मन की मिट्टी को थोड़ा-सा गीला-कच्चा रहने दो

*बुद्ध पूर्णिमा एवं गुरु गोरखनाथ जयंती पर सोन संगम की ऑनलाइन विचारगोष्ठी तथा कवि समागम

शक्तिनगर, सोनभद्र। शक्तिनगर की साहित्यिक, सामाजिक संस्था सोन संगम के तत्वावधान में, बुद्ध पूर्णिमा एवं गुरु गोरखनाथ की जयंती के उपलक्ष्य में, 07 मई, गुरुवार को संस्था के सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर ऑनलाइन विचारगोष्ठी एवं कवि समागम का आयोजन किया गया। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन के चलते ऑनलाइन कार्यक्रम का यह प्रयोग किया गया, जो सफल रहा। भूगोल की सीमाएँ भूलकर देश-विदेश के साहित्य प्रेमी इस आयोजन के साक्षी बने। कार्यक्रम में सोनभद्र एवं सिंगरौली के अतिरिक्त गाजीपुर, आजमगढ़, जबलपुर, मण्डला, रीवा, सागर, मुम्बई एवं संयुक्त राज्य अमेरिका तक के हिन्दी सेवियों ने सहभागिता की। ऑनलाइन कार्यक्रम प्रातःकाल से देर रात्रि तक चला। कार्यक्रम की अध्यक्षता आलोक चन्द्र ठाकुर, सहायक महाप्रबन्धक, एनटीपीसी रामागुण्डम, तेलंगाना ने की, जबकि संचालन डॉ0 मानिक चन्द पाण्डेय, शक्तिनगर ने किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ0 मानिक चन्द पाण्डेय ने भगवान बुद्ध एवं गुरु गोरखनाथ के जीवन एवं शिक्षाओं का सार प्रस्तुत करते हुए उक्त दोनों विभूतियों को भारतीय अध्यात्म के उज्ज्वल नक्षत्र बताया। एलआईसी शक्तिनगर के प्रबन्धक पंकज श्रीवास्तव ने गोरख को शैव साधना एवं हठयोग परम्परा का अनूठा शिखर निरूपित किया। योगेन्द्र मिश्र ने गुरु गोरख की प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया।
काव्य गोष्ठी में मुम्बई से शामिल हुए कवि अभिषेक अमन ने ‘नियम कायदों की भट्ठी में पकी तो जल्दी चटकेगी, मन की मिट्टी को थोड़ा-सा गीला-कच्चा रहने दो’ गीत सुनाकर अन्तर्मन के भेद खोले तो सागर, म0प्र0 से वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार एवं कवि ओम द्विवेदी ने ‘रोटी मेहनत की भली, चाहे देर-सबेर, सोता मिला मजूर तो, रोता मिला कुबेर’ जैसे अद्भुत दोहे सुनाकर कविता को ठोस यथार्थ की जमीन प्रदान की। रीवा से विख्यात गजलगो विद्या वारिधि तिवारी ने ‘एक नन्हीं-सी जान रखते हो, दिल में कितने गुमान रखते हो’ गजल से गुरूर पर तंज किया तो मेरीलैण्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका से गोष्ठी में जुड़े कवि दिनेश शुक्ल ने ‘नजर की इक कलम है और आँसुओं की दवात’ शीर्षक कविता से प्रेम की पीर को स्वर दिया। जबलपुर से विख्यात कवि एवं इग्नू के सहायक क्षेत्रीय निर्देशक डॉ0 विवेक श्रीवास्तव ने ‘पक्का भरोसा है कि समय बदलेगा एक दिन’ कविता से सामाजिक जीवन में आपसी विश्वास की आवश्यकता को रेखांकित किया तो एनसीएल खड़िया के सुप्रसिद्ध युवा कवि पाणि पंकज पाण्डेय ने ‘मैं मोहब्बत का सफर तुमको दिखलाता हूँ’ प्रेमगीत से गोष्ठी में मधुरिमा भरी। नेहरू चिकित्यालय, जयंत में कार्मिक अधिकारी श्रीमती कोरल वर्मा ने ‘वक्त के खजाने से थोड़ा वक्त मिल भी जाये’ गीत से व्यतीत अतीत की स्मृतियों याद किया। बलराम बेलवंशी, खड़िया ने अपनी कविता से श्रम की महत्ता को आवाज दी तो श्यामदेव गुप्त निर्दोष, खड़िया ने कविता के माध्यम से गौतम बुद्ध को प्रणाम किया। रामखेलावन मिश्र, जयंत एवं अश्विनी श्रीवास्तव, विन्ध्यनगर ने भी सशक्त प्रस्तुतियाँ दीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आलोक चन्द्र ठाकुर ने संस्था के इस अभिनव प्रयास पर सबको शुभकामनाएँ दीं एवं ‘बुद्ध की राह पर’ शीर्षक कविता सुनाकर भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि दी।
उक्त अवसर पर नवीन चन्द्र श्रीवास्तव, उमेश चन्द्र जायसवाल, देवकान्त आनन्द, धर्मेन्द्र दत्त तिवारी, डॉ0 पूनम सिंह, ज्योति राय ‘ज्वाला’, डॉ0 नृपेन्द्र सागर, विजय दुबे, श्रवण कुमार, दिवाकर पटेल, मुकेश, उपेन्द्र, छोटू सहित कई गणमान्य व्यक्ति न सिर्फ कार्यक्रम का आनन्द लेते रहे, अपितु रचनाकारों का निरंतर उत्साहवर्धन करते रहे।

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