महिला धावक की तेजी पर आईएएएफ ने कहा- पुरुष कैटेगरी में दौड़ो या हार्मोन कम कराओ

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मोनाको (यूरोप). कैस्टर सेमेन्या दक्षिण अफ्रीका की महिला रनर हैं। 2 ओलिंपिक गोल्ड, 2 कॉमनवेल्थ गोल्ड, 3 वर्ल्ड चैम्पियनशिप गोल्ड जीत चुकी हैं। 2009 में कैस्टर ने पहली बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप में दौड़ लगाई। 1500 मीटर रेस में 4:08.01 मिनट का समय निकाला। जबरदस्त रफ्तार से दुनिया हैरान थी। असर यह हुआ कि इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन (आईएएएफ) ने तो कैस्टर के महिला होने पर ही शक कर लिया।

आईएएएफ ने फेयर प्ले की दलील दी

कैस्टर का जेंडर टेस्ट तक हुआ। पता चला कि उनकी रफ्तार अन्य महिला रनर से इतनी ज्यादा इसलिए है, क्योंकि शरीर में रिसने वाले टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की मात्रा बहुत ज्यादा है। फेडरेशन ने कहा कि अब कैस्टर महिला कैटेगरी में नहीं दौड़ सकतीं। अगर वे रनिंग करना ही चाहती हैं तो पुरुष कैटेगरी में दौड़ना होगा या फिर उनको मेडिकल प्रोसेस के जरिए शरीर का टी-लेवल (टेस्टोस्टेरॉन लेवल) कम कराना होगा। इस पूरी मांग के पीछे दलील दी गई फेयर प्ले की।

टी-लेवल के आधार पर रेस को बांटने पर विचार कर रहा फेडरेशन

अब तो फेडरेशन बाकायदा यह चाह रहा है कि तमाम रेस को रनर्स के टी-लेवल के आधार पर बांटा जाए। मतलब कि समान टी-लेवल वाले रेसर ही रेस में दौड़ें। अब इस पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने हस्तक्षेप किया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि जिन महिलाओं का टी-लेवल ज्यादा है, वह उन्हें कुदरती तरीके से मिला है। इससे छेड़छाड़ करना अन्याय है, अप्राकृतिक है और मानवाधिकार के खिलाफ है।

महिला एथलीट्स में टी-लेवल बढ़ जाए तो अलग-अलग इवेंट के प्रदर्शन में इस तरह सुधार होता है

इवेंट प्रदर्शन में सुधार
400 मी स्प्रिंट 2.73%
400 मी हर्डल 2.78%
800 मी हर्डल 1.78%
हैमर थ्रो 4.53%
पोल वॉल्ट 2.94%

क्या है टी-लेवल : मेल हार्मोन, फिजिकल एक्टिव बनाता है
टेस्टोस्टेरॉन मेल हार्मोन है। ये पुरुषों के शरीर में ही होता है। इसकी मात्रा 300 से 1000 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर के बीच हो सकती है। टी-लेवल से मूड, शारीरिक और मानसिक सक्रियता तय होती है। महिलाओं में इसकी मात्रा 20 से 30 होती है, जिसे नगण्य माना जाता है। रनर कैस्टर सेमेन्या के शरीर में ये टी-लेवल ही बढ़कर 400 से 500 के बीच पहुंच गया। इसी वजह से वो अन्य महिला एथलीट्स से जेनेटिक रूप से काफी ज्यादा मजबूत है।

फैक्ट : टी-लेवल दिनभर बदलता रहता है, नापना कठिन

जब आईएएएफ ने महिलाओं की रेस को टी-लेवल के आधार पर बांटने के फॉर्मूले पर विचार शुरू किया तो यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर ने इस पर रिसर्च किया। पता चला कि महिलाओं में टी-लेवल नापने का तो गणित ही गलत है। रिसर्च टीम ने कहा था- ‘अब ब्लड टेस्ट के जरिए ही टी-लेवल का पता लगाया जा सकता है। लेकिन इससे बड़ा सच ये है कि किसी भी इंसान का टी-लेवल दिन में कई बार बढ़ता-घटता रहता है। ये उसके मूड और अन्य कई कारणों पर निर्भर करता है। आईएएएफ ने जो टी-लेवल टेस्ट कराए हैं, उनमें इस बात का ख्याल नहीं रखा गया। इसलिए ये दोषयुक्त हैं।’

खेल में टी-लेवल : 1000 में 7 महिलाओं में टी-लेवल ज्यादा
एथलीट्स के लिए अच्छा टी-लेवल बेहद अहम होता है। टी-लेवल जितना अच्छा, उतना ही अच्छा स्टैमिना और स्ट्रेंथ। अमूमन मेल एथलीट्स में टी-लेवल 500 से ज्यादा होता है। एक्सरसाइज करने, मनपसंद खाना खाने, पसंदीदा काम करने तक से टी-लेवल बढ़ता है। वहीं, एक हजार में से महज 7 महिलाओं में ही टी-लेवल बढ़ा हुआ पाया जाता है। अनुमान के मुताबिक, दुनिया में 1% से भी कम महिलाओं में ऐसे केस देखे जाते हैं।

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सेमेन्या ने पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता था।


IAAF told Caster Semenya Run in men’s category or reduce hormones UN said This injustice

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