राष्ट्रपति के आगमन को लेकर जिलाधिकारी सशक्त।

सेवाकुंज को दुल्हन की तरह सजाने में लगे कारीगर।

बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)

बभनी।बनवासी कल्याण आश्रम से सम्बद्ध सेवा समर्पण संस्थान सेवा कुंज चक चपकी में 14 मार्च को प्रस्तावित राष्ट्रपति के आगमन को लेकर आश्रम के विद्यार्थियों ,स्वयं सेवकों सहित क्षेत्रीय लोगो मे काफी उत्साह है जिस बात का जायजा लेने जिलाधिकारी प्रशासनिक अम्लों के साथ लगातार पहुंच रहे हैं।आश्रम परिसर को दुल्हन की तरह सजाने के लिए कार्यकर्ता जी जान से लगे हुये है ।बिगत 15 मार्च 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बिरसा मुंडा की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित था लेकिन कोविड 19 के कारण जिला प्रशासन की तैयारियों पर पानी फेर दिया था।पुनः 14 मार्च को को राष्ट्रपति का आगमन व कार्यक्रम निर्धारण हो जाने के बाद सेवाकुंज आश्रम के कार्यकर्ताओं सहित क्षेत्रीय लोगो मे खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। सेवाकुंज आश्रम के केंद्र प्रमुख कृष्ण गोपाल जी ने बताया कि महामहिम के आगमन को लेकर जिला प्रशासन के साथ ब्यापक तैयारियां की जा रही है आश्रम परिसर की साफ सफाई,रंग रोदन का कार्यक्रम युद्ध स्तर पर चल रहा है पग पग पर स्वक्षता का ख्याल रखा जा रहा है।राष्ट्रपति द्वारा लोकार्पण होने वाले बनवासी बिद्या पीठ,वरुणोदय छात्रावास,अंत्योदय छात्रावास,सबरी भोजनालय को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है।राष्ट्रपति के हैलीपैड से लेकर लोकार्पण स्थल तक जाने का पूरा रोडमैप तैयार किया जा रहा है।स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी राष्ट्रपति के आगमन को लेकर काफी उत्सुक है उनके द्वारा भी हस्त निर्मित गमला तैयार किया गया है। इस दौरान अपर पुलिस अधीक्षक डॉ.राजीव कुमार सिंह उपजिलाधिकारी रमेश कुमार क्षेत्राधिकारी आशीष यादव प्रभारी निरीक्षक अभय नारायण तिवारी समेत अन्य मौजूद रहे।

बनवासियों के उत्थान में सेवाकुंज आश्रम का बिशेष योगदान।

उत्तरप्रदेश व छतीसगढ़ की सीमा पर स्थित सेवा कुंज आश्रम ने बनवासियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए अनेक कदम उठाये है।वर्ष 1998 में जब सेवाकुंज की स्थापना हुई तब इस क्षेत्र में नक्सलवाद चरम पर था ,ईसाई मशीनरिया भी भोले भाले बनवासियों को बरगला रही थी इसी बीच सेवा समर्पण संस्थान के स्वयं सेवकों ने दोनों राज्यो के बनवासी बाहुल्य गांव में कैम्प लगाकर बनवासियों के कला, सँस्कृति, चिकित्सा,स्वास्थ्य, शिक्षा पर फोकस किया और बनवासी समाज की सँस्कृति को सहेजना शुरू किया आश्रम से जुड़े सीताराम जी बताते है कि एक तरफ नक्सलवाद हावी था तो दूसरी तरफ इसाई मशीनरी जगह जगह विद्यालय खोलकर बनवासियों को गुमराह कर धर्म परिवर्तन करा रही थी उस समय यातायात का साधन भी सीमित था लेकिन आश्रम के कार्यकर्ता जी जान से लगे इसाई मशीनरी द्वारा खोले गए विद्यालयो को बुद्धजीवी ग्रामीणों की मद्त से बंद कराया गया।और उपेक्षित बनवासी समाज को मुख्य धारा में लाकर उनके बच्चों को आश्रम मुफ्त शिक्षा दे रहा है आज बनवासी समाज के दर्जनों युवा सरकारी सहित प्राइवेट कंपनियों में नॉकरी कर रहे है।

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