टीम इंडिया को वनडे फॉर्मेट में प्रयोग जारी रखना पड़ सकता है

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मुख्य कोच रवि शास्त्री ने टीम इंडिया की ऑस्ट्रेलिया रवानगी से पहले एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘अब वनडे टीम में और कोई प्रयोग नहीं किया जाएगा। भारत को ऑस्ट्रेलिया में टी-20 और टेस्ट सीरीज के बाद तीन वनडे खेलने हैं। इसके बाद भारतीय टीम पांच वनडे की सीरीज खेलने न्यूजीलैंड जाएगी। फिर ऑस्ट्रेलियाई टीम पांच वनडे खेलने भारत दौरे पर आएगी। कुल मिलाकर जून में इंग्लैंड में होने वाले वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम 13 वनडे खेलेगी।

भारतीय खिलाड़ियों की फॉर्म चिंता विषय

वैसे तो भारतीय वनडे टीम आईसीसी रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है, लेकिन हालिया मैचों से कुछ अहम खिलाड़ियों के फॉर्म और टीम के कंपोजीशन पर सवाल खड़े हुए हैं। यह याद रखना जरूरी है कि भारत को इंग्लैंड दौरे पर वनडे सीरीज में हार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद वेस्टइंडीज की कमजोर टीम ने भी शुरुआती मैचों में कड़ी टीम इंडिया को कड़ी टक्कर दी थी।

नंबर-4 और पांच पर अभी कोई फिट नहीं बैठता

आखिर समस्या वाले क्षेत्र क्या हैं? बैटिंग ऑर्डर में नंबर चार और पांच का स्लॉट बड़ी चिंता है। धोनी फ्लोटर की भूमिका में होते हैं और वे इन पोजीशन या इनसे निचले पोजीशन पर खेल सकते हैं, लेकिन उनकी खराब फॉर्म अन्य खिलाड़ियों को आजमाने का मौका देता रहा है। कई खिलाड़ियों, अजिंक्य रहाणे, मनीष पांडे, दिनेश कार्तिक, लोकेश राहुल और ऋषभ पंत आदि को आजमाया गया लेकिन इनमें से कोई भी विश्वास के साथ अपनी जगह पक्की नहीं कर पाया।

ऑस्ट्रेलिया में मिडिल ऑर्डर की होगी अहम भूमिका

ऑस्ट्रेलिया में यह और भी अहम होगा, जहां पिच और कंडीशन आमतौर पर गेंदबाजों की मददगार होती है। वहां शुरुआती विकेट गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है। ऐसे में मिडिल ऑर्डर का मजबूत होना बेहद जरूरी है, जो न सिर्फ पारी को ढहने से बचाए बल्कि चुनौतीपूर्ण स्कोर भी सुनिश्चित करे। ऑलराउंडर स्लॉट ( नंबर 7 और 8) भी काफी महत्वपूर्ण हैं और अभी भरे नहीं जा सके हैं।

हार्दिक के फिट होने से टीम इंडिया को मिलेगा फायदा

काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हार्दिक पंड्या कितनी जल्दी चोट से उबर पाते हैं। जडेजा की उपस्थिति से बल्लेबाजी मजबूत होती है लेकिन उनकी एंट्री किसी विकेट टेकिंग स्पिनर कुलदीप यादव या युजवेंद्र चहल की जगह पर हो सकती है। अगर कुलदीप और चहल दोनों खेलते हैं तो भारतीय टेल लंबी हो जाएगी। इससे उधेड़बुन पैदा होती है। रोहित और धवन बतौर ओपनर काफी सफल रहे हैं।

पृथ्वी पर भी दांव खेलना चाहेंगे चयनकर्ता

चयनकर्ता और टीम मैनेजमेंट युवा सनसनी पृथ्वी शॉ को जरूर आजमाना चाहेंगे। टीम फॉर्मेशन अब भी अधूरा है इसलिए मुझे नहीं लगा है कि शास्त्री या कोहली अगले 13 मैचों में कुछ और विकल्प आजमाने से खुद को रोक पाएंगे। हालांकि, यह इस समय टीम की मुख्य प्राथमिकता नहीं होगी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज इस फॉर्मेट में भारत के कद के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

कोच और कप्तान के दावे और नतीजे अलग-अलग

साल की शुरुआत में शास्त्री और कोहली ने विदेश में जीत के जितने भी दावे किए हों, नतीजे मनमुताबिक नहीं रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में 1-2 से और इंग्लैंड में 1-4 से हार मिली। यह सही है कि गेंदबाजों और खुद कोहली ने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन इससे विदेश में भारत की हार का सिलसिला नहीं थमा। भारत अब भी नंबर-1 टेस्ट टीम है लेकिन इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका से बड़ा खतरा है।

घर में कमजोर नहीं ऑस्ट्रेलिया

भारत से इंग्लैंड 11 और दक्षिण अफ्रीका 12 अंक पीछे है। आगामी सीरीज सुधार के मौके देती है, लेकिन भले ही ऑस्ट्रेलियाई टीम अभी संकट से गुजर रही हो, वह अपने घर में बहुत कमजोर नहीं होगी। उसकी बैटिंग कुछ प्रभावित दिख रही है, लेकिन गेंदबाजी में कोई कमी नहीं है। भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में कभी कोई सीरीज नहीं जीत सकी है। ऐसे में विराट की टीम यह कारनामा करती है तो वह साबित कर पाएगी कि उसमें वाकई दम है।

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