
ओबरा(सोनभद्र)सतीश चौबे
सरकार एक तरफ पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रही है वहीं जंगलों की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की मिलीभगत से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। गुरमूरा अबाडी़, सहित वनक्षेत्र के गांवों के जंगलों में तस्करों की आरी-कुल्हाड़ी चल रही है। यहां पर लगे बेशकीमती पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर दी गई है।रविवार को अबाडी़ जंगल में निरीक्षण करने पहुंचे वन विभाग के अधिकारी कुछ भी कहने से परहेज करते नजर आए।
ओबरा वन प्रभाग के डाला रेंज में स्थित इन जंगलों में बड़ी संख्या में खैर,बबुल,आंवला, साखू, हल्दू जैसे बेशकीमती पेड़ हैं।कुछ वर्ष पहले आसपास के जंगल में घने पेड़ नजर आते थे, लेकिन अंधाधुंद पेड़ों की कटाई से जंगल साफ होते जा रहे हैं।पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जंगल का दायरा सिमटता जा रहा है।
गौरतलब है कि पौधारोपण के नाम पर हर साल विभाग को करोड़ों रुपए के बजट के साथ पौधों को लगाने के साथ सुरक्षा का जिम्मा रहता है। पौधे लगाने के बाद विभाग के अधिकारी इनकी तरफ मुड़कर नहीं देखते। औपचारिकता निभाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों भी साल भर में एक दो कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेते हैं। क्षेत्र से लगे जंगल की इस तरह से हो रही बेखौफ कटाई से वन विभाग एवं आला अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उंगली उठ रही है।सूत्रों ने बताया कि वन माफिया उक्त क्षेत्र में लम्बे समय से लकड़ी की कटाई कर रहा है। वन अमले को खबर होने के बावजूद अनदेखी की जा रही है।
जानकारों का कहना है कि कहीं न कहीं विभाग की लापरवाही एवं मिलीभगत से वनों में वृक्षों की कटाई अवैध तरीके से की जा रही है। सूचना के वावजूद वनकर्मियों द्वारा पेड़ कटान रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।पेड़ काटे जाने की सूचना मिलने के बाद ओबरा वनाधिकारी के निर्देशन में मौके पर निरीक्षण करने पहुंचे डाला रेंजर अनिल सिंह ने यह कहकर कन्नी काट लिया कि यह क्षेत्र रेणुकूट वन प्रभाग में आता है।लेकिन हकीकत तो वहाँ के ग्रामीण लोगो ने बताया कि ओबरा रेंज में है व रेन्जर द्वारा बताया गया कि हल्दू का पेड़ कुकाठ में आता है ये कीमती पेंडो में नही आता है।
SNC Urjanchal News Hindi News & Information Portal