विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, अनपरा उत्तर प्रदेश
ने विरोध प्रदर्शन एवं कार्य बहिष्कार किया।

सोनभद्र।देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ अनपरा, उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में एवं अन्य समस्याओं के समाधान हेतु 03 फरवरी को परियोजना गेट पर विरोध प्रदर्शन एवं कार्य बहिष्कार किया।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में एवं बिजली कर्मियों की ज्वलंत समस्याओं के समाधान हेतु 03 फरवरी को एक दिवसीय सांकेतिक कार्य बहिष्कार किया गया है। संघर्ष समिति ने इस आशय का नोटिस केंद्रीय विद्युत मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार को प्रेषित पूर्व मे ही कर दिया है।
वक्ता इं जे के मिश्रा, आलोक सिन्हा ने बताया कि निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा, ग्रेटर नोएडा और आगरा में बुरी तरह विफल हो चुका है फिर भी केंद्र सरकार ने बिजली के निजीकरण हेतु इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेट) बिल 2020 एवं स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया है जिससे देशभर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। केंद्र सरकार के निर्देश पर केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़ और पांडिचेरी में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया तीव्र गति से चल रही है जिसके विरोध में उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता आगामी 03 फरवरी को देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ एक दिवसीय सांकेतिक कार्य बहिष्कार किया। उन्होंने बताया कि बिजली कर्मचारी किसान आंदोलन को नैतिक समर्थन प्रदान कर रहे हैं जिनकी मांगों में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 की वापसी प्रमुख है।
नित्यानंद सिंह, हरिशंकर चौधरी, सत्यम यादव ने कहां सार्वजनिक उपक्रमों के अनेक लाभ हैं इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि निजी क्षेत्र की अपेक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के अधिक आर्थिक, सामाजिक लाभ हैं। संविधान में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय की संकल्पना की गई है, सैद्धांतिक तौर इन विचारों का निजीकरण की प्रक्रिया से मतभेद होता है।
रविन्द्र जायसवाल तथा श्रीकांत, शारदा प्रसाद ने कहां निजीकरण के पश्चात् कंपनियों की विशुद्ध परिसंपत्ति का प्रयोग सार्वजनिक कार्यों और जनसामान्य के लिये नहीं किया जा सकेगा। निजीकरण की प्रक्रिया मे बडे़ पैमाने पर प्रबंधन और कार्य-संस्कृति में परिवर्तन से भयभीत होते हैं।
विशम्भर सिंह, वी के आनंद, विवेक सिंह, नागेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में लगभग 3 करोड़ उपभोक्ता है उनके सापेक्ष कार्मिक केवल 35 हजार यानि की 1000 उपभोक्ता पर 1.16 कार्मिक जब की देश का मानक 1000 उपभोक्तापर 2.65 कार्मिक है।
रिक्त पदों के उसके सापेक्ष भर्ती की जाये, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके।
इं रोहित राय ने बताया कि बिजली कर्मचारियों की प्रमुख मांगे इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 व स्टैन्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट वापस लेना,निजीकरण की सारी प्रक्रिया निरस्त करना, ग्रेटर नोएडा का निजीकरण व आगरा फ्रेंचाइजी का करार समाप्त करना, विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण निगमों को एकीकृत कर यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन करना, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना, तेलंगाना की तरह संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और सभी रिक्त पदों विशेषतया क्लास 3 और क्लास 4 के रिक्त पदों को प्राथमिकता पर भरना, सभी संवर्ग की वेतन विसंगतियां दूर करना और तीन पदोन्नत पद का समयबद्ध वेतनमान प्रदान करना हैं ।
SNC Urjanchal News Hindi News & Information Portal