ओबरा (सतीश चौबे) : सीमित बंदी के समर्थन में ओबरा बाजार बचाओ संघर्ष समिति के प्रतिनिधि 17 अक्टूबर की प्रातः आठ बजे नगर के लोगों से सम्पर्क में निकलेंगे। यह सम्पर्क दिन में दस बजे चड्डा मार्केट में पूर्ण होगा। जन संपर्क में प्रतिनिधियों के हाथों में तख्तियां रहेंगी, जिनपर उजाड़े गए और उजाड़े जाने की आशंका से बुरी तरह प्रभावित लोगों का दुःख-दर्दलिखा होगा। इस संदर्भ में समिति के संयोजक आचार्य प्रमोद चौबे ने कहा कि तख्तियों पर लिखे संदेशों में प्रशासनिक संवेदनहीनता से अवगत कराना प्रमुख उद्देश्य है। मौन सम्पर्क अब तक रोजी-रोटी के उपजे गम्भीर संकट में हुई दुःखद मौत के शिकार हुए व्यापारियों को श्रद्धाजंलि देना है। बुधवार की शाम गल्ला मंडी में व्यापारियों की बैठक में निर्णय लिया गया। संयोजक ने कहा कि 17 अक्टूबर को दिन में दस बजे तक बाजार बंद रहेगा। जरूरी सामान 16 अक्टूबर की शाम तक मार्केट से लें या 17 अक्टूबर को दिन में दस बजे के लें बंदी में मन्दिरों व घरों में जिम्मेदार सभी लोगों की सद्बुद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाएगी ताकि लोगों की रोजी-रोटी बहाल हो सके और दबाव में हो रही मौतों पर रोक लग सके। सम्पर्क में कोरोना से बचाव के सभी उपायों को अमल में लाया जाएगा। बैठक में भोला कनौजिया, मिथिलेश अग्रहरि, कृष्ण कुमार मिश्रा, शमशेर खान, लालबाबू सोनकर, राजेश जिंदल, पूरन चंद पुरवार, मोहम्मद अमजद, दिलीप गुप्ता, मुस्लिम अंसारी, मंसूर अहमद, गिरीश कुमार पांडेय आदि मौजूद रहे। बता दें कि व्यापारियों की दुःखद मौत पर दो मिनट का मौन रखकर शोक व्यक्त किया गया। जरूरतमंद परिवारों का मांगा जीवनदानगुरुवार को मुख्यमहाप्रबंधक कार्यालय में ओबरा बाजार बचाओ संघर्ष समिति के सचिव गिरीश पांडेय के पत्र को देकर प्रतिनिधि सुशील कुशवाहा, मिथिलेश अग्रहरि ने बिजली प्रबन्ध से वार्ता की अपेक्षा की है। पत्र में कहा गया है कि ओबरा नगर का प्रारम्भिक अस्तित्व ही थर्मल परियोजना पर निर्भर था, है और भविष्य में भी रहेगा। ओबरा नगर और बाजार के परिवार के संरक्षक की भूमिका में थर्मल प्रबन्ध सदैव से है। उजाड़ी गई बस्ती से प्रभावित लोगों में अब तक हृदय गति रुकने से छह लोगों की दुःखद मृत्यु हो चुकी है। प्रबंधन से डकैया पहाड़ी सहित कई स्थानों के जरूरतमंद सैकड़ों परिवारों को जगह मिली है। उसी तरह रोजी-रोटी छिन जाने से तनावग्रस्त हुए जरूरत मंद परिवार को जीवन दान दें। नेता सुभाष चन्द्र बोस चौक से डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर चौक तक की उजाड़ी गई आवंटित व गैर आवंटित दुकानों की उन्हीं के स्थानों पर फिर पुनर्स्थापित करें, जिससे जीवन-मृत्यु से जूझ रहे परिवार की पीड़ा कम हो सके। सीजीएम को ओबरा परिवार के मुखिया बताता है। भविष्य में कोई और बस्ती को उजाड़ने की भी अनुमति न दी जाए। दुःखी व्यापारियों से वार्ता कर विश्वास दिलाये जाने की बात कही है। जिससे व्यापारियों को राहत मिल सके।