साइंस डेस्क. खरगोश, मछली और मुर्गी जैसे जानवर अक्सर अपने बच्चों को क्यों खा जाते हैं, यह बात वैज्ञानिकों के लिए अब रहस्य ही रही है। लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसकी वजह बताई है। उनके मुताबिक, ऐसा करके वे लंबे समय तक शिशुओं की अधिकतम संख्या को बचाने और भोजन उपलब्ध करा पाते हैं। कई बार भीषण संकट की स्थिति बनने पर भी जानवर अपने बच्चों को खा जाते हैं जैसे पानी में ऑक्सीजन की कमी होने पर नर डेमसेल्फिश मछली अपने बच्चे को खा जाती है।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि बच्चों को खाने या उन्हें छोड़ देने पर कई बच्चों को पालने का दबाव कम हो जाता है। ऐसा खासकर उन जानवरों में देखा जाता है जिनका जन्म बड़ी संख्या में होता है। बड़ी संख्या में बच्चे होने पर उनके पनपने के अलावा उनमें बीमारियाें का खतरा भी जानवरों को सताता है।
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इससे पहले हुई रिसर्च में वैज्ञानिकों का कहना था कि बच्चों को खाने का कारण जानवरों का भूखा होना है। अधिक भूख लगने पर वे ऐसा करते हैं। लेकिन नई रिसर्च में इसके उलट बात कही गई है। अमेरिका की टेनिसी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसका पता लगाने के लिए जानवरों के अंडे से बच्चा बाहर आने की प्रक्रिया पर नजर रखी गई।
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शोधकर्ता प्रो. क्लूग के मुताबिक, मछली, कीट, रेंगने वाले और उभयचर जीवों में कम्युनल एक लेइंग प्रक्रिया बेहद आम है। कम्युनल एक लेइंग के तहत मादा दूसरे मादा के घोसलों में बच्चे को जन्म देती है। इससे सुरक्षा, सफाई और भोजन उपलब्ध कराना थोड़ा आसान होता है। लेकिन बीमारी के फैलने, भोजन और ऑक्सीजन के लिए संघर्ष का खतरा ज्यादा रहता है। इस तरह नए जीवों की संख्या बढ़ने पर जीवन के लिए संघर्ष बढ़ जाता है।
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ऐसी स्थितियों का जानवरों के परिवारों और इनकी संख्या पर नकारात्मक असर पड़ता है। अपने अधिकतर बच्चों की संख्या बचाने के लिए जानवर दबाव में आकर कुछ बच्चों का त्याग करते हैं। ऐसा चिड़िया, कीट, स्तनधारी और मकड़ियों में भी होता है।
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प्रो. क्लूग कहते हैं डेमसेल्फिश नाम की मछली में ज्यादातर अंडों को खाने का काम नर करता है वह ऐसा तब करता है जब ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा किसी खास स्थिति में ही होता है और संख्या को कम करने के लिए ऐसा करते हैं।