दिल्ली ने भले ही अपने नाम के आगे से डेविल हटा दिया है, लेकिन मुंबई इंडियंस के खिलाफ इस टीम ने बेखौफ खेल दिखाया। मुंबई के गेंदबाज टीम खासतौर पर ऋषभ पंत के इस प्रदर्शन से हैरत में पड़ गए होंगे। पंत की इस पारी में तीन मौके ऐसे आए जब मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं और मुंह खुला का खुला। वह छक्का जब हाथ बल्ले से छूट गया। वह पुल जो उन्होंने हेलिकॉप्टर शॉट के जरिये लगाया और अपना अर्धशतक पूरा करने के दौरान लगाए गए चौके ने तो मुझे अपनी सीट से खड़ा ही कर दिया।
मैं नहीं जानता कि ये एक युवा की बेखौफ अंदाज था या एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज द्वारा अपने कौशल का प्रदर्शन। मगर पंत के बारे में मैं इन सब परिभाषाओं के बीच के जितने भी पहलू हैं, उन्हें जानना चाहता हूं। अगर पंत की बल्लेबाजी बेहद निर्दयी और कठोर थी तो रबाडा की गेंदबाजी में उतनी ही तरलता। कॉलेज में मुझे जिस लेमिनार फलो यानी पर्णदलीय प्रवाह के बारे में बताया गया था, वह यही रहा होगा। सहज, क्रमबद्ध, बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के अंतिम कदम दौड़ने के बाद रबाडा की गेंदबाजी से असली तबाही शुरू होती है।
रबाडा 143 किमी प्रति घंटे की गति से गेंदबाजी शुरू करते हैं और बेहद आसानी से तीन गेंदों में ही 150 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाते हैं। इन दिनों अधिकतर गेंदबाज अपनी गति कम कर रहे हैं। जब आप रबाडा की तरह गेंदबाजी करते हैं तो गति कम करना किसी रियायत की तरह ही लगती है। यह ठीक ऐसा ही है जैसे बैले डांसर शादी में आए मेहमानों को संतुष्ट करने के लिए एक हिप थ्रस्ट करते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये टी-20 फॉर्मेट है, बल्लेबाज अब भी गति पसंद नहीं करते।
ट्रेंट बोल्ट, इशांत शर्मा और क्रिस मौरिस और आवेश खान की उपलब्धता को देखते हुए दिल्ली कैपिटल्स को फिरोजशाह कोटला पर एक मुफीद पिच की दरकार होगी। धीमी और नीची रहती पिच उनके अरमानों पर पानी फेर सकती है। महेंद्र सिंह धोनी और चेन्नई सुपरकिंग्स ऐसे हालात में विपक्षी टीम को गेंद दर गेंद दबाव में ले आते हैं। अगर दिल्ली कैपिटल्स को इस साल आगे तक का सफर तय करना है तो पिच क्यूरेटर को टीम की भाषा बोलने की जरूरत पड़ेगी।
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