नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की। इसमें उसने जम्मू जेल में बंद पाकिस्तान के सात आतंकियों को तिहाड़ जेल शिफ्ट करने की मांग की है। राज्य सरकार का कहना है कि ये आतंकी स्थानीय कैदियों की सोच में बदलाव करके उन्हें आतंक के रास्ते पर धकेलने में जुटे हैं। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एलएन राव और एमआर शाह की बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।
सातों आतंकियों को भी नोटिस भेजें : सुप्रीम कोर्ट
जम्मू-कश्मीर सरकार के स्टैंडिंग काउंसल शोएब आलम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू जेल में बंद विभिन्न संगठनों के आतंकियों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की जरूरत है, क्योंकि वे स्थानीय कैदियों के दिमाग में आतंकी विचार डाल चुके हैं। उन्हें यदि तिहाड़ शिफ्ट किये जाने में कोई दिक्कत हो तो हरियाणा और पंजाब की किसी भी हाई सिक्योरिटी जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है। बेंच जम्मू-कश्मीर की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई। उसने शोएब आलम से नोटिस की कॉपी सातों आतंकियों को भी भेजा जाना सुनिश्चित करने के लिए कहा।
सात आतंकियों की सूची में 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या करने का आरोपी जिया मुस्तफा का भी नाम
जम्मू-कश्मीर सरकार ने जिन आतंकियों को शिफ्ट करने की मांग की है उनमें लश्कर-ए-तैयबा का वकास मंजूर उर्फ काजिर, मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अबु तलहा और जफर इकबाल के अलावा पाकिस्तान में मुल्तान का रहने वाला लश्कर आतंकी जुबैर तलहा जरूर उर्फ तलहा और मोहम्मद अली हुसैन भी शामिल है। तलहा को 2013 और मोहम्मद अली हुसैन को 2014 में गिरफ्तार किया गया था। 2003 में दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के नदीमार्ग इलाके में 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोपी जिया मुस्तफा और 2006 में गिरफ्तार किया गया अल-बदर संगठन का आतंकी हफीज अहमद बलूच के भी शिफ्ट करने की मांग की गई है।
पुलवामा हमले के बाद लश्कर आतंकी जाहिद को जम्मू जेल से शिफ्ट करने की मांग की थी
जम्मू-कश्मीर सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा आतंकी जाहिद फारूक को जम्मू जेल से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।फारूक को सुरक्षा बलों ने 19 मई 2016 को तब गिरफ्तार किया था, जब वह सीमा सुरक्षा बाड़ पार करने की कोशिश कर रहा था।
आतंकियों को स्थानीय लोगों को समर्थन हासिल : राज्य सरकार
राज्य सरकार ने तब भी कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों से जुड़े आतंकी जेल में बंद अन्य साथियों के दिमाग में आतंकी विचार डाल रहे हैं। राज्य सरकार ने कहा कि इस बात का पक्का विश्वास है कि कैदी और अन्य व्यक्तियों को स्थानीय लोगों को समर्थन हासिल है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि उन्हें आतंक संबंधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सूचनाएं, संसाधन और अन्य मदद भी मिलती हैं।
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