दिल्ली सरकार-एलजी के अधिकारों पर आज फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट

[ad_1]


नई दिल्ली. दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच अधिकारों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुना सकता है। दिल्ली में सर्विसेज और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) पर नियंत्रण समेत कई मुद्दों पर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद है। जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की बेंच ने विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन्स को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले साल 1 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 2014 में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक अधिकारों के लिए खींचतान जारी है।

एलजी के पास प्रशासनिक अधिकार: केंद्र
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि दिल्ली में सर्विसेज को संचालित करने का अधिकार एलजी के पास है। साथ ही यह भी कहा था कि शक्तियों को दिल्ली के प्रशासक (एलजी) को सौंप दिया जाता है और सेवाओं को उसके माध्यम से प्रशासित किया जा सकता है। केंद्र ने यह भी कहा था कि जब तक भारत के राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से निर्देश नहीं देते, तब तक एलजीमुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद से परामर्श नहीं कर सकते।

स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं सकते एलजी: सुप्रीम कोर्ट
4 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि वह जानना चाहते हैं कि 4 जुलाई को कोर्ट द्वारा दिल्ली में प्रशासन को लेकर दिए गए फैसले के संदर्भ में उनकी स्थिति क्या है? 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासन के लिए विस्तृत मापदंडों को निर्धारित किया था।

कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि दिल्ली को एक राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता, लेकिन एलजी की शक्तियों को यह कहते हुए छोड़ दिया गया कि उसके पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की शक्ति नहीं है और उसे चुनी गई सरकार की सहायता और सलाह पर काम करना है।

‘दिल्ली की असाधारण स्थिति’
पिछले साल 19 सितंबर को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि दिल्ली के प्रशासन को अकेले दिल्ली सरकार के पास अकेला नहीं छोड़ा जा सकता है और देश की राजधानी होने के नाते यह ‘असाधारण’ स्थिति है। यहां संसद और सुप्रीम कोर्ट जैसे महत्वपूर्ण संस्थान हैं और विदेशी राजनयिक भी यहां रहते हैं।

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट रूप से कहा था कि दिल्ली को राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। केंद्र ने तर्क दिया था कि जहां तक सेवाओं का संबंध है, क्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (जीएनसीटीडी) के पास विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं?

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल (बाएं) और अरविंद केजरीवाल। (फाइल)


पिछले साल 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से फैसले नहीं ले सकते। (फाइल)

[ad_2]
Source link

Translate »