ित के लड़की की शादी है,उसने एक-एक रूपया शादी के लिए जमा कर के रखा था, ऐसी स्थिति में बैंक मे जमा की गई धनराशि को आॅनलाइन निकाल लिया जाना लड़की के पिता के लिए कितना कष्टदायक हो सकता है यह आप समझ सकते है,पीड़ित व्यक्ति निकाले गये पैसों के लिए प्रतिदिन बैंक के चक्कर लगा रहा है बैंक मैनेजर उसे थाने भेज देते और जब वह थाने जाता है तो इसमें थाना क्या कर सकता है तह कह वे पुनः बैंक मैनेजर के पास भेज देते है,आज तीन माह से पीड़ित कभी बैंक के तो कभी थाने के चक्कर लगा रहा है परन्तु

सम्बन्धितों द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई।
जबकि रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से ग्राहकों को बचाने की दिशा में पहल करते हुए एक शून्य जवाबदेही की नीति तय की है. ग्राहक अगर तीन दिनों के भीतर बैंक को धोखाधड़ी की सूचना दे देता है, तो उसका कोई नुकसान नहीं होगा.
देश में लगातार बढ़ते साइबर अपराधों को ध्यान में रखते हुए इसे ग्राहकों के हित में एक ठोस पहल माना जा रहा है. अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन के मामले में लगातार बढ़ती शिकायतों को ध्यान में रखते हुए बैंक ने कहा है कि अगर ग्राहक ऐसे मामलों की जानकारी तीन दिनों के भीतर दे देता है तो उसको कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा. अगर ऐसे मामले चार से सात दिनों के भीतर बैंक के समक्ष आते हैं, तो भी ग्राहकों को महज पांच हजार रुपये का ही नुकसान होगा, फिर फ्रॉड की रकम चाहे कितनी भी क्यों न हो।रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गाइडलाइन से हटकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ओबरा के शाखा प्रबन्धक द्वारा कार्यवाही नही करना उनके ग्राहकों के प्रति उदासीनता और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को दर्शाता है, यदि सम्बन्धितों द्वारा तत्काल कार्यवाही कर 52000₹ की धनराशि पुनः पीड़ित का खातें में जमा नही की गई तो उक्त पीड़ित श्रमिक बैंक के सामने कार्यवाही की मांग को लेकर धरने पर बैठेगा!जिसकी पुरी जिम्मेदारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ओबरा शाखा प्रबन्धक एवं ओबरा थाना प्रशासन की होगी।

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