देश में कोरोना से मरने वालों की संख्य बहुत कम रही। प्रधानमंत्री ने समय रहते और जनता को जागरूक कर
लखनऊ।कोरोना महामारी के जारी प्रकोप के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का विवरण देने से पहले ही भारतीय शेयर बाजार चहक उठा। देश की जीडीपी के दस प्रतिशत के बराबर आर्थिक पैकेज दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा आर्थिक फैकेज हैं। भारत सरकार की ओर से घोषित इस पैकेज में गरीबों के लिए अनाज उपलब्ध कराने तथा गरीब महिलाओं व बुजुर्गों को नकद मदद देने के लिए घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को भी शामिल किया गया है। सरकार अभी तक कुल मिलाकर 7.79 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा कर चुकी है। अब 12.22 लाख करोड़ का पैकेज एमएसएमई, दिहाड़ीदार मजदूरों, मध्यम वर्ग, कृषि, उद्योग और अन्य क्षेत्रों के लिए हैं। पैकेज में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। 15 हजार के कम वेतन वालों की सरकार सहायता करेगी। वेतन का 24 प्रतिशत सरकार पीएफ खाते में जमा करेगी।
यह मोदी का ही करिश्मा है कि 130 करोड़ की आबादी वाले देश में कोरोना से मरने वालों की संख्य बहुत कम रही। प्रधानमंत्री ने समय रहते और जनता को जागरूक करते हुए देश में लॉकडाउन लागू किया। ज्यादातर स्थानों पर लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन भी किया गया। प्रधानमंत्री ने इस आपदा को देश के लिए एक अवसर बना दिया। अब यह सभी मान रहे हैं कि हमें अपने गांव, खेत, किसान, कुटीर उद्योग को प्राथमिकता देते हुए उद्योगों को विकसित करना होगा। सबकुछ देश में बने इसके लिए तो मोदी सरकार पहले से प्रयासरत थी। आपदा के दौरान हम जगह-जगह करोड़ों लोगों को तकलीफ उठाते हुए अपने-अपने गांव की तरफ लौटते देख रहे हैं। लाखों लोग पैदल चलकर ही गांव पहुंच रहे हैं। यह अवसर है कि हम गांवों और खेतों में रोजगार के अवसर बढ़ाएं। गांवों में कुटीर उद्योग को बढ़ाएं। इसके लिए सरकार ने कई घोषणाएं की है। प्रधानमंत्री ने लघु उद्योगों के लिए खजाना खोल दिया है। तीन लाख करोड़ का कर्ज बिना गांरटी एमएसएमई के लिए देने का ऐलान किया गया है। एक साल ईएमआई में भी राहत दी गई है। इससे लघु उद्योगों में कार्यरत 11 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को इसका फायदा मिलेगा। एमएसएमई के लिए सरकार ने बहुत राहत दी है। मोदी सरकार की इस पहल से देश के मध्यम, लघु और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। सरकार की तरफ से साफ किया गया है कि एमएसएमई को ज्यादा टर्न ओवर होने पर भी दर्जा नही बढ़ाया जाएगा। यानी अब ये उद्योग अपना विस्तार कर सकते हैं। कुल मिलाकर 45 लाख उद्योगों को इसका फायदा मिलेगा। जाहिर है कि सरकार की पूरी कोशिश है गरीब श्रमिकों को बेरोजगारी का सामना न करना पड़े। सरकार का पूरा जोर है कि छोटे छोटे निवेश वाले उद्योग बढ़े। भारत सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विदेशी कंपनियों को न्योता दे रही है। कुछ विदेशी कंपनियों ने भारत में निवेश की इच्छा
जताई है। हरियाणा में तो ऐसी कंपनियों के लिए जमीन भी तय कर दी गई है।
अभी कुछ दिन और हमें कोरोना के साथ रहना है। कोरोना से लड़ना भी है। इसके लिए म़ॉस्क लगाकर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कामकाज पर ध्यान देना है। प्रधानमंत्री की पूरी कोशिश है कि देश में स्वदेशी वस्तुओं का चलन बढ़े। इसी कड़ी में हमारे लोकप्रिय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने भारत में बने उत्पादों का उपयोग करने की अपील की है। उनका कहना है कि इस तरह हम पांच साल में देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की कैंटीनों पर केवल स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री होगी। 1 जून 2020 से देशभर की केंद्रीय पुलिस बलों की सभी कैंटीनों में केवल स्वदेशी उत्पाद मिलेंगे। केंद्रीय पुलिस बलों के दस लाख कर्मचारी और लगभग 50 लाख परिजन स्वदेशी उत्पाद ही इस्तेमाल करेंगे। हर साल इन कैंटीन से 2800 करोड़ का सामान खरीदा जाता है। इन कैंटीन में अब स्वदेशी उत्पाद ही बेचने से कुटीर उद्योगों को बाजार के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। यह तो अभी शुरुआत है । स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सभी को आगे आना होगा। अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा भी कि आपदा के कारण संकेत, संदेश और अवसर मिला। भारत में एन-95 मास्क और पीपीई किट बन रहे हैं। पहले पीपीई किट बनते ही नहीं थे और एन-95 मास्क बहुत कम बनते थे। दोनों की ज्यादा जरूरत भी नहीं थी। आपदा के दौरान ही भारत में अब दो-दो लाख एन-95 मास्क और पीपीई किट बन रहे हैं। यह हमारे लिए बहुत शुभ संकेत है।