एक बालिका की शिक्षा ऐसे बनी पूरे परिवार की शिक्षा सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- गाजीपुर की फूलमती की शिक्षा के असर का ही नतीजा है कि 52 वर्षीय अध्यापिका बेटी बंदना चौधरी लगातार 25 वर्षों से सोनभद्र में असहाय छत्राओं को पढ़ाने में योगदान कर रही हैं । जनता इण्टर कालेज परासी पाण्डेय के कक्षा ‘ 9 अ ‘ के कक्षाध्यापक श्याम बिहारी सिंह पटेल ने मंगलवार को बताया कि छात्रा महिमा पुत्री सुखराम- चंदा देवी निवासी बसौली , बहुआर का शुल्क जमा कर रही हैं।
कौन हैं बंदना
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विज्ञान स्नातक औड़िहार , गाजीपुर में चंद्रिका प्रसाद से ब्याही बंदना की पहली नियुक्ति परिषदीय विद्यालय रॉबर्ट्सगंज शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कूरकला में हुई थी । 1995 में ही बंदना मदर टेरेसा से प्रभावित हो
कर वंचितों की बालिकाओं की पढ़ाई के लिए खड़ी हो गई थी । लिलासी से अध्यापिका रहते हुए जूनियर हाई स्कूल रामगढ़ में गरीब बालिकाओं का नामांकन करा कर खर्च वहन करती थी । वर्तमान समय मे पूर्व माध्यमिक
विद्यालय बहुआर में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं । लखनऊ से पढ़ी बंदना जनसेवा के प्रति जगी भावना का श्रेय अपनी स्वर्गवासी माँ को देती है ।
पृष्ठभूमि रही ऐसी
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बंदना बताती हैं , उस ज़माने में लड़कियों को पढ़ाना अच्छी नज़र से नही देखा जाता था । लेकिन माँ चोरी चोरी कक्षा पाँच तक पढ़ी । फिर विवाह के बाद कक्षा 8 पास की । पति बृजलाल की इच्छा से इण्टर तक पढ़ाई पूरी की । स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर के पद पर कार्य करते हुए अपनी बेटी बंदना को विज्ञान वर्ग में स्नातक तक कि पढ़ाई कराई । प्रशिक्षण के बाद बेटी को 1995 में सोनभद्र में प्राइमरी स्कूल में नौकरी मिल
गई ।
अभिमत
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पूछने पर बंदना ने कहा कि , ‘ अपनों के लिए तो हमारे पास बहुत समय रहता है । दूसरों के लिए भी कुछ समय निकालें तो बात बनें । ‘ राबर्ट्सगंन विकासनगर कालोनी , वार्ड नम्बर तीन में अपने पति चंद्रिका प्रसाद के साथ रह रही बंदना प्रतिदिन स्कूटी से अपने तैनाती स्थल जूनियर हाई स्कूल बहुआर समय से आती हैं । गरीब छात्राओं को चिन्हित कर कालेज में एडमिशन
करा कर पढ़ाई का खर्च वहन करती हैं । कुरेद कर पूछने पर उन्होंने संकोच से बताया कि 25 वर्ष हो गए । लगभग एक सौ गरीब छत्राओं को पढ़ाने में सहयोग करने का अवसर मिला है ।
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